UP News: एम्स से निकाली गई युवती की मौत, कर्ज लेकर इलाज कराने आया था पिता; तस्वीरें देख कांप उठेगा कलेजा
एम्स गोरखपुर से दुखद खबर सामने आई है। इमरजेंसी से निकाली गई एक युवती की एम्ब्युलेंस में ही मौत हो गई। पिता का आरोप है कि लापरवाही के कारण उनकी बेटी की जान चली गई। उन्होंने प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सांसद और कार्यकारी निदेशक से शिकायत करने की बात कही है। एम्स प्रशासन ने हालांकि किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी से शनिवार रात निकाली गई युवती की उपचार के लिए ले जाते समय एंबुलेंस में ही मृत्यु हो गई। पांच प्रतिशत ब्याज पर 50 हजार रुपये कर्ज लेकर बेटी का उपचार कराने आए पिता ने लापरवाही का आरोप लगाया है।
उन्होंने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद और कार्यकारी निदेशक से भी करने की बात कही है। हालांकि एम्स प्रशासन ने उपचार में किसी भी तरह की लापरवाही से इन्कार किया है। मीडिया सेल की चेयरमैन डा. आराधना सिंह ने कहा कि मेडिसिन आइसीयू में बेड न होने की जानकारी देकर युवती को शनिवार शाम छह बजे रेफर कर दिया गया था। इसके बाद भी घर वाले उसे लेकर नहीं गए। युवती दुर्लभ रोग गुलियन बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित थी।
देवरिया जिले के भाटपाररानी की हाईस्कूल की छात्रा 22 वर्षीय पूजा को तीन दिन पहले सांस लेने में दिक्कत हुई थी। थोड़ी देर बाद उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया। किसान पिता उमाकांत प्रजापति ने बताया कि देवरिया के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
एम्स के इंमरजेंसी में भर्ती मरीज पूजा को अचानक रात में बाहर निकाल दिया गया था। मरीज की मां अमृता की शिकायत पर पहुंची पुलिस। जागरण (फाइल)
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शनिवार सुबह बेटी को लेकर एम्स की इमरजेंसी में आया। यहां कई बार गिड़गिड़ाने के बाद डाक्टरों ने शाम तकरीबन चार बजे बेटी को भर्ती किया। तब तक हालत और बिगड़ चुकी थी। डाक्टरों ने बेटी का कोई उपचार नहीं किया। जो भी डाक्टर आते थे, पर्चा में कुछ लिखकर चले जाते थे। उपचार के नाम पर ग्लूकोज की बोतल चढ़ा दी गई थी। बेटी की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और शाम छह बजे हायर सेंटर ले जाने की बात कहते हुए बाहर कर दिया गया।
पैर पकड़ता रहा लेकिन कोई नहीं पसीजा
पिता ने बताया कि तीन बेटियों व एक बेटे में पूजा तीसरे नंबर की थी। किसान होने के साथ ही श्रमिक के रूप में काम कर परिवार का भरण-पोषण करता हूं। पांच प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेकर अच्छे उपचार की आस में एम्स आया था। जब डाक्टरों ने हायर सेंटर जाने को कहा तो उनसे गुहार लगाने लगा।
एम्स के इंमरजेंसी में मरीज पूजा को पुलिस ने दोबारा भर्ती कराया था लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसे फिर बाहर कर दिया गया था। जागरण (फाइल)
पैर पकड़कर कहा कि यदि रेफर करना है तो एंबुलेंस उपलब्ध करा दें लेकिन किसी ने नहीं सुनी। इमरजेंसी के बाहर दो एंबुलेंस खड़ी थी पर उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके बाद पुलिस को सूचना दी। पुलिसकर्मियों को भी इमरजेंसी में नहीं जाने दिया जा रहा था। किसी तरह दोबारा अंदर किया गया लेकिन 10 मिनट के अंदर बाहर कर दिया गया।
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किसी तरह बाहर निकलकर एंबुलेंस किया और बिटिया को लेकर निकला पर रास्ते में ही उसका निधन हो गया। पिता ने बताया कि रविवार को एम्स के कार्यकारी निदेशक के कार्यालय से फोन आया था। पूरी जानकारी ली गई है। मैंने सब कुछ बता दिया है।
एम्स के इंमरजेंसी से मरीज पूजा को बाहर निकालता एम्स का गार्ड। जागरण
एंबुलेंस किसके लिए खड़ी है?
एम्स की इमरजेंसी के बाहर दो एंबुलेंस खड़ी है। एम्स प्रशासन को यह एंबुलेंस कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत मिले हैं लेकिन इनका लाभ रोगियों को नहीं मिलता है। रोगियों को यदि रेफर किया जाता है तो प्राइवेट एंबुलेंस से जाना पड़ता है। सवाल उठता है कि दो एंबुलेंस किसके लिए खड़ी की गई है।
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