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    यूपी के इस जिले में 110 किलो तेजपत्ता, 50 किलो मेथी मिली खराब, खाद्य विभाग की टीम ने किया पर्दाफाश

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 01:56 PM (IST)

    गोरखपुर में खाद्य विभाग ने अंशुल इंटरप्राइजेज पर छापा मारकर 110 किलो खराब तेजपत्ता और 50 किलो मेथी नष्ट कराई। कुट्टू और सिंघाड़े के आटे के नमूने भी लिए गए। सहायक आयुक्त डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने कुट्टू के आटे के संभावित खतरों के बारे में भी बताया जैसे कि त्वचा पर चकत्ते पेट दर्द और एलर्जी।

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    तेजपत्ता और कसूरी मेंथी की जांच करते खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के अधिकारी। सौजन्य खाद्य सुरक्षा विभाग

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। खराब तेजपत्ता और मेथी बाजार में बिकने के पहले खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की नजर में आ गई। तारामंडल क्षेत्र के बुद्ध विहार पार्ट सी स्थित अंशुल इंटरप्राइजेज पहुंची खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम को 110 किलोग्राम तेजपत्ता और 50 किलोग्राम मेथी खराब मिली।

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    टीम ने अपने सामने इसे नष्ट कराया। इसके साथ ही कुट्टू व सिंघाड़ा आटा, रामदाना व मिश्री के नमूने लिए। कुट्टू आटा का इस्तेमाल करने के पहले खुद भी जांच के लिए प्रेरित किया।

    सहायक आयुक्त खाद्य डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि अंशुल इंटरप्राइजेज से सिंघाड़ा आटा, कुट्टू आटा, रामदाना व मिश्री के नमूने लिए गए। तारामंडल क्षेत्र के ही सिलबट्टा से कुट्टू आटा व सिंघाड़ा आटा के नमूने लिए गए। जांच में कई कमी मिलने पर दोनों प्रतिष्ठानों को सुधार के लिए नोटिस जारी किया गया है। नष्ट कराई गई सामग्री की कीमत हजारों रुपये में है।

    यह है कुट्टू का आटा

    कुट्टू का आटा किसी अनाज से नहीं बनता। कुट्टू एक प्रकार का फल है, जिसे ''''बकव्हीट'''' कहते हैं। यह एक पौधे पर उगता है। इसके तने लाल और फूल सफेद या गुलाबी होते हैं। जब यह पौधा पूरी तरह से पक जाता है तो इस पर छोटे-छोटे, तिकोने आकार के फल आते हैं। इन्हीं फलों को सुखाकर और पीसकर कुट्टू का आटा बनाया जाता है। यही वजह है कि इसे अनाज की श्रेणी में नहीं रखा जाता और व्रत में इसका सेवन किया जाता है।

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    पुराना कुट्टू हो सकता है खतरनाक

    डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कुट्टू में फैगोपीरिन नामक रसायन होता है। यदि कुट्टू बहुत ज्यादा मात्रा में खाया जाए तो यह सूरज की रोशनी से त्वचा पर चकत्ता या जलन पैदा कर सकता है। यदि कुट्टू सही तरीके से इकट्ठा न किया जाए तो उसमें फफूंदी विष उत्पन्न हो सकते हैं। इससे उल्टी, दस्त या पेट दर्द हो सकता है।

    यदि कुट्टू का आटा ठीक से भुना या पका न हो तो उसमें मौजूद एंजाइम और रसायन पेट की तकलीफ या विषाक्त प्रतिक्रिया पैदा कर सकते हैं। कुछ लोग कुट्टू या इसके प्रोटीन के प्रति एलर्जिक होते हैं। इससे त्वचा पर रेशेज, सांस लेने में कठिनाई या पेट की समस्या हो सकती है।