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    गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट : वर्चस्व के लिए धर्म काे बांट रहा इंसान, नहीं हो रहा भावों का सम्मान

    Updated: Sun, 22 Dec 2024 07:41 AM (IST)

    गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में धर्म अध्यात्म और समाज पर चर्चा हुई। इस्लामिक धर्मगुरु डॉ. उमेर अहमद इलियासी और हिंदू धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने धर्म को लेकर फैली भ्रांतियों पर खुलकर बात की। वरिष्ठ पत्रकार सौरव शर्मा ने मीडिया की पारदर्शिता पर अपने विचार रखे। नाटक हरिश्चंद्र तारामती ने कर्तव्य और निष्ठा का संदेश दिया। हिंदी कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति ने शाम को यादगार बना दिया।

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    गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के धर्म सत्ता और समाज सत्र में उपस्थित स्वामी दीपांकर व डा.उमेर अहमद इलियासी।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। लिटरेरी फेस्ट का एक सत्र अध्यात्म और आध्यात्मिक चर्चा के नाम रहा। ''''धर्म, सत्ता व समाज'''' विषय पर सजे इस सत्र में इस्लामिक धर्मगुरु डा. उमेर अहमद इलियासी और हिंदू धर्मगुरु स्वामी दीपांकर ने धर्म को लेकर समाज में फैली और फैलायी जा रही भ्रांतियों पर खुल कर चर्चा की। धर्म का वास्तविक अर्थ और उद्देश्य भी बताया।

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    डा. इलियासी ने कहा कि धर्म कर्तव्य का दूसरा नाम है। सभी मान्यताओं का सम्मान करना, सभी से मुहब्बत करना और सभी के साथ अपनेपन की भावना रखना ही धर्म है। धर्म कभी बांटता नहीं न बंटता है। इंसान वर्चस्व के लिए धर्म काे बांट रहा हैं। ऐसे में धर्म के भावों का सम्मान नहीं हो पा रहा है।

    उन्होंने कहा कि गीता और भगवान राम केवल हिंदुओं के हैं यह कहना गलत है। वह सबके हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान की रोशनी से ही हमारी संकुचित सोच विस्तार लेगी। धर्म को लेकर लोगों की गलतफहमी दूर होगी।

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    स्वामी दीपांकर ने कहा कि जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। धर्म संगठित होना सिखाता है। हमें अपनी संस्कृति को लेकर सजग रहना होगा। अगली पीढ़ी तक संस्कृति को पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है। जातिवाद ने हमें कमजोर किया है। इसने हमें बांटा है। किसी भी शास्त्रीय संदर्भ में जाति का कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता। यह हम इंसानों की देन है। हमें इससे उबरना होगा। समाज की एकता के लिए यह जरूरी है। सत्र संचालन अमृता धीर मेहरोत्रा ने किया। सूत्रधार भव्य श्रीवास्तव रहे।

    गोरखपुर लिटफेस्ट के उद्घाटन सत्र में संबोधित करते पद्म श्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी।


    अधिक पारदर्शी हुई है मीडिया : सौरव शर्मा

    मीडिया पर चर्चा को समर्पित ''''साख पर सवाल'''' विषय पर आयोजित सत्र में वरिष्ठ पत्रकार सौरव शर्मा ने कहा कि मीडिया पहले से अधिक पारदर्शी हुइ है, ऐसे में इस पर यह आरोप लगाना कि यह राजनेताओं के नजदीक पहुंच गई है, गलत होगा। अब सारी चीजें मीडिया के जरिये लोगाें के सामने हैं। पहले ऐसा नहीं था। जनता अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हो तो कौन सी मीडिया उसके साथ नहीं खड़ी रहेगी। अन्ना आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में जब प्रदर्शन कर रही थी तो उस समय मीडिया उस संघर्ष के साथ ही खड़ी थी। महज सवाल पूछने से कोई सत्ता का समर्थक नहीं होता।

    वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने कहा कि इंटरनेट मीडिया ने मीडिया जगत को ज्यादा प्रभावी व शक्तिशाली बनाया है। सत्र का संचालन आशीष श्रीवास्तव ने किया। सूत्रधार की भूमिका प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने निभाई।

    गोरखपुर लिटफेस्ट में संबोधित करते सांसद रविकिशन।


    मंच पर उतरी ''''हरिश्चंद्र तारामती'''' की जीवन यात्रा

    गोरखपुर : आमजन को कर्तव्य व निष्ठा का संदेश देने वाली ''''हरिश्चंद्र तारामती'''' की कहानी नौटंकी शैली में लिटरेरी फेस्ट के मंच पर उतरी। नाटक में नगाड़े के प्रयोग ने इसे और भी जीवंत बना दिया। कलाकारों ने दिखाया कि किस तरह सत्य पथ पर चलते हुए राजा हरिश्चंद्र ने अपना राजपाठ दान कर दिया और स्वयं को डोम के हाथों बेच दिया। हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित की मौत के बाद के घटनाक्रम के अंत में उनके सत्य की ही विजय होती है।

    गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में नाट्य मंचन करते कलाकार।


    नाटक का मंचन सोशल इंक्लूजन वेलफेयर सोसायटी के कलाकारों ने किया। स्व. शेषनाथ मणि लिखित नाटक का निर्देशन विवेक श्रीवास्तव ने किया। जयओम ने हरिश्चंद्र, प्रिया गुप्ता ने तारामती, दक्ष श्रीवास्तव ने रोहित, चंद्रेश ने इंद्र, अजय यादव ने विश्वामित्र और उपेंद्र तिवारी ने गुरु वशिष्ठ की जीवंत भूमिका से नाटक को यादगार बना दिया। नागेंद्र भारती, रितेश चौहान, मिथिलेश तिवारी, डिंपल, प्रियंका, उपहार, सूरज श्रीवास्तव ने अपने शानदार अभिनय के दर्शकों के दिल पर छाप छोंड़ी।

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    प्रकाश संयोजन अजित सिंह, वस्त्र विन्यास अनिल गौड़, मंच व्यवस्था गगन श्रीवास्तव व सुमित श्रीवास्तव और रूपसज्जा राधेश्याम ने किया। गायिका शिप्रा दयाल रहीं। वाद्य यंत्रों पर सोनू श्रीवास्तव, संजय यादव व लालमन ने सहयोग दिया।

    गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में कविता का संगीतमयी प्रस्तुति करते कलाकार।


    हिंदी कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति ने मोहा मन

    लिटरेरी फेस्ट की शाम हिंदी कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति के नाम रही।आदित्य राजन व उनके समूह ने गोरखवाणी, कबीर के दोहे, दुष्यंत कुमार की रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया। संगीतकार आदित्य राजन ने गज़लों और लोकगीतों के साथ-साथ ''''जो मैं जानती'''' ''''बिछड़त हैं सैंया'''' ''''काहे किरिया धरावेला तू'''' जैसे गीतों भी प्रस्तुति दी, जिस सुनकर श्रोता झूम उठे। पवन कुमार ने परकशन और कार्तिकेय द्विवेदी ने गिटार पर संगत से समां बांध दिया। कार्यक्रम का संचालन अंजली श्रीवास्तव ने किया।