Mulayam Singh Yadav News: मुलाकात नहीं हुई तो फोन कर पूछते थे समस्या, एक काल पर समाधान कराते थे नेताजी
Mulayam Singh Yadav Death News समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। राजनीति में वह बेहद चर्चित नाम रहे। वह हमेशा कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते थे।

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। धरतीपुत्र कहे जाने वाले दिग्गज नेता और समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन से न केवल सपाई बल्कि राजनीति में रूचि रखने वाले हर एक शख्स की आंखें नम है।
कार्यकर्ताओं का बढ़ाते थे हौसला
सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजनीति में उनका कोई सानी नहीं है, नेताजी से मुलाकात करने के लिए जाओ, इंतजार करो और वह मुलाकात के लिए उपलब्ध न हों तो रात को सोने से पहले फोन कर समस्या पूछते थे, एक काल पर ही समस्या का समाधान कराते थे। वह पार्टी से प्यार करो, समर्पित रहो और संगठित रहो कहकर कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते थे।
यही वजह है कि पार्टी बदलने के दौर में भी राजेंद्र चौधरी, साजिद हुसैन जैसे कई नेता ऐसा हैं, जो मुलायम सिंह यादव के दौर में एक बार सपा से जुड़े तो कभी दूसरी पार्टी का दामन नहीं थामा। वो कहते हैं के नेताजी ने हमें बनाया, हिम्मत और ताकत दी।
गाजियाबाद के वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व में सपा के जिलाध्यक्ष रहे साजिद हुसैन मुलायम सिंह यादव के साथ जुड़े अपने संस्मरण साझा करते हुए कहते हैं कि नेताजी का व्यवहार एक साधारण कार्यकर्ता के लिए भी वैसा ही था, जैसे पार्टी के एक प्रमुख नेता के प्रति होता है। वह कार्यकर्ताओं में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते थे, हमेशा कहते थे कि एकजुट रहो।
साजिद हुसैन की बेटी की शादी में शिरकत करने के लिए भी मुलायम सिंह यादव गाजियाबाद पहुंचे थे। साजिद कहते हैं कि राजनीति के अखाड़े में विरोधियों को अपने दांव से अक्सर चित कर देने वाले और सत्ता संभालने पर कड़े फैसले लेने की हिम्मत रखने वाले नेताजी मुलायम सिंह यादव मन से भी मुलायम थे, यदि किसी कार्यकर्ता या नेता से कोई गलती होती थी तो वह नेताजी के पास पहुंच जाता था, वह पल भल में उसकी गलती भुलाकर गले लगा लेते थे।
मधु चौधरी ने बताया किस्सा
सपा की वरिष्ठ नेता मधु चौधरी बताती हैं कि 1992 से उनका जुड़ाव मुलायम सिंह यादव के साथ रहा है। नेताजी ने घर पर कभी ताला नहीं लगवाया, कोई पहरेदार नहीं रखा। वह शिकायत सुनते थे और उसका समाधान कराते थे। मधु चौधरी एक संस्मरण याद करते हुए कहती हैं कि वर्ष 1996 में मुरादनगर में सरकारी जमीन पर सब्जी बेचने वालों का सामान पटवारी ने जब्त कर लिया था, सब्जियां सड़ रही थीं।
सूचना मिलने पर कार्यकर्ताओं के साथ मधु चौधरी ने थाना घेरा तो पुलिस और पीएसी पीछे लग गई। भागते हुए भिक्कनपुर पहुंचीं वहां से धर्मवीर डबास और साजिद हुसैन के साथ सीधे दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के पास गईं। उन्होंने समस्या सुनी और सीधे एसएसपी को फोन कर सख्त लहजे में चेताया, इसके बाद मामला शांत हुआ। दुकानदारों को न्याय मिला।
एक और किस्सा याद कर बताती हैं कि मुलायम सिंह यादव जब रक्षामंत्री थे तब आर्डिनेंस फैक्ट्री का गेट बंद कर दिया गया था, जबकि वहां से 10-12 गांव का रास्ता होकर जाता है, गेट बंद होने से लोगों को तीन किलोमीटर अतिरिक्त सफर करना पड़ता था, इस समस्या को लेकर वह दिल्ली में मुलायम सिंह से मुलाकात करने पहुंचीं, उन्होंने बात सुनी और घर भेजा, इसके बाद गेट खुलवा दिया गया। जिससे लोगों की राह आसान हुई।
प्रदेश में बसपा की सरकार होने पर 2010 में जब लखनऊ में सपाइयों पर लाठीचार्ज हुआ तो गाजियाबाद के कई सपा नेता भी चोटिल हुए, जिसके बाद मुलायम सिंह ने सभी से जाकर मुलाकात की थी। वो कहती हैं कि महिलाओं का उन्होंने हमेशा सम्मान किया, यदि वह कहीं जा रहें हों और रास्ते में उनसे मिलने के लिए महिलाएं खड़ी हो जाएं तो बिना मुलाकात किए वह नहीं जाते थे।
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