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    असमंजस खत्म, नगर क्षेत्र में शामिल हुए 33 परिषदीय विद्यालय, पिछले तीन वर्षों से शिक्षक व संगठन कर रहे थे मांग

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:13 PM (IST)

    गोरखपुर में नगर निगम सीमा के विस्तार के बाद, 33 परिषदीय विद्यालय औपचारिक रूप से नगरीय क्षेत्र में शामिल हो गए हैं। इन विद्यालयों की प्रशासनिक, शैक्षणि ...और पढ़ें

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    विद्यालय के साथ ही नगर क्षेत्र में बढ़े 244 शिक्षक। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नगर निगम सीमा के विस्तार के बाद वर्षों से प्रशासनिक असमंजस का सामना कर रहे 33 परिषदीय विद्यालय अब औपचारिक रूप से नगरीय क्षेत्र में शामिल कर लिए गए हैं। इसके साथ ही इन विद्यालयों से जुड़ी समस्त प्रशासनिक, शैक्षणिक और वित्तीय प्रक्रियाएं अब ग्रामीण नहीं बल्कि नगर क्षेत्र से संचालित होंगी। यह निर्णय शिक्षकों के लिए बड़ी राहत है।

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    वर्ष 2019 में नगर निगम गोरखपुर की सीमा का विस्तार करते हुए चरगांवा और खोराबार क्षेत्र की 32 राजस्व ग्राम सभाओं को नगर निगम में शामिल किया गया था। इसके बावजूद इन ग्राम सभाओं में संचालित 33 परिषदीय विद्यालयों को नगरीय संवर्ग में शामिल नहीं किया गया। नगर विकास विभाग के शासनादेश के बावजूद वर्षों तक स्थिति स्पष्ट न होने से विद्यालय न तो ग्राम सभा के अंतर्गत प्रभावी रूप से रह पाए और न ही नगर क्षेत्र का लाभ उन्हें मिल सका।

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    इस असमंजस का सीधा असर विद्यालयों के विकास कार्यों पर पड़ा। न तो ग्राम प्रधान और न ही नगर पार्षद इन विद्यालयों के लिए ठोस भूमिका निभा पा रहे थे। शिक्षकों से लेकर संगठन तक ने लगातार इस मुद्दे को उठाया और इसको लेकर आंदोलनात्मक प्रयास भी किए। अब विद्यालयों के नगरीय संवर्ग में शामिल होने को शिक्षकों ने अपने लंबे संघर्ष की जीत बताया है।

    विगत तीन वर्ष से ही ये विद्यालय भौतिक रूप से नगर निगम क्षेत्र में आ चुके थे, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण क्रियान्वयन नहीं हो पाया। अब नगरीय क्षेत्र में शामिल होने से शिक्षकों को स्थायित्व मिलेगा और भविष्य में उनका स्थानांतरण नगर क्षेत्र से बाहर नहीं हो सकेगा। पठन-पाठन को लेकर नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी भी अब दूर होगी।

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    -राजेश धर दूबे, जिलाध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ

    खोराबार व चरगांवा के 33 विद्यालयों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करने संबंधी आदेश जारी हो चुका है। इस नई व्यवस्था से जहां पठन-पाठन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि पहले की तरह शैक्षणिक गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती रहेंगी।

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    -धीरेंद्र त्रिपाठी, बीएसए