लम्हों की खता में सदियों की सजा: चार वर्ष बाद आरोपी बोला-हां मैं मुजरिम हूं, कोर्ट ने लगाया 200 का जुर्माना
गाजियाबाद में चाकू रखने के दोषी शाकिब को कोर्ट ने 200 रुपये का जुर्माना लगाया है। टीला मोड़ पुलिस ने शाकिब को वजीराबाद रोड पर संदिग्ध हालत में पकड़ा था जिसके पास से चाकू बरामद हुआ था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान शाकिब ने अपना जुर्म कबूल किया और कम सजा देने की गुहार लगाई। जुर्माना न भरने पर उसे दो दिन की अतिरिक्त जेल होगी।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज सिंह की कोर्ट संख्या सात में चाकू रखने के दोषी को 200 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। जुर्माना जमा नहीं करने पर दोषी को दो दिन की अतिरिक्त कारावास भुगतनी होगी। दोषी का चार वर्ष से कोर्ट में केस चल रहा था। आखिरकार मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोषी ने कोर्ट में कहा कि हां वह मुजरिम है। वह गरीब व्यक्ति है उसे कम से कम सजा दी जाए।
पुलिस को देखते ही भागा
दो जून 2021 को टीला मोड़ पुलिस कोरोना के दौरान नियमों का पालन कराने के लिए गश्त रही थी। तभी पुलिस को वजीराबाद रोड के किनारे युवक दिखाई दिया। पुलिस ने उन्हें देखा तो वह भागने की कोशिश करने लगा। युवक को पुलिस ने पकड़ लिया। उसकी पहचान दिल्ली सीमापुरी के 18 वर्षीय शाकिब के रूप में हुई। उसके पेट में चाकू लगा हुआ था।
चार साल से चल रहा था केस
पुलिस ने दावा किया कि वह मोबाइल छीनने के उद्देश्य से खड़े हुए थे। पुलिस ने आर्म्स एक्ट 4/25 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर चाकू को सफेद कपड़े में रखकर सील कर दिया। पुलिस ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लाॅकडाउन लगा था। इस वजह से मौके पर कोई गवाह नहीं मिला। पुलिस ने विवेचना कर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। चार वर्ष से शाकिब का केस कोर्ट में चल रहा था।
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कोर्ट में जज के सवालों का दिया जवाब
मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट में उससे पूछा गया कि दो जून शाम चार बजे टीलामोड़ पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर आपके कब्जे से प्रतिबंधित चाकू बरामद हुआ, इस संबंध में आपकाे क्या कहना है?
शाकिब ने जवाब दिया- जी हां चाकू बरामद हुआ।
दूसरा सवाल पूछा गया कि क्या आप स्वेच्छा से जुर्म कुबूल कर रहे हो?
शाकिब ने उत्तर दिया- जी हां।
तीसरा प्रश्न पूछा गया कि क्या कुछ और कहना है?
शाकिब ने जवाब देते हुए कहा कि वह गरीब व्यक्ति है। उस पर परिवार की जिम्मेदारी है। उसे कम से कम सजा दी जाए।
कोर्ट ने उसका जवाब सुनकर आयुध अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। सजा के बिंदु पर सुनने के लिए दोषी को अभिरक्षा में लिया गया। उसकी जेल में बिताई गई अवधि को ध्यान में रखकर और 200 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना नहीं देने पर दोषी को दो दिन की अतिरिक्त कारावास भुगतनी पड़ेगी।
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