Coca-Cola की बोतल के लिए गीडा में तैयार होगा प्लास्टिक दाना, लोगों को मिलेगा रोजगार
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कोका-कोला की बोतलों के लिए प्लास्टिक दाना तैयार करने वाली कंपनी एसएलएमजी बेवरेजेज की स्थापना से न केवल 600 लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि प्लास्टिक पार्क की कंपनियों की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा। कंपनी हर साल 36 हजार टन प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर 24 हजार टन ग्रेनुअल (दाना) तैयार करेगी।

राजीव रंजन, जागरण, गोरखपुर। बेकार हो चुकीं प्लास्टिक की बोतलें गोरखपुर के उद्योगों के लिए भी काम आने वाली हैं। बेकार हो चुकीं बोतलों को रिसाइकिल कर कोका कोला कंपनी की बोतलों को बनाने के लिए प्लास्टिक का दाना (रेजिन) तैयार होगा। कोका कोला की पार्टनर कंपनी एसएलएमजी बेवरेजेज अगले साल से इसका उत्पादन शुरू कर देगी।
गीडा के प्लास्टिक पार्क में भूखंड के आवंटन के बाद कंपनी ने निर्माण की कवायद शुरू कर दी है। नए साल की शुरुआत से ही कंपनी वेस्ट प्लास्टिक बोतल को रिसाइकिल कर इस दाने को तैयार करना शुरू कर देगी।इससे न सिर्फ 600 लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि प्लास्टिक पार्क की कंपनियों की जरूरतों को भी पूरा करेगा।
प्लास्टिक की बोतलें शहर की भी बहुत बड़ी समस्या हैं। ये न सिर्फ नालों आदि को चोक कर देतीं हैं बल्कि अन्य कई तरह से पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इनके निदान की कवायद शुरू की गई है। अपनी गोरक्षनगरी भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। प्लास्टिक की बोतल वाले कचरे को रिसाइकिल कर फिर से काम का चीज बना दिया जाएगा। एसएलएमजी बेवरेजेज इसके लिए रिसाइकलिंग प्लांट लगाने जा रही है।
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कंपनी की योजना के अनुसार कोका कोला की पार्टनर कंपनी एसएलएमजी बेवरेजेज हरेक साल इस तरह के 36 हजार टन प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करेगी और करीब 24 हजार टन ग्रेनुअल (दाना) तैयार करेगी। बेकार हो चुके प्लास्टिक का फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाकर कंपनी न सिर्फ पर्यावरण को संरक्षण करने में मदद करेगा। साथ ही यह संयंत्र देश में प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद करेगा। यह पैकेजिंग के अलावा अन्य प्लास्टिक उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराने में भी मददगार साबित होगा।
गीडा। जागरण
देश के अन्य स्थानों से भी कच्चे माल की आपूर्ति
कंपनी को हरेक साल करीब 36 हजार टन प्लास्टिक की बोतलों की आवश्यकता पड़ेगी। इस जरूरत को कंपनी आसपास के जिलों से पूरा करेगी। वहीं, अगर यहां की बेकार हो चुकी प्लास्टिक बोतलें कंपनी के मानक पर खरी उतरेंगी तो कंपनी यहां से इनकी खरीद करेंगी।
गोरखपुर शहर से हरेक दिन करीब चार से पांच टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। नगर निगम इन्हें मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर के माध्मम से इनका संग्रह कराता है। जिसे आवंटित फर्म के द्वारा कानपुर आदि जगहों पर भेजा जाता है।
कंपनी बेकार प्लास्टिक के बोतलों से दाना (रेजिन) तैयार करेगी। कोका कोला कंपनी समेत अन्य कंपनियों को इनकी आपूर्ति बोतल बनाने के लिए किया जाता है। जरूरत के अनुसार प्रदेश के विभिन्न स्थानों से रा मटेरियल के रूप में बेकार हो चुकी प्लास्टिक की बोतलें मंगाई जाएंगी। गोरखपुर से भी इनकी खरीद होगी। 2026 से इनका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। -आदित्य पाल, लाइजनिंग आफिसर, एसएलएमजी बेवरेजेज
बड़े उद्योगों की वजह से खुली छोटे उद्योगों की राह
गोरखपुर में बड़े उद्योगों के आने से छोटे उद्योगों के लिए भी राह खुल रही है। खाद कारखाना के फिर से शुरू होने गोरखपुर में हाई डेनसिटी पालीएथीलिन (एचडीपी) बैग बनाने वाली कंपनियों को भी काफी फायदा हुआ है। माडर्न लेमिनेटर्स, एबीआर पेट्रो समेत कुछ और कंपनियां खाद कारखाना में अपने बैग की आपूर्ति करती हैं।
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वहीं, गैलेंट, सुरेश एग्रो, गोयल एडिबल आदि कंपनियों में तैयार होने वाला मैदा का आपूर्ति पारले-जी, क्रेजी ब्रेड समेत अन्य कंपनियों में होता है। गन मेटल, कास्ट आयरन समेत अन्य कास्टिंग के उत्पाद भी गीडा की विभिन्न कंपनियों को यहां की फैक्ट्रियों से आपूर्ति हो जाती है। वहीं अब गीडा के प्लास्टिक पार्क में जिस तरह की कंपनियां स्थापित हो रही हैं, वह यहां के प्लास्टिक उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने में काफी सहायक साबित होगी।
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