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    गोरखपुर कैंट स्टेशन को जल्द मिलेगा एक और रास्ता, आसान होगी राह

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 11:35 AM (IST)

    गोरखपुर कैंट स्टेशन पर दूसरा प्रवेश द्वार बनने से यात्रियों का सफर आसान हो जाएगा। रेलवे प्रशासन ने सेना की भूमि का चिह्नांकन कर लिया है और नए नक्शे के साथ निर्माण प्रक्रिया तेज कर दी है। क्रासिंग पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी और स्टेशन को सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त रेलवे क्रासिंग पर एक ओवरब्रिज भी बनाया जाएगा।

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    गोरखपुर छावनी स्टेशन का विस्तृत प्रस्ताव तैयार। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर कैंट स्टेशन को गोरखपुर जंक्शन की तर्ज पर जल्द एक और रास्ता मिल जाएगा। कैंट स्टेशन पर सेकेंड इंट्री (दूसरा द्वार) का रास्ता साफ हो गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक उदय

    बोरवणकर के दिशा-निर्देश पर कैंट स्टेशन पर भी सेकेंड इंट्री के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है। रेलवे प्रशासन ने सेकेंड इंट्री का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के साथ विस्तृत प्रस्ताव के साथ नया नक्शा भी तैयार कर लिया है। यथाशीघ्र निर्माण के टेंडर आदि की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।

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    स्टेशन पर आवागमन करने वाले हजारों लोगों की राह आसान हो जाएगी। यात्रियों को स्टेशन पर आवाजाही के लिए रेलवे क्रासिंग पार नहीं करनी पड़ेगी। क्रासिंग पर जूझने से मुक्ति मिलेगी। यात्री एम्स की गेट से आर्मी पब्लिक स्कूल होते हुए सीधे स्टेशन पहुंच जाएंगे। ट्रेन नहीं छूटेगी।

    रेलवे प्रशासन ने सेकेंड इंट्री के लिए स्टेशन से दक्षिण की तरफ सेना की 7790 वर्ग मीटर भूमि का चिह्नांकन कर लिया है। प्रथम प्रस्ताव के अनुसार 20 मीटर चौड़ी और करीब 500 मीटर लंबी सड़क बनाई जानी थी।

    पिलर आदि भी गड़ गए थे। लेकिन आगे की कार्यवाही ठप पड़ी थी। महाप्रबंधक ने कैंट स्टेशन के निरीक्षण के दौरान सेकेंड इंट्री के प्रस्ताव का अवलोकन करने के बाद निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक सुझाव के साथ अहम दिशा-निर्देश जारी किया है।

    ऐसा नहीं है कि कैंट पर आवागमन के लिए रास्ता नहीं है। कैंट स्टेशन पर उत्तर की तरफ फर्स्ट इंट्री है, लेकिन रास्ते में पूर्व की तरफ स्थित रेलवे क्रासिंग पड़ती है, जो लोगों के आवागमन में रोड़ा बनी हुई है। इस क्रासिंग से होकर प्रतिदिन लगभग 200 ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में क्रासिंग अक्सर बंद ही रहती है।

    हमेशा जाम की स्थित बनी रहती है। लोग कैंट पर आवागमन से कतराते हैं। हालांकि, कैंट स्टेशन की उपयोगिता बढ़ गई है। कैंट को 20 करोड़ रुपये की लागत से सैटेलाइट टर्मिनल स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।

    कैंट से दो पैसेंजर ट्रेनें भी चलने लगी हैं। एक और चलाने की तैयारी है। आने वाले दिनों में कैंट से ही नरकटियागंज, छपरा और वाराणसी रूट पर चलने वाली लोकल ट्रेनें संचालित की जाएंगी।

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    रेलवे क्रासिंग पर पुल निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू

    गोरखपुर कैंट रेलवे क्रासिंग पर भी 69 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 674 मीटर लंबा और 17 मीटर चौड़ा ओवरब्रिज (उपरिगामी) पुल बनेगा। रेलवे प्रशासन ने गोरखपुर कैंट स्टेशन क्रासिंग (157 ए) पर ओवरब्रिज के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

    निर्माण कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। ओवरब्रिज बन जाने से रेल यात्री ही नहीं आमजन की राह भी आसान होगी। गोरखपुर कैंट स्टेशन के अलावा नंदानगर, झरना टोला, लालगंज, गायत्रीनगर, उंचवा, दरगहिया आदि दर्जन भर मोहल्ले के लाखाें लोगों का आवागमन सुगम होगा। रेल यात्रियों की न ट्रेन छूटेगी और लोगों को न क्रासिंग खुलने का इंतजार करना पड़ेगा।

    गोरखपुर कैंट स्टेशन के सेकेंड इंट्री का नक्शा तैयार किया गया है। रिवाइज्ड विस्तृत प्रस्ताव बनाया गया है, जिसके स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। इस कार्य के हो जाने से गोरखपुर कैंट स्टेशन पर यात्रियों का आवागमन आसान होगा तथा सुविधाएं बढ़ेंगी।

    - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे