गोरखपुर पुलिस ने डाला डेरा: शिकोहाबाद में डिग्रियों की जांच, नोएडा में हो रही सरगना की तलाश
गोरखपुर पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री बनाने और बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। जांच के दायरे में अब अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय भी आ गए हैं। गोरखपुर पुलिस की टीम शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) में डेरा डाले हुए है जहां अब तक दो मेडिकल कॉलेजों की चार डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं। नोएडा में रहने वाले गिरोह के सरगना की भी तलाश चल रही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मेडिकल की फर्जी डिग्री बनाने और बेचने वाले गिरोह की जांच के दायरे में अब अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय भी आ गए हैं। गोरखपुर पुलिस की टीम शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) में डेरा डाले है, जहां अब तक दो मेडिकल कालेजों की चार डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं।
इनमें से दो डिग्रियां जेएस विश्वविद्यालय शिकोहाबाद और दो आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्धति बोर्ड, लखनऊ की हैं। तीन अन्य संदिग्ध डिग्रियों का सत्यापन चल रहा है, जिनकी रिपोर्ट दो दिन में आने की उम्मीद है।
नोएडा में रहने वाले गिरोह के सरगना की भी तलाश चल रही है। पुलिस को संदेह है कि फर्जी डिग्रियां सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों से भी जारी कराई गई हैं। इन्हीं डिग्रियों के सत्यापन के लिए खोराबार थाने की पुलिस टीम होली बाद संबंधित स्थानों पर जाएगी।
मामला 24 फरवरी को तब सामने आया, जब पुलिस ने खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में संविदा पर तैनात डा.राजेश कुमार और उसके साथी सुशील चौधरी को गिरफ्तार किया। दोनों के पास से 21 फर्जी मेडिकल डिग्रियां बरामद हुईं। पुलिस की जांच में पता चला कि इनमें से कुछ डिग्रियां कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों से जारी हुई थीं।
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गिरोह के सरगना की तलाश नोएडा और गाजियाबाद में चल रही है। गिरफ्तार डा. राजेश कुमार और सुशील चौधरी ने स्वीकारा है कि इस नेटवर्क के दो मुख्य आपरेटर नोएडा में हैं, जो मेडिकल डिग्रियां तैयार करवाते थे। पुलिस की एक टीम वहां डेरा डाले हुए है।
लाखों रुपये में बेंचते थे डिग्री। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)
जांच में पता चला है कि गिरोह मेडिकल, फार्मेसी और आयुर्वेदिक डिग्रियां पांच से 10 लाख रुपये में बेचता था। इन डिग्रियों पर फर्जी मोहर और प्रमाणपत्र तैयार किए जाते थे, जिससे वे असली जैसी दिखें। पुलिस बैंक खातों और काल रिकार्ड की भी जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन-किन लोगों ने पैसे देकर फर्जी डिग्रियां बनवाई हैं।
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जांच के दायरे में आने वाले सभी विश्वविद्यालयों से डिग्रियों का सत्यापन कराया जा रहा है। होली के बाद टीम दूसरे राज्यों में जाकर दस्तावेज की जांच करेगी। अब तक की जांच में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, गिरोह के सरगना व अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी चल रही है। - अभिनव त्यागी, एसपी सिटी गोरखपुर
इन विश्वविद्यालयों की डिग्रियां मिली थीं
शिकोहाबाद और लखनऊ में चार डिग्रियों को फर्जी घोषित करने के बाद पुलिस टीम अब देशभर की नौ अन्य विश्वविद्यालय से संपर्क कर रही है। इनमें राजीव गांधी यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज (कर्नाटक), ओपीजेएस यूनिवर्सिटी (राजस्थान), आइके गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, आयुष एंड हेल्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी (छत्तीसगढ़), आइएफटीएम यूनिवर्सिटी (मुरादाबाद) और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (मेरठ) शामिल हैं।
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