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    गोरखपुर पुलिस लाइन में ठेका दिलाने के नाम पर 52 लाख की ठगी, केस दर्ज

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 07:47 AM (IST)

    गोरखपुर पुलिस लाइन में बड़े निर्माण कार्य का उप-संविदा दिलाने के बहाने 52 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। पटना की एक निजी निर्माण कंपनी के निद ...और पढ़ें

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    फर्जी उप-संविदा दिखाकर करोड़ों के प्रोजेक्ट का झांसा,जांच में जुटी पुलिस। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पुलिस लाइन में बड़े निर्माण कार्य का उप-संविदा दिलाने का झांसा देकर 52 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। पटना में रहने वाले निजी निर्माण कंपनी के निदेशक की शिकायत पर कैंट थाना पुलिस ने तीन नामजद आरोपितों व एक फर्म के विरुद्ध धोखाधड़ी, जालसाजी व आपराधिक विश्वासघात का मुकदमा दर्ज कराया है।

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    आरोप है कि दिल्ली व गोरखपुर बुलाकर प्रोजेक्ट की साइट दिखाई गई, फर्जी दस्तावेजों के सहारे भरोसा दिलाया गया और फिर किस्तों में लाखों रुपये ट्रांसफर करा लिए गए।

    पटना के पत्रकारनगर, हनुमान नगर निवासी शिव कुमार, डीडीएल इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में दिल्ली में उनकी मुलाकात संतोष कुमार तिवारी से हुई, जिसने खुद को एसके कंस्ट्रक्शन कंपनी का मैनेजर बताया। संतोष ने गोरखपुर पुलिस लाइन में चल रहे निर्माण कार्य का उप-संविदा दिलाने का भरोसा दिलाया।

    इसके बाद शिव कुमार को गोरखपुर बुलाया गया, जहां निखिल जैन से परिचय कराया गया। पुलिस लाइन के भीतर कथित पंजीकृत प्रोजेक्ट साइट दिखाकर काम मिलने की बात कही गई।पीड़ित के अनुसार, इसके बाद उन्हें दिल्ली के पंचशील एन्क्लेव स्थित कथित ब्रांच कार्यालय बुलाया गया, जहां सुरेश जैन से मुलाकात कराई गई।

    यहीं पर तीनों ने मिलकर बड़े प्रोजेक्ट का हवाला देते हुए रकम जमा कराने का दबाव बनाया। आरोप है कि संगठित तरीके से एसके कंस्ट्रक्शन के बैंक खाते में अलग-अलग तिथियों में कुल 52 लाख रुपये ट्रांसफर कराए गए। 5 फरवरी 2024 को दिल्ली में एक लिखित उप-संविदा समझौता भी कराया गया, जिसमें गोरखपुर पुलिस लाइन में करीब 36.57 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य मिलने का उल्लेख था।

    दस्तावेज इतने औपचारिक थे कि शुरुआती तौर पर किसी तरह का संदेह नहीं हुआ।समय बीतने के बावजूद न तो किसी विभागीय आदेश की प्रति मिली और न ही साइट पर काम शुरू कराया गया। जब शिव कुमार ने आधिकारिक स्तर पर जानकारी जुटाई, तो पता चला कि संबंधित फर्म और व्यक्तियों को ऐसा कोई कार्य आवंटित करने का अधिकार ही नहीं था।

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    इसके बाद उन्होंने अपनी रकम वापस मांगी। आरोप है कि पहले टालमटोल किया गया और 28 मई को साफ तौर पर पैसा लौटाने से इनकार करते हुए धमकी दी गई कि “जो करना है कर लो, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

    पीड़ित के मुताबिक, इस प्रकरण से उनकी कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। सीओ कैंट योगेंद्र सिंह ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।