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    यूपी के अंदर टैक्स में मिली छूट तो ई-रिक्शा लेने की मची होड़, इस वजह से मुनाफे का बना कारोबार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:38 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में टैक्स में छूट मिलने के बाद ई-रिक्शा का कारोबार मुनाफे का जरिया बन गया है। परमिट की अनिवार्यता खत्म होने से ई-रिक्शा खरीदने ...और पढ़ें

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    परमिट की अनिवार्यता खत्म होने पर किसी ने 36 तो कोई 12 रिक्शा लेकर चलवा रहा भाड़े पर। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। परमिट की अनिवार्यता खत्म होने और टैक्स में छूट मिलने के बाद शहर में ई-रिक्शा का कारोबार सवारी से ज्यादा मुनाफे का जरिया बन गया है। हालात यह हैं कि कोई 36 ई-रिक्शा निकलवाकर सड़कों पर चलवा रहा है तो कोई 12। मालिक को न चार्जिंग की चिंता, न मरम्मत का झंझट। रिक्शा चले या न चले, चालक को रोजाना तय रकम देनी ही पड़ती है। नए ई-रिक्शा पर 350 और पुराने पर 300 रुपये प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं।

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    अक्टूबर 2022 से पहले ई-रिक्शा खरीदने पर प्रति सीट 600 रुपये वार्षिक टैक्स देना पड़ता था। चार सीट वाले ई-रिक्शा पर 2400 रुपये टैक्स के साथ परमिट भी अनिवार्य था। इससे लोग सीमित संख्या में ही ई-रिक्शा खरीदते थे। लेकिन टैक्स और परमिट की बाध्यता खत्म होते ही ई-रिक्शा खरीदने की होड़ मच गई। आरटीओ कार्यालय की सूची के अनुसार अरविंद पांडेय के नाम 36 ई-रिक्शा दर्ज हैं।

    दिलीप शर्मा और रितिका कुमारी के पास 12-12, अब्दुला अंसारी के पास 11 ई-रिक्शा हैं। राकेश कुमार श्रीवास्तव के पास नौ, इंद्रा प्रताप मिश्रा के पास आठ और आनंद कुमार, अरविंद कुमार तिवारी, वीरेंद्र नायक, मंजू पाठक, शमसुद्दीन, उमाशंकर व शशीकांत के नाम सात-सात ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। इसके अलावा 14 लोगों के पास छह-छह, 13 लोगों के पास पांच-पांच और 84 लोगों के पास चार-चार ई-रिक्शा हैं, जिन्हें भाड़े पर चलवाया जा रहा है।

    पहले भाड़े पर अब खुद का खरीदा ई-रिक्शा
    मूल रूप से बिहार के रहने वाले लाला साहब रानीबाग में परिवार के साथ किराए पर रहते हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने किश्त पर सफेद रंग का ई-रिक्शा खरीदा है। बातचीत में लाला बताते हैं कि पहले वह भाड़े पर ई-रिक्शा चलाते थे। मालिक को इससे कोई मतलब नहीं रहता था कि रिक्शा कौन चला रहा है, चालक बालिग है या नहीं, लाइसेंस है या नहीं।

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    दिनभर की मेहनत के बाद शाम को सिर्फ तय रकम 350 रुपये देना जरूरी होता था। चार्जिंग से लेकर छोटी-मोटी मरम्मत तक का खर्च चालक ही उठाता था। गोरखनाथ क्षेत्र के राजू बताते हैं कि वह भी भाड़े पर ई-रिक्शा चला रहे हैं। पुराना ई-रिक्शा होने के कारण उन्हें रोजाना 300 रुपये मालिक को देने पड़ते हैं। पांच साल बाद बैट्री बदलवानी पड़ती है। इसके अलावा लाइट जैसी मामूली खराबियां आती हैं, जिन्हें चालक ही ठीक कराता है। मालिक की दिलचस्पी सिर्फ तय शुल्क तक सीमित रहती है।

    अधिक आमदनी के लिए बैठाते आठ सवारी
    शुरुआती नियम के अनुसार एक ई-रिक्शा पर सिर्फ चार सवारी ही बैठ सकती थी। लेकिन जबसे छूट मिली है तब से चालक छह से आठ सवारी बैठाकर चलते है। जबकि तीन पहीये वाले इस ई-रिक्शा की बनावट ऐसी है कि अगर उसका कोई भी एक पहिया छोट गड्ढे में गया तो वह पलट जाता है। इसके बाद भी चालक अधिक आमदनी के चक्कर में सवारियों के साथ खिलवाड़ करते हैं। साथ ही बैट्री बचाने के लिए रात के समय लाइट बंद कर चलाते हैं।


    अक्टूबर 2022 से ई-रिक्शा पर लगने वाला छूट और परमिट की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस वजह कई लोगों ने व्यवसाय बना लिया और एक से अधिक ई-रिक्शा खरीदकर भाड़े पर चलवा रहे हैं। इस पर रोक लगाने की कार्रवाई चल रही है। प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों के पास भेजा गया है। नाबालिग चालकों और क्षमता से अधिक सवारी लेकर चलने वालों के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

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    -संजय कुमार झां, आरटीओ प्रवर्तन