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    गंगा नदी में बाढ़ के बीच डाल्फिनों की बहार, अठखेल‍ियां पर्यटकों के लिए बनी आकर्षण का केंद्र

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 06:42 PM (IST)

    वाराणसी में गंगा नदी में बाढ़ के बाद गंगा डॉल्फिनों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। नदी में नावों की कम आवाजाही और पानी की भरपूरता के कारण डॉल्फिनों के लिए अनुकूल वातावरण बन गया है। मीरजापुर से पटना तक डॉल्फिनों की उछलकूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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    गाजीपुर में गंगा में अठखेल‍ियां करती गंगा डाल्‍फ‍िन।

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। पूर्वांचल में गंगा नदी में हाल ही में आई बाढ़ के कारण नदी में पानी की भरपूरता ने गंगा डाल्फिनों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार कर दिया है। इन दिनों, जब नदी में नावों और डीजल चालित नौकाओं का शोर नहीं है, तब गंगा डाल्फिनों की लहरों पर अठखेलियां करना आम दृश्य बन गया है।

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    पानी भले ही धीरे-धीरे उतर रहा हो, लेकिन गंगा डाल्फिनों की उछल-कूद तटवर्ती क्षेत्रों और नदी के डूब वाले इलाकों में देखने को मिल रही है। मीरजापुर से लेकर चुनार, गाजीपुर के औड़िहार और फिर पटना तक, गंगा नदी में गंगा गाय के नाम से प्रसिद्ध डाल्फिन मछलियों की संख्या में वृद्धि हुई है। इन डॉल्फिनों को इन दिनों सहजता से देखा जा सकता है। यह दृश्य न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक सुखद अनुभव है।

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    गंगा डाल्फिन, जो कि एक लुप्तप्राय प्रजाति है, संंरक्षण के उपायों की वजह से अपने प्राकृतिक आवास में लौट आई हैं। इनकी उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि गंगा नदी का पारिस्थितिकी तंत्र कुछ हद तक स्वस्थ हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब नदी में पानी का स्तर बढ़ता है, तो डाल्फिनों के लिए भोजन की उपलब्धता भी बढ़ जाती है, जिससे उनकी संख्या में वृद्धि होती है।

    गंगा डाल्फिनों की यह गतिविधि न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से स्थानीय व्यवसायों को लाभ होगा। इसके अलावा, यह गंगा नदी के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक अवसर भी है।

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    हालांकि, गंगा डाल्फिनों की सुरक्षा के लिए कई चुनौतियां भी हैं। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और मानव गतिविधियों के कारण इनकी संख्या में कमी आ सकती है। इसलिए, स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण संगठनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

    गंगा नदी की पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए जागरूकता फैलाना और संरक्षण के उपायों को लागू करना अत्यंत आवश्यक है। गंगा डाल्फिनों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि यदि हम अपने पर्यावरण की देखभाल करें, तो प्राकृतिक जीवन फिर से फल-फूल सकता है।

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    इस प्रकार, गंगा डाल्फिनों का यह अद्भुत दृश्य न केवल हमारे लिए एक आनंद का स्रोत है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने जल स्रोतों और जैव विविधता की रक्षा करनी चाहिए। गंगा नदी की यह यात्रा हमें एक नई दिशा दिखाती है, जहां हम अपने पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील बन सकते हैं।

    इस प्रकार, गंगा डाल्फिनों की अठखेलियां हमें यह सिखाती हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है। हमें चाहिए कि हम इस अनमोल धरोहर की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखें।

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