UP के इस शहर में कुत्ते हुए और आक्रामक, एबीसी सेंटर पर लगे ताले ने बढ़ाई मुसीबत
गोरखपुर में कुत्तों के प्रजनन काल के चलते वे आक्रामक हो गए हैं जिससे शहर में दहशत है। नसबंदी और टीकाकरण केंद्र बंद होने से स्थिति और गंभीर हो गई है। रोजाना ढाई सौ से ज्यादा लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। नगर निगम नई फर्म की तलाश में है पर अभी तक कोई हल नहीं निकला है। राज्य सरकार ने कुत्तों को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। प्रजनन काल होने की वजह से इस समय जब कुत्ते सर्वाधिक आक्रामक हो गए हैं तो इनसे बचाव, इन्हें पकड़कर बंध्याकरण (स्टरलाइजेशन) और रेबीज रोधी टीकाकरण का काम ही पूरी तरह ठप पड़ गया है। एक पखवारे से अधिक समय से गुलरिहा में संचालित एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर पर ताला लटक रहा है।
पुरानी फर्म जो इसका संचालन कर रही थी, उसने नौ सितंबर को ही काम बंद कर दिया। वहीं नई फर्म के लिए नगर निगम की तलाश ही पूरी नहीं हो पा रही है। निगम ने एक रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया था लेकिन, एक फर्म को छोड़ किसी और ने रुचि ही नहीं दिखाई। अब शुक्रवार को निगम ने दूसरी बार आरएफपी जारी किया है। तीन अक्टूबर तक आवेदन मांगे गए हैं। चार को बिड खुलेगी।
15 दिन से कुत्ता काटने की घटनाएं शहर से लेकर देहात तक बढ़ी हैं। रोजाना 250 से अधिक लोग जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने के लिए आ रहे हैं। कई लोग नगर निगम में भी शिकायत कर चुके, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
शहर के दाउदपुर, नंदानगर, रूस्तमपुर, रसूलपुर, मियां बाजार, अलीनगर, रेती रोड, हुंमायूपुर, राप्तीनगर, पादरी बाजार, देवरिया बाईपास समेत विभिन्न क्षेत्रों की कई गलियों में तो रात के 11 बजे के बाद से कुत्तों की वजह से आना-जाना प्रभावित हो गया है।
बड़ी संख्या में कुत्ते इन गलियों में डेरा जमाए रहते हैं। ऐसे में अब जबकि ज्यादा प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है तो कुत्तों को पकड़ने, उनके बंध्याकरण आदि की पुरानी व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी है। या ये कहें कि कोई व्यवस्था रह ही नहीं गई है। ऐसे में कोर्ट की सख्ती के बाद शासन की तरफ से जारी निर्देशों का पालन हो पाना भी मुश्किल दिख रहा है।
निराश्रित और आक्रामक कुत्तों के बढ़ते हमलों को देखते हुए राज्य सरकार ने गत दिनों कड़े कदम उठाते हुए कई दिशा निर्देश जारी किए थे। सड़क पर घूमने वाला ऐसा कोई कुत्ता यदि किसी व्यक्ति को काटता है, तो नगर निगम को उस कुत्ते को तत्काल 10 दिनों के लिए एबीसी सेंटर में निगरानी में रखना होगा।
इस दौरान उसका बंध्याकरण और रेबीज रोधी टीकाकरण अनिवार्य रूप से किया जाएगा, ताकि आगे संक्रमण का खतरा कम हो सके। इन 10 दिनों में कुत्ते के स्वास्थ्य और व्यवहार की प्रतिदिन निगरानी की जाएगी। इसकी पूरी जानकारी एक तय प्रोफार्मे पर दर्ज करनी होगी। इसमें कुत्ते की दैनिक गतिविधियां, स्वास्थ्य स्थिति और किसी भी आक्रामकता के संकेत आदि शामिल हैं ।
वहीं एबीसी सेंटर से छोड़ने से पहले कुत्ते में माइक्रो चिप लगाना होगा, जो भविष्य में उसकी आसानी से पहचान सुनिश्चित करेगी। यह चिप सिस्टम कुत्ते की ट्रैकिंग में मददगार साबित होगा और बार-बार होने वाले हमलों को रोकने में सहायक होगा।
एक महत्वपूर्ण प्रविधान यह भी किया गया है कि यदि माइक्रो चिप लगे किसी कुत्ते द्वारा दूसरी बार किसी व्यक्ति को काटने की घटना सामने आती है और यह 'अप्रेरित हमला' (यानी बिना उकसावे का हमला) सिद्ध होता है, तो ऐसे कुत्ते को आजीवन एबीसी सेंटर में ही रखा जाएगा। इसे सड़क पर दोबारा नहीं छोड़ा जाएगा, जिससे जनता की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। लेकिन, गोरखपुर में इसपर अमल कब शुरू होगा, जिम्मेदार यह बता पाना कठिन दिख रहा है।
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क्यों इस समय ज्यादा आक्रामक हो गए हैं कुत्ते-
पशु चिकित्साधिकारियों के अनुसार सितंबर से अक्टूबर के बीच कुत्तों के अधिक आक्रामक होने का मुख्य कारण नर कुत्तों का प्रजनन काल (ब्रीडिंग सीजन) होता है, जिससे उनमें हार्मोनल बदलाव आते हैं और वे अन्य कुत्तों व इंसानों पर हावी होने की कोशिश करते हैं।
इस समय मादा कुत्ते बच्चों को जन्म देती हैं, जिससे उनमें भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर आक्रामकता बढ़ जाती है। इसके अलावा, इस दौरान तापमान में बदलाव भी आक्रामकता को प्रभावित करता है।
एबीसी सेंटर का संचालन करने वाली पुरानी फर्म ने गत दिनों काम बंद कर दिया है। नई फर्म के लिए टेंडर जारी किया गया है। जल्द ही चयन कर सेंटर का संचालन पूर्व की तरह शुरू हो जाने की उम्मीद है। - डा. रोबिन चंद्रा, पशु कल्याण एवं चिकित्साधिकारी, नगर निगम
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