गाजियाबाद में महिला अस्पताल में रुपया मांगने और प्राइवेट अस्पताल रेफर करने पर धरना, CMO ने की सख्त कार्रवाई
गाजियाबाद के जिला महिला अस्पताल में प्रसव के दौरान पैसे मांगने के मामले में सीएमओ ने सख्त कार्रवाई की है। सीएमएस को तलब कर जानकारी ली गई और जांच समिति गठित की गई है। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है। सीएमएस ने सुविधा शुल्क वसूलने पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं और अस्पताल में मुफ्त इलाज की चेतावनी जारी की है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिला महिला अस्पताल में मंगलवार दोपहर को भारतीय किसान यूनियन (कृषक शक्ति) के कार्यकर्ताओं ने प्रसव के एवज में पैसा मांगने और कराहती गर्भवती को प्राइवेट अस्पताल रेफर करने के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था। इस मामले में बुधवार को सीएमओ डाॅ. अखिलेश मोहन ने अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डाॅ. अखिलेश त्रिपाठी को तलब करते हुए प्रकरण की पूरी जानकारी हासिल की।
नोटिस जारी कर बुलाया
साथ ही, प्रकरण में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये। सीएमओ ने सीएमएस को दो गोपनीय सीसीटीवी लगाने के निर्देश भी दिये हैं। इस प्रकरण की जांच को सीएमओ की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर दी गई है।
समिति में जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डाॅ. राकेश कुमार सिंह और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ. नीरज अग्रवाल को नामित किया गया है। समिति ने प्रकरण के दौरान ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों को नोटिस जारी करके बयान के लिए बुलाया है।
प्राइवेट अस्पताल में कराया प्रसव
सोमवार को प्रसव पीड़ा से कराहती हुई शालू को लेकर उसके पति प्रिंस शाम को चार बजे महिला अस्पताल में पहुंंचे थे। ड्यूटी पर तैनात डाॅ. सुषमा शर्मा द्वारा भर्ती करने से मना करते हुए अन्य निजी अस्पताल में प्रसव कराने को कहा गया। आशा निक्की ने भी यही कहा। बाद में प्राइवेट अस्पताल में 40 हजार रुपये खर्च करके प्रसव कराया गया।
सीएमएस हुए सख्त, जारी किया आदेश
जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डाॅ. अखिलेश त्रिपाठी अब सख्त हो गये हैं। प्रसव के एवज में सुविधा शुल्क वसूलने वाले चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। सीएमएस द्वारा स्टाफ को अंतिम चेतावनी जारी की गई।
मरीजों से रुपये लेने पर सख्ती
निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी कर्मचारी मरीजों से रुपये नहीं लेगा। अस्पताल में डाक्टर, कर्मचारी, गार्ड, आशा, आशा संगिनी, एनजीओ कार्यकर्ता को चेतावनी जारी करते हुए स्पष्ट किया गया है कि अस्पताल में उपचार के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है लेकिन कुछ सुविधाओं का शुल्क शासन द्वारा निर्धारित है। इसमें प्राइवेट वार्ड, माइनर-मेजर ओटी, डीएनसी, ओपीडी पर्चा, एएनसी पर्चे के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है।
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