पुलिस दस्तावेजों में तलाश रही डॉ. कफील अहमद खान का पुराना इतिहास
बीआरडी के बाल रोग विभाग के डा. कफील अहमद खान की गिरफ्तारी से पुलिस काफी राहत महसूस कर रही है। पुलिस 2009 में दिल्ली में कफील की गिरफ्तारी पर लगी रोक का भी पता लगाने में जुटी है।
गोरखपुर (जेएनएन)। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में मासूमों की मौत के मामले में गिरफ्तार डा. कफील अहमद खान समेत अन्य आरोपियों का पुराना इतिहास जानने के लिए पुलिस दस्तावेजों की तलाश में लगी है। मेडिकल कालेज से पुलिस टीम ने लगातार तीन दिनों तक दबिश देकर कई कागजात कब्जे में लिए हैं।
पुलिस ने डा. कफील के पुराने मामलों की वर्तमान स्थिति जानने के लिए दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक से कई दस्तावेज मंगा लिए हैं। सूत्रों की मानें तो पुलिस इन पुराने मामलों को इस मुकदमे का हिस्सा तो नहीं बनाएगी, लेकिन उन मामलों में लगे कई दस्तावेजों का इस्तेमाल इस मामले में कर सकती है।
बीआरडी के पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्र, डा. पूर्णिमा के बाद बाल रोग विभाग के डा. कफील अहमद खान की गिरफ्तारी से पुलिस काफी राहत महसूस कर रही है। बाकी आरोपियों की तलाश में दबिश के साथ-साथ पुलिस गिरफ्तार हो चुके आरोपियों पर अपराध साबित करने के लिए साक्ष्य एकत्र करने में जुटी है। डा. कफील पर आरोपित धाराओं के संबंध में सबूत एकत्र करने के लिए पुलिस लगातार कोशिश में लगी है।
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पुलिस वर्ष 2009 में जनकपुरी, दिल्ली में हुई कफील खान की गिरफ्तारी के बाद मेडिकल कालेज कैंपस में उन पर लगी रोक के बाबत उनकी तरफ से बैंगलोर हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की वर्तमान स्थिति का भी पता लगाने में जुटी है। पुलिस ने इसके लिए सभी दस्तावेजों को मंगा लिया है, जिसका परीक्षण चल रहा है।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुराने मामलों का परीक्षण करने के बाद अगली रिमांड पर पुलिस धाराओं में बढ़ोतरी भी कर सकती है।
उधर, डा. राजीव मिश्र और डा. पूर्णिमा पर धाराओं में संशोधन होने की गुंजाइश कम है, लेकिन जिन धाराओं में पुलिस ने रिमांड बनवाया है, उसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी एकत्र कर लिए है। आरोपियों की जमानत अर्जी पड़ते समय इसका विरोध करने के लिए पुलिस साक्ष्यों को एकत्र करने मेंं जुटी है।
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