RIP Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव को पसंद थे गढ़मुक्तेश्वर के आम, आया करते थे SP नेता जिया खां के यहां
RIP Mulayam Singh Yadav पूर्व रक्षामंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सैकड़ों यादें उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से जुड़ी हैं। वह इस शहर में लोगों से जुड़ाव की वजह से आते रहते थे।
हापुड़, जागरण संवाददाता। RIP Mulayam Singh Yadav : पूर्व रक्षामंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं के दिलों में आज भी जिंदा हैं। वह कार्यकर्ताओं के सुख और दुख में आकर शामिल होते थे। उनसे उनका और परिवार का हालचाल जानने से लेकर परेशानियों को दूर करते थे। यही कारण था कि वह कई बार हापुड़ जिले में आए। चुनाव का समय हाे या फिर कोई कार्यक्रम अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर वह अक्सर आ जाते थे।
केसी त्यागी के लिए मांगे थे वोट
जिलाध्यक्ष देवेंद्र जाखड़ के अनुसार नेताजी कई बार जिले में आए थे। वर्ष 1989 में वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के लाेकसभा चुनाव लड़ने के दौरान जैन कन्या इंटर कालेज में आकर वोट मांगे थे। वर्ष 2002 में रामनिवास वाल्मीकि के चुनाव की जनसभा को उन्होंने संबोधित किया था। एक समय ऐसा था, जब नगर अध्यक्ष चुनाव को लेकर विवाद चल रहा था तो उक्त विवाद को सुलझाने के लिए वह याद इलाही कुरैशी के बुलंदशहर रोड स्थित कार्यालय पर अचानक पहुंच गए थे।
जोगिंद्र सिंह की हत्या के बाद आए थे
उन्होंने कार्यकर्ताओं को एक-एक कर समझाया था और पार्टी के लिए एकजुट किया था। वर्ष 1994 में जोगेंद्र सिंह चेयरमैन की हत्या के बाद भी नेताजी आए थे और आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई का परिवार को आश्वासन दिया था।
हर वर्ग से सीधे जुड़े थे मुलायम
इसी प्रकार वह राघवेंद्र गर्ग, चौधरी शीशपाल सिंह के परिवार के हुई शादियों के कार्यक्रमों में पहुंचे थे। वरिष्ठ नेता संजय यादव बताते हैं कि सुख और दुख में कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा होना नेताजी से सीखना चाहिए। जब भी कोई कार्यकर्ता उनके पास जाकर अपनी समस्या बताता था ताे वह समाधान कराकर संतुष्ट करके ही भेजते थे। इकबाल कुरैशी के अनुसार नेताजी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वह हर वर्ग के लोगों से सीधा जुड़े हुए थे।
आम की दावत में गढ़ पहुंचे थे
गढ़ क्षेत्र के मीठे आमों का स्वाद लेने के लिए नेताजी कई बार क्षेत्र में पहुंचे थे। सपा नेता जिया खां के यहां वह अक्सर आते थे। गढ़ के आमों का स्वाद उन्हें बहुत अच्छा लगता था।