लंदन से MBA और दुबई में बनाई कंपनियां... आखिर कैसे बना फर्जी राजदूत? पढ़ें हवाला कारोबार की पूरी कहानी
गाजियाबाद में नोएडा एसटीएफ ने एक अवैध दूतावास और हवाला कारोबार का पर्दाफाश किया। कविनगर में एक कोठी पर छापा मारकर संचालक हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया। वह विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करता था। उसके पास से लाखों रुपये विदेशी मुद्राएं डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट और फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद में कविनगर थाना क्षेत्र की एक कोठी में नोएडा एसटीएफ ने अवैध रूप से माइक्रोनेशन (स्वयं-भू देश) के अवैध दूतावास चलाने और हवाला कारोबार करने का पर्दाफाश किया है।
वहीं, मंगलवार रात एसटीएफ ने छापेमारी कर संचालक 47 वर्षीय हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया। आरोपी विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर दलाली व धोखाधड़ी करता था। उसके पास से 44.70 लाख रुपये, विभिन्न देशों की विदेशी मुद्राएं, 20 डिप्लोमेटिक गाड़ियों की अवैध नंबर प्लेट, चार डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगी महंगी कारें आदि सामान बरामद किया है।
बताया गया कि आरोपी से केंद्रीय एजेंसी ने पूछताछ की है। एसटीएफ का दावा है कि आरोपी से देश की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा है।
नोएडा एसटीएफ को सूचना मिली कि कविनगर में केबी 35 कोठी में अवैध रूप से विभिन्न देशों के झंडे और गाड़ियों पर डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट लगाकर दूतावास चलाया जा रहा है। यह कोठी किराये पर ले रखी है।
एसटीएफ ने छापेमारी करने से पहले केंद्रीय एजेंसी से इसके वैध या अवैध होने के संबंध में जानकारी की। एजेंसी से एसटीएफ को पता चला कि बिना विदेश मंत्रालय की अनुमति के दूतावास नहीं खोला जा सकता।
एसटीएफ के इंस्पेक्टर सचिन कुमार कविनगर पुलिस व अपनी टीम के साथ मंगलवार रात 10.00 बजे कोठी पर पहुंचे। वहां हर्षवर्धन जैन मिला। यहां उसका परिवार भी रहता है। एसटीएफ ने हर्षवर्धन से पूछताछ की। उसने बताया कि वह कई वर्षों से लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर दलाली करता है।
सेबोर्गा, वेस्ट अंटार्कटिका, पौल्विया, लोडोनिया नाम के स्वयंभू देश हैं। उसे वर्ष 2012 में सेबोर्गा ने एडवाइजर बनाया था। सेबोर्गा ओर वेस्ट अंटार्कटिका के लोगों से मिलकर उसने वर्ष 2016 में दूतावास खोला था। पौल्विया, लोडोनिया स्वयंभू देशों ने भी उसे एंबेसडर बनाया था। कोठी पर विभिन्न देशों के झंडे लगे थे। उसने सेबोर्गा देश के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट बनवाए थे।
एसटीएफ ने उसके सोशल मीडिया एकाउंट को भी खंगाला। उसने फेसबुक पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित जाने माने लोगों के फोटो अपने साथ मार्फ कर पोस्ट किए हुए थे। इसी तरह के कुछ फोटो उसने अपने कार्यालय में लगा रखे थे।
एसटीएफ इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने कविनगर थाने में उसके खिलाफ धोखाधड़ी करने, मानव जीवन के लिए सुरक्षा का खतरा और जाली दस्तावेज का प्रयोग करने की धारा में रिपोर्ट दर्ज कराई।
बता दें कि वर्ष 2012 में कवि नगर पुलिस ने हर्षवर्धन जैन के पास से एक सेटेलाइट फोन बरामद किया था। पुलिस ने इसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की थी।
ये सामान हुआ बरामद
हर्षवर्धन जैन के नाम के कूटरचित दो प्रेस कार्ड, एक डायरी, कई बैंक खातों और लोगों के फोन नंबर, पेनड्राइव, दो पैन कार्ड, विदेश मंत्रालय की कूटरचित मोहर लगे दस्तावेज, आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, डिप्लोमेट कार्ड, अवैध सात पासपोर्ट, तुर्किये की मुद्रा लीरा, यूएई की मुद्रा दिरहम, यूरो, डालर, पाउंड, 34 फर्जी मोहरें, 12 लग्जरी घड़ियां, लैपटाप और मोबाइल बरामद हुआ है। कैश और विदेशी मुद्रा की सूचना आयकर विभाग को दी गई है।
लंदन और दुबई में बनाई कंपनियां
हर्षवर्धन ने गाजियाबाद से बीबीए और लंदन से एमबीए किया है। उसके पिता जेडी जैन उद्योगपति रहे हैं। वह जैन रोलिंग मिल के मालिक थे। उनकी राजस्थान में बांसवाड़ा एवं कांकरोली में इंदिरा मार्बल व जेडी मार्बल के नाम से माइंस थी। हर्षवर्धन लंदन में मारबल एक्सपोर्ट करता था।
वर्ष 2000 में हर्ष वर्धन चर्चित व्यक्ति चंद्रास्वामी के संपर्क में आया। चंद्रास्वामी ने इसकी मुलाकात लंदन में सउदी अरब के आर्म्स डीलर अदनान खरगोशी और एहसान अली सैयद से कराई। हर्षवर्धन ने एहसान अली के साथ मिलकर लंदन में एक दर्जन से अधिक कंपनियां बनाई।
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हर्षवर्धन वर्ष 2006 में दुबई में रहने लगा। वहां भी उसने हैदराबाद के शफीक और दुबई के इब्राहिम अली-बिन-शारमा के साथ मिलकर और कंपनियां बनाई। आरोपित ने इन कंपनियों का प्रयोग दलाली और धोखाधड़ी के लिए किया। वर्ष 2011 में वह भारत लौट आया। किराये की कोठी से 50 मीटर की दूरी पर उसकी एक पुश्तैनी कोठी है।
ये होते हैं स्वयं-भू देश
स्वयं-भू देश एक ऐसा क्षेत्र या संस्था को कहा जाता जो खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करता है। उसे मान्यता प्राप्त सरकार या संयुक्त राष्ट्र द्वारा कानूनी रूप से स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं होती है। आसान में भाषा में कहें तो ये एक छोटे समुदाय, व्यक्ति या समूह होते हैं जो दावा करते हैं कि उनका क्षेत्र एक अलग देश है लेकिन उन्हें कोई कानूनी मान्यता नहीं मिलती। यह घर, जमीन का छोटा टुकड़ा या ऑनलाइन वर्चुअल क्षेत्र भी हो सकता है। ये देश अमूमन अपनी सरकार, झंडा, मुद्रा, पासपोर्ट आदि भी बना लेते हैं।
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