ठोस साक्ष्यों के आधार पर पड़े थे आयकर के छापे, AI से हो रही वित्तीय लेनदेन की निगरानी
प्रधान आयकर निदेशक रमन कांत गर्ग ने बताया कि गोरखपुर में आयकर छापे ठोस साक्ष्यों पर आधारित थे। विभाग अब AI से वित्तीय लेनदेन की निगरानी कर रहा है और ' ...और पढ़ें

विदेशी संपत्ति न छुपाएं, ब्लैक मनी एक्ट में कार्रवाई। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। प्रधान आयकर निदेशक (जांच) रमन कांत गर्ग ने स्पष्ट किया है कि गोरखपुर और आसपास के जिलों में हाल में हुई सर्च व सर्वे की कार्रवाई ठोस साक्ष्यों के आधार पर की गई थी। आयकर विभाग के अधिकारियों ने इस दौरान टैक्स चोरी से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं।
उन्होंने कहा कि विभाग टेक्नोलाजी आधारित, गैर-टकराव वाले तरीकों से टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए ईमानदार करदाताओं के लिए सुविधा प्रदाता की भूमिका निभाता रहेगा।
मंगलवार को प्रत्यक्ष कर भवन के कान्फ्रेंस हाल में आयोजित ‘चाय पर चर्चा’ कार्यक्रम में प्रधान आयकर निदेशक (जांच) रमन कांत गर्ग ने शहर के चार्टर्ड अकाउंटेंट और टैक्स प्रैक्टिशनर्स को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अब हर वित्तीय लेनदेन पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से कड़ी निगरानी रख रही है।
विभाग डेटा विश्लेषण के जरिए विदेशी संपत्ति और संदिग्ध लेनदेन की पहचान कर संबंधित व्यक्तियों को एसएमएस या ईमेल भेज रहा है। स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सूचना कोई नोटिस नहीं, बल्कि एक संकेत है कि करदाता अपने लेनदेन का पुनर्मूल्यांकन कर लें।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की तरफ से “नज 2.0” अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से करदाताओं को उनके रिटर्न में अनजाने में हुई त्रुटियों की पहचान और सुधार में मदद करने के उद्देश्य से संचालित है।
तकनीकी प्रस्तुतियों के बाद प्रतिभागियों के सवालों और व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए एक ओपन-हाउस सेशन आयोजित किया गया, जिसमें अधिकारियों ने स्पष्ट और विस्तृत उत्तर दिए। इस मौके पर आयकर विभाग के संयुक्त निदेशक प्रांजल सिंह, तथा सहायक निदेशक उत्सव पांडे भी उपस्थित रहे।
31 दिसंबर तक सुधार की अंतिम सीमा
यदि किसी करदाता को अपने दाखिल रिटर्न या वित्तीय विवरणों में कोई विसंगति नजर आती है, तो उनके पास 31 दिसंबर तक इसमें सुधार करने का अवसर है। समय रहते सुधार करने से भविष्य की जटिलताओं और जुर्माने से बचा जा सकता है। यदि किसी टैक्सपेयर को नज कम्युनिकेशन (एसएमएस/ईमेल) प्राप्त होता है, तो उसे अपने वार्षिक सूचना विवरण (एआइएस) की तुरंत समीक्षा करें। विसंगतियों को दूर करने के लिए सेक्शन 139 (8ए) के तहत अपडेटेड रिटर्न (आइटीआर-यू) दाखिल करने का विकल्प है।
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विदेशी संपत्ति पर विशेष ध्यान
वर्तमान में आयकर विभाग का मुख्य फोकस 'फारेन एसेट' की जांच पर है। प्रधान निदेशक ने जोर देकर कहा कि यदि किसी भारतीय नागरिक की विदेश में कोई संपत्ति है या वह वहां वाहन टैक्स अदा करता है, तो उसे अनिवार्य रूप से 'शेड्यूल फारेन एसेट' के कालम में प्रदर्शित करना होगा। जानकारी छिपाना गंभीर कानूनी कार्रवाई का आधार बन सकता है। विदेशी संपत्तियों का खुलासा न करने पर, भले ही वे टैक्स-पेड आय से अर्जित हों, ब्लैक मनी अधिनियम, 2015 के तहत कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
गलत डिडक्शन के प्रति चेतावनी
विभाग ने करदाताओं को मेडिकल इंश्योरेंस या अन्य किसी भी कटौती के दावों में सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि करदाताओं को किसी भी प्रकार के गलत डिडक्शन के आधार पर टैक्स क्लेम नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर विभाग सख्त रुख अपना सकता है।
उन्होंने कहा कि सेक्शन 80GGC सहित अन्य मदों में फर्जी या अयोग्य कटौतियों पर विभाग की विशेष नजर है। विभाग हाई-रिस्क मामलों की पहचान के लिए क्रास-वेरिफिकेशन कर रहा है और आवश्यकतानुसार कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।

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