डबल से थर्ड लाइन, फिर भी कम नहीं हुआ ट्रेनों का 'जर्नी टाइम'
गोरखपुर में रेल लाइनों का विस्तार होने के बावजूद ट्रेनों का यात्रा समय कम नहीं हो रहा है। गोरखधाम एक्सप्रेस और अमृत भारत जैसी नई ट्रेनें भी अधिक समय ले रही हैं। विद्युतीकरण और रफ्तार बढ़ने के बाद भी यात्रा समय में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। नई समय सारिणी से भी यात्रियों को निराशा हुई है जिससे रेलवे के दावों पर सवाल उठ रहे हैं।

प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण गोरखपुर। रेल लाइनें छोटी से बड़ी बन गईं। सिंगल से डबल हो गईं। थर्ड लाइन बिछने लगी। चौथी लाइन की तैयारी है। फिर भी ट्रेनों का 'जर्नी टाइम' कम नहीं हुआ। ट्रैक क्षमता के साथ ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने के बाद भी गंतव्य तक पहुंचने में अतिरिक्त समय लग जा रहा।
वर्ष 2025 में 'जर्नी टाइम' कम होने की बजाय और बढ़ गया है। गोरखपुर से गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली पहुंचने में 12:40 की जगह 12:55 घंटे लग जा रहे। गोरखपुर के रास्ते दिल्ली पहुंचने वाली नई अमृत भारत ट्रेन भी 13:35 घंटे का समय ले ले रही है।
स्टीम युग के बाद डीजल युग आया। अब ट्रेनें इलेक्ट्रिक युग में चल रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के शत-प्रतिशत रेलमार्ग इलेक्ट्रिक हो गया है। इलेक्ट्रिक इंजनों से चल रहीं आधुनिक एलएचबी कोचों वाली ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है।
पूर्वोत्तर रेलवे के रूटों पर ट्रेनों की अधिकतम गति 90 से 100 हुई। 100 से 110 हुई। अब मुख्य रेलमार्ग बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रूट पर अधिकतम 130 किमी की गति से ट्रेन चलाने की तैयारी है। लेकिन, ढाक के वही तीन पात। ट्रेनों का जर्नी टाइम, स्टीम और डीजल युग आगे नहीं निकल पा रहा।
दिल्ली हो या अमृतसर, लोकमान्य तिलक टर्मिनस हो या पुणे। लखनऊ हो या वाराणसी। कोलकाता हो या संबलपुर। किसी भी रूट पर ट्रेनों का जर्नी टाइम कम नहीं हुआ। स्टीम व डीजल युग में जितना समय लगता था उतना अब भी लग रहा है।
बिहार होकर गोरखपुर से संबलपुर तक चलने वाली मौर्य एक्सप्रेस को ही लें। 15028 नंबर की मौर्य एक्सप्रेस 1165 किमी की दूरी तय करने में 31:25 घंटे घंटे ले रही है। यह ट्रेन रिकार्ड 55 स्टेशनों पर रुकते हुए गोरखपुर से संबलपुर पहुंचती है।
हाजीपुर, मुजफ्फरपुर और जसीडीह के रास्ते रांची और संबलपुर तक की यात्रा करने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक जनवरी 2025 से ट्रेनों की नई समय सारिणी लागू होने के बाद भी यात्रियों को राहत नहीं मिली। गोरखपुर से बनकर चलने वाली करीब 20 सहित पूर्वोत्तर रेलवे की 68 ट्रेनों की टाइमिंग बदल गई है।
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इसके बाद भी एक्सप्रेस ट्रेनें सवारी गाड़ियों की तरह चल रही हैं। क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि रेल लाइनों के दोहरीकरण, तीसरी रेल लाइन, चौथी रेल लाइन, विद्युतीकरण के बाद भी यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में जो समय दस साल पहले लगता था, वह आज भी लग रहा है। रेलवे के ट्रैक क्षमता व रफ्तार बढ़ाने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा।
- ट्रैक क्षमता बढ़ने के साथ ट्रेनें भी बढ़ी हैं। ट्रेनों की गति भी बढ़ाई जा रही है। रेल लाइनों पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम और कवच लगाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में ट्रैक क्षमता के साथ ट्रेनों की गति बढ़ेगी। इसके साथ ही ट्रेनों का जर्नी टाइम भी कम होगा।
- पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे
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