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    Mulayam Singh Yadav News: गुर्जर समुदाय को साधने के लिए वेस्ट यूपी में मुलायम सिंह ने चला था बड़ा दांव

    Mulayam Singh Yadav Passes Away भारतीय राजनीति के दिग्गज मुलायम सिंह यादव ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर बिरादरी को साधने के लिए डीपी यादव से दूरी बढ़ा ली थी। महेंद्र सिंह भाटी की हत्या के बाद गुर्जर बिरादरी मुलायम से खफा थी।

    By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 11:45 AM (IST)
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    Mulayam Singh Yadav Passes Away: गुर्जर समुदाय को साधने के लिए वेस्ट यूपी में मुलायम ने चला था बड़ा दांव

    नोएडा, जागरण डिजिटल डेस्क। Mulayam Singh Yadav Passes Away: लंबे समय से बीमार चल रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक और भारतीय राजनीति के दिग्गज मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह दिल्ली से सटे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया।

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    देश की राजनीति में बेहद चर्चित रहे मुलायम सिंह यादव ने लगभग चार दशक तक राजनीति में अपना परचम लहराया। आज हम मुलायम सिंह यादव यादव से जुड़े एक किस्से के बारे में बता रहे हैं। गुर्जर बिरादरी को साधने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव ने बड़ा दांव चला था।

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    डीपी यादव की वजह से मुलायम से नाराज हो गए थे गुर्जर

    बता दें कि महेंद्र सिंह भाटी की हत्या के बाद जहां वेस्ट यूपी में यादवों और गुर्जरों के बीच दूरियां बढ़ीं वहीं डीपी यादव की वजह से गुर्जर बिरादरी मुलायम सिंह यादव से नाराज रहने लगी थी। उस वक्त डीपी यादव मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी व्यक्ति थे।

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    इस बात का पता इससे चलता है कि गुर्जरों के विरोध के बावजूद मुलायम ने 1993 में डीपी को बुलंदशहर से टिकट दे दिया था। डीपी ने भाजपा के सतीश को हराकर चुनाव जीता था लेकिन कुछ वक्त के बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं थी।

    मुलायम सिंह ने डीपी यादव से किया किनारा

    महेंद्र सिंह भाटी की हत्या में डीपी का नाम आने की वजह से प्रदेश की गुर्जर बिरादरी मुलायम सिंह यादव से खफा रहने लगी थी। इस बात को भांपते हुए मुलायम ने तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष रामशरण दास के जरिये गुर्जरों को जोड़ने का प्रयास किया मगर कोई खास कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद गुर्जरों को अपने खिलाफ जाते देख मुलायम सिंह ने डीपी यादव से ही किनारा करना ठीक समझा

    महेंद्र सिंह भाटी की पुण्यतिथि पर दादरी आए थे मुलायम

    मुलायम सिंह यादव को गुर्जरों को साधने के लिए महेंद्र सिंह भाटी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने दादरी आना पड़ा था। जहां उन्हें कुछ विरोध का सामना भी सामना पड़ा था। इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने गुर्जरों के बीच बैठक महेंद्र सिंह भाटी की खुलकर प्रशंसा की थी।

    कहा जाता है कि डीपी यादव की कामयाबी की गति तेज होने की वजह से उनमें और भाटी के बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं। महेंद्र भाटी अपनी दबंगई के चलते नेता और विधायक तो बन गए लेकिन वह डीपी की तरह मंत्री कभी नहीं बन पाए। दोनों के बीच बढ़ते तनाव के बीच 13 सितंबर 1992 की रात महेंद्र सिंह भाटी की दादरी के रेलवे रोड पर फाटक के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।