यूपी में अफसरों की टेबलों पर फाइलों की जगह लेने लगा लैपटॉप, पेपरलेस वर्किंग को मिलेगा बढ़ावा
गोरखपुर में डीएम की सख्ती के बाद ई-ऑफिस प्रणाली लागू हो रही है। कार्यालयों में अब फाइलों की जगह लैपटॉप ने ले ली है। डीएम ने ऑफलाइन फाइलें लौटा दी हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार 2025 से सभी कार्यालयों में ई-ऑफिस अनिवार्य है। जीडीए और नगर निगम जैसे विभाग पेपरलेस वर्किंग की ओर बढ़ रहे हैं जिससे जनता और अधिकारियों को सुविधा होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।

अरुण चन्द, जागरण गोरखपुर। डीएम दीपक मीणा की सख्ती के बाद शासन की ओर से जनवरी 2025 में अनिवार्य की गई ई-आफिस व्यवस्था अब जिले के कार्यालयों में धरातल पर उतरती दिख रही है।
कलेक्ट्रेट समेत विभिन्न विभागों में अधिकारियों के टेबलों पर फाइलाें के ऊंचे-ऊंचे बंडल की जगह लैपटाप और कंप्यूटर लेने लगा है तो पेन की जगह माउस ले रहा है। एक बार चेतावनी के बाद दूसरी बार फिर से फाइलें भेजने पर डीएम ने दस्तखत करना ही बंद कर दिया है।
दो दिन पहले शिक्षा विभाग के एक उच्चाधिकारी की ओर से भेजी गई फाइल को डीएम ने लौटा दिया। उनकी यह सख्ती कलेक्ट्रेट के अधिकारियों के बीच चर्चा में है। अधिकारियों, कर्मचारियों का कहना है कि डीएम का यह रुख देख संकेत साफ है कि अब आफलाइन का विकल्प ज्यादा दिन काम नहीं आएगा। हालांकि, रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके कई अधिकारी, कर्मचारी नई व्यवस्था को लेकर पशोपेश में हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि हर हाल में एक एक जनवरी 2025 से सभी ब्लाक, तहसील, मुख्यालय और मंडल कार्यालय में ई-आफिस प्रणाली पर ही पत्रावलियों का निस्तारण और पत्राचार हो। उन्होंने हिदायत दी थी कि किसी भी दशा में आफलाइन पत्रावली और पत्राचार स्वीकार न किए जाएं।
इसके बाद से ही प्रशासन से लेकर प्राधिकरण तक में तैयारियां शुरू तो हुई लेकिन, कार्य व्यवहार में उतर नहीं पा रहीं थी। यद्यपि, ब्लाक और तहसील कार्यालयों में अभी भी इस प्रणाली को लागू करने में समय लगने की उम्मीद है। लेकिन कलेक्ट्रेट, गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए), नगर निगम और शिक्षा विभाग के विभिन्न अनुभागों में पेपरलेस वर्किंग पर जोर है।
डीएम की मंशा प्रमुख विभागों में पूरी तरह ई- आफिस प्रणाली लागू कराकर छोटे विभागों और फिर तहसील और ब्लाक में भी इस पूरी तरह लागू करने की है।
इस नई व्यवस्था के पूरी तरह लागू हो जाने से किसी भी पटल के टेबल से लेकर कर्मचारियों के हाथों तक में फाइलें नहीं दिखेंगी। सारे काम आनलाइन होंगे। सभी कार्यालयों में पेपरलेस कार्य होगा। शासन या स्थानीय स्तर पर जारी आदेश की प्रति कागजों में संबंधित अधिकारी के पास नहीं भेजी जाएगी बल्कि मेल पर जाएगी।
जीडीए के उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन का कहना है कि प्राधिकरण में ई-आफिस प्रणाली पर ही काम करने पर जोर दिया जा रहा है। मानचित्र, नामांतरण, टेंडर आदि समेत कई काम आनलाइन ही निस्तारित किए जा रहे हैं। जल्द ही पूरी तरह पेपरलेस वर्किंग शुरू हो जाएगी। अधिकारियों और कर्मचारियों को ई-फाइल बनाने और उसे आगे बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि निगम में भी सभी अधिकारियों के लागिन पासवर्ड तैयार करने के साथ ही प्रशिक्षण देने का काम पूरा हो चुका है। धीरे-धीरे ई- आफिस प्रणाली पर काम शिफ्ट किया जा रहा है।
ई-आफिस प्रणाली के लाभ-
ई-आफिस प्रणाली पूरी तरह लागू होने से जनता का काफी समय बचेगा। साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों काे भी सहूलियत मिलेगी। समीक्षा भी आसान होगी। एक क्लिक पर कहीं से भी फाइलें खुल जाएंगी और उनकी स्थिति जांची जा सकेगी।
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संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों को एक निर्धारित समय में फाइल पर संज्ञान लेना होगा। ऐसे में किस स्तर पर कौन सी फाइल कहां रुकी हुई है, इसकी भी आसानी से निगरानी की जा सकेगी। निर्धारित समय में फाइलों का निस्तारण हो सकेगा और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी।
ई-आफिस
ई-आफिस, उत्तर प्रदेश सरकार के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस कार्यक्रम के अंतर्गत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) है। यह साफ्टवेयर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआइसी) की ओर से विकसित किया गया है और इसका उद्देश्य, उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों एवं कार्यालयों में होने वाले समस्त कार्यों/प्रक्रियाओं को अधिक कुशल, प्रभावी, पारदर्शी बनाना है।
शासन का निर्देश है कि सभी विभागों में ई-आफिस प्रणाली पर ही काम हो। समीक्षा भी चल रही है। एक बार का मौका देकर सभी को साफ तौर पर ये निर्देश दिए जा रहे हैं कि ई-आफिस प्रणाली के जरिए ही फाइलें मेरे पास एक टेबल से दूसरे टेबल या कार्यालय भेजें। बड़ा बदलाव है। जल्द ही पूरी तरह सभी विभाग इसे आत्मसात कर लेंगे। ब्लाक और तहसील स्तर पर भी निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही वहां भी ई-आफिस प्रणाली पूरी तरह लागू हो जाएगी। - दीपक मीणा, डीएम, गोरखपुर
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