Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gorakhpur News: एसबीआई जंगल कौड़िया शाखा में 71.20 लाख का घोटाला, जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 10:42 AM (IST)

    एसबीआई की जंगल कौड़िया शाखा में हुए फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच अधिकारी ने पुलिस को सौंपी 78 पन्नों की रिपोर्ट में 71.20 लाख रुपये के गबन का पता चला है। आरोपियों ने फर्जी तरीके से पेंशन जारी कर फर्जी ऋण पास कर बैंक को चूना लगाया। कैशियर शाखा प्रबंधक भास्कर भूषण और कैंटीन संचालक पंकज मणि त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई जारी है।

    Hero Image
    एसबीआई जंगल कौड़िया शाखा में फर्जीवाड़ा। जागरण

    जागरण संवाददाता, जंगल कौड़िया। एसबीआई की जंगल कौड़िया शाखा में हुए फर्जीवाड़ा की जांच रिपोर्ट जांच अधिकारी सुरेश कुमार ने पुलिस को सौंप दी। 78 पन्नों की रिपोर्ट में 71.20 लाख रुपये का गमन पाया गया। आरोपितों 13 मृत समेत अन्य के नाम फर्जी तरीके से पेंशन जारी कर दिया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके अलावा कई लोगों के नाम से फर्जी ऋण पासकर खाते से निकाल लिया था। वर्ष 2024 में बैंक अधिकारी की तहरीर पर पुलिस ने कैशियर अमरेंद्र सिंह, शाखा प्रबंधक भास्कर भूषण और कैंटिन संचालक पंकज मणि त्रिपाठी पर केस दर्ज किया था। इसके बाद कैशियर और शाखा प्रबंधक को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। 16 जनवरी 2025 को कैंटिन संचालक ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।

    वर्ष 2024 में रसूलपुर चकिया निवासी राजू सिंह ने एसबीआई के अधिकारियों से शिकायत की थी। बताया था कि उसने शाखा में दो एफडी में रकम जमा की थी। बिना जानकारी दिए ही उनकी तीन लाख की एफडी तोड़ दी गई। पूरी रकम पंकज मणि त्रिपाठी के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। जबकि एफडी की मूल प्रति उनके पास है। बैंक अधिकारियों की जांच में आरोप सही पाया गया।

    इसे भी पढ़ें- अब नहीं अटकेगा आपका बिजनेस! सीएम योगी ने किया बड़ा ऐलान, 10 लाख नए युवा उद्यमी तैयार करेगी सरकार

    इसके बाद अधिकारियों ने पीपीगंज थाने में तहरीर देकर तत्कालीन शाखा प्रबंधक कुमार भास्कर भूषण, कैशियर अमरेंद्र सिंह और कैंटिन संचालक पंकज मणि त्रिपाठी के विरुद्ध केस दर्ज कराया था। राजू की शिकायत के बाद करीब एक दर्जन और लोगों ने इसी तरह की शिकायत की थी। इसके बाद पुलिस के साथ एसबीआई लखनऊ प्रधान कार्यालय के जांच अधिकारी सुरेश कुमार भी मामले की जांच कर रहे थे।

    सीबीआई टीम। जागरण


    इसी क्रम में सुरेश कुमार ने पुलिस को 78 पन्ने की जांच रिपोर्ट दी है। इसमें उन्होंने 71.20 लाख रुपये का गमन पाया है। बताया है कि आरोपितों ने पेंशन ऋण से संबंधित, पशु ऋण संबंधित, 13 मृत पेंशन लोगों समेत अन्य के नाम से ऋण स्वीकृत कर फर्जीवाड़ा किया गया है। साथ ही तीन लोगों के नाम से केसीसी फर्जी ऋण स्वीकृत किया गया है।

    पेशकार का जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त

    रिश्वत लेने के आरोपित व कैंपियरगंज तहसील में तैनात तत्कालीन पेशकर अरविंद कुमार श्रीवास्तव का जमानत प्रार्थनापत्र विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ओमकार शुक्ल ने निरस्त कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक घनश्याम त्रिपाठी का कहना था कि शिकायतकर्ता सुबाष सिंह पीपीगंज थाना क्षेत्र के गागपार का निवासी है।

    24 जनवरी, 2025 को उसने एक शिकायती प्रार्थनापत्र भ्रष्टाचार निवारण संगठन गोरखपुर इकाई को दिया, जिसमें बताया कि उसके ससुर रामनवल की मृत्यु 28 सितंबर, 2014 को हो चुकी है और उन्हें दो बेटियां थीं। इस लिहाज से संपूर्ण संपत्ति की वारिस बेटी अमरावती और कमलावती हुईं।

    इसे भी पढ़ें- यूपी के शहर में आबादी, प्लाटिंग के पास वाली कृषि भूमि भी हुई महंगी; वजह हैरान करने वाली

    शिकायतकर्ता की पत्नी के चाचा आदि लोगों ने जालसाजी कर संपत्ति को अपने नाम वरासत करा लिया। इस संबंध में शिकायतकर्ता ने वर्ष 2014 में ही न्यायालय तहसीलदार कैंपियरगंज में वाद दाखिल किया है। 12 दिसंबर, 2024 से न्यायालय द्वारा आदेश सुरक्षित है। उसी मुकदमे में आदेश कराने के नाम पर न्यायालय के आरोपित पेशकार ने शिकायतकर्ता से दो लाख रुपये रिश्वत की मांग की।