Student Murder Case: गोरखपुर पुलिस के देरी से पहुंचने पर फूटा गुस्सा,परिजन बाइक से ले गए शव
पिपराइच में कक्षा 11 के छात्र सुधीर भारती की गोली मारकर हत्या के बाद पुलिस के एक घंटे देरी से पहुंचने पर भारी आक्रोश फैल गया। गुस्साए परिजन और ग्रामीण ...और पढ़ें

नगर पंचायत पिपराइच के मुड़ेरा गढ़वा वार्ड में पहुंचे एसएसपी। जागरण
संवाद सूत्र, पिपराइच। कक्षा 11 के छात्र सुधीर भारती की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या के बाद हालात इसलिए बेकाबू हुए, क्योंकि पुलिस घटना के एक घंटे बाद मौके पर पहुंची। थाना क्षेत्र से महज एक किलोमीटर दूर हुई वारदात की सूचना मिलने के बावजूद समय पर फोर्स न पहुंचने से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हालात इतने बिगड़े कि आक्रोशित परिजन व गांव के लोग मौके से शव को बाइक पर रखकर घर ले गए।
शुक्रवार दोपहर करीब 1:15 बजे कोआपरेटिव इंटर कॉलेज के खेल मैदान में गोली चलने की सूचना फैलते ही छात्र, शिक्षक और स्थानीय लोग मौके पर जुट गए। लोग लगातार पुलिस को फोन करते रहे, लेकिन न तो सायरन सुनाई दिया और न ही कोई पुलिस वाहन दिखा। करीब एक घंटे तक मौके पर पुलिस की गैरमौजूदगी रही। इसी दौरान भीड़ बढ़ती चली गई और आक्रोश हिंसक रूप लेने लगा।
पुलिस जब मौके पर पहुंची तो लोगों का गुस्सा चरम पर था। पुलिसकर्मियों ने देरी की वजह रेलवे क्रासिंग बंद होना बताया।बाद में अधिकारियों ने यह भी कहा कि जंगलतिनकोनिया क्षेत्र में कार्यक्रम होने के कारण ड्यूटी लगी थी, जिससे फोर्स बंटी हुई थी। हालांकि स्थानीय लोगों ने इस सफाई को सिरे से खारिज कर दिया।ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर पहुंच जाती तो शव को सड़क पर नहीं ले जाना पड़ता और न ही हालात बेकाबू होते।
देरी ने न सिर्फ आक्रोश बढ़ाया, बल्कि कानून-व्यवस्था को भी चुनौती में डाल दिया।शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया।शव ले जाने के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं था। हालात ऐसे बने कि पुलिस को 50 मीटर तक शव को उठाकर पैदल ले जाना पड़ा।इसके बाद आटो की व्यवस्था की गई, लेकिन जैसे ही शव को आटो में रखा गया, आक्रोशित लोगों ने हनुमान मंदिर के पास रास्ता रोक दिया।
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वहां से किसी तरह आगे बढ़े तो चुंगी तिराहा पर फिर विरोध हुआ। इसके बाद रामलीला मैदान पर शव को दोबारा रोक लिया गया। हर जगह लोग यही सवाल पूछ रहे थे कि पुलिस एक घंटे तक कहां थी? इस दौरान पुलिस पूरी तरह बैकफुट पर दिखी। समझाने की कोशिशें होती रहीं, लेकिन लोग शव को जबरन ले जाने देने को तैयार नहीं थे। अतिरिक्त फोर्स बुलाने और वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस अंतिम रूप से शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज सकी।
मां अनाथालय,पिता कबाड़ की दुकान पर करते हैं काम
मृतक सुधीर भारती की मां राजकुमारी देवी जेल रोड स्थित एक अनाथालय में नौकरी करती हैं। पिता स्थानीय स्तर पर कबाड़ की दुकान पर काम करते हैं और उसी से परिवार का भरण-पोषण होता है। सुधीर का बड़ा भाई आलोक मुंबई में रहकर पेंट-पॉलिश का मजदूरी कार्य करता है। परिवार आर्थिक रूप से सीमित संसाधनों में जीवन यापन करता है।

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