रुपये लेकर पहुंचे गोरखपुर AIIMS के निलंबित OS, जमा नहीं कर सके
गोरखपुर एम्स में गबन के आरोप में निलंबित कार्यालय अधीक्षक रामऔतार द्वारा पैसे जमा करने की कोशिश को प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया। एम्स प्रशासन एफआईआर का इंतजार कर रहा है जबकि पुलिस का कहना है कि उन्हें आवश्यक दस्तावेज नहीं मिले हैं। कैग ऑडिट में काउंटर संख्या 34 पर 3.21 लाख रुपये की हेराफेरी का पता चला था।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गबन की पुष्टि के बाद निलंबित किए गए एम्स के कार्यालय अधीक्षक (ओएस) रामऔतार अब रुपये जमा करने के लिए परेशान हैं। बुधवार को वह रुपये लेकर जमा करने पहुंचे थे लेकिन एम्स प्रशासन ने मना कर दिया। बताया गया कि कानून के अनुसार ही अब रुपये जमा होंगे।
एम्स प्रशासन को ओएस के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने का इंतजार है। 27 सितंबर को तहरीर देने के बाद पांच दिन बीत चुके हैं लेकिन एम्स थाना पुलिस ने एफआइआर नहीं दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि एम्स प्रशासन ने कागजात मांगे गए हैं लेकिन अब तक नहीं मिले हैं। एम्स प्रशासन का कहना है कि पुलिस को सभी कागजात दिए जा चुके हैं। इसके आधार पर एफआइआर दर्ज करनी चाहिए थी।
अगस्त में गबन की पुष्टि के बाद से एम्स प्रशासन ने ओएस को दो बार कारण बताओ नोटिस दिया था। सूत्रों का कहना है कि ओएस को रुपये जमा करने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब निलंबन और एम्स थाने में तहरीर देने के बाद मामला मीडिया में आया तो ओएस ने रुपये जमा करने की कोशिश शुरू की। बुधवार को वह तहरीबन दो लाख रुपये लेकर पहुंचे थे।
यह है मामला
एम्स की ओपीडी में काउंटर संख्या 34 पर जांच रोगियों के जांच का शुल्क जमा होता है। पिछले दिनों काम्प्ट्रोल एंड आडिटर जनरल (कैग) आफ इंडिया की टीम ने एम्स में आडिट की थी। पता चला कि चार नवंबर 2024 को काउंटर संख्या 34 पर जमा रुपये तीन लाख 21 हजार 319 रुपये एम्स के खाते में नहीं आए हैं।
टीम ने अगस्त 2025 में अपनी रिपोर्ट दी तो एम्स प्रशासन को गबन की जानकारी हुई। ओएस रामऔतार के पास कैश काउंटर का भी प्रभार था। इसे देखते हुए उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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आरोप है कि ओएस ने जवाब नहीं दिया तो उन्हें दूसरी बार कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसका भी जवाब नहीं मिला तो शनिवार को उन्हें निलंबित कर दिया गया। निलंबन का आदेश प्रशासनिक अधिकारी पुनीत चतुर्वेदी की ओर से जारी किया गया है।
स्टैंड के रुपये में भी घोटाले की आशंका
एम्स परिसर में साइकिल, बाइक व कार स्टैंड से इकट्ठा होने वाले रुपये में भी बड़े घोटाले की आशंका है। एम्स प्रशासन लंबे समय से इसका टेंडर नहीं कर सका है। सूत्रों का कहना है कि स्टैंड से मिले रुपये कई दिनों तक नहीं जमा किए जाते हैं। रुपये भी वसूली के अनुरूप नहीं जमा होते हैं। कई बार इसे लेकर आपत्ति भी उठी है लेकिन अब तक जांच नहीं की जा सकी है। ओएस के निलंबन के साथ ही स्टैंड से इकट्ठा रुपये को जमा करने की जांच की मांग उठने लगी है।
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