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    'दुष्कर्म और वास्तविक प्रेम के मामलों में अंतर करने की जरूरत', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जताई चिंता

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 20 Aug 2025 06:56 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दुष्कर्म और वयस्क हो रहे युवाओं से जुड़े वास्तविक प्रेम के मामलों में अंतर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। पीठ ने कहा जब मामले वास्तविक प्रेम के होते हैं तो वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं.. ऐसे मामलों में आपराधिक मामलों की व्यवहार न करें। आपको समाज की वास्तविकता ध्यान में रखनी होगी।

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    'दुष्कर्म और वास्तविक प्रेम के मामलों में अंतर करने की जरूरत'- सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दुष्कर्म और वयस्क हो रहे युवाओं से जुड़े वास्तविक प्रेम के मामलों में अंतर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कहा कि पुलिस को यह पता लगाने के लिए जांच करनी चाहिए कि मामला अपहरण व तस्करी का है या फिर सच्चे प्यार का।

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    क्या आप कह सकते हैं कि प्यार करना अपराध है?- पीठ

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने सह-शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों का उल्लेख करते हुए कहा, ''अब, उनमें एक-दूसरे के लिए भावनाएं विकसित हो जाती हैं। क्या आप कह सकते हैं कि प्यार करना अपराध है? हमें इसमें और दुष्कर्म इत्यादि जैसे आपराधिक कृत्य में अंतर रखना होगा।''

    शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें सवाल उठाया गया है कि क्या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पाक्सो) अधिनियम के तहत सहमति की आयु 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष की जानी चाहिए या नहीं।

    पीठ ने लड़की को लेकर कही ये बात

    पीठ ने कहा, ''जब मामले वास्तविक प्रेम के होते हैं, तो वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं.. ऐसे मामलों में आपराधिक मामलों की व्यवहार न करें। आपको समाज की वास्तविकता ध्यान में रखनी होगी।''

    शीर्ष अदालत ने ऐसे जोड़ों को लगने वाले आघात का जिक्र किया जो आमतौर पर लड़की के माता-पिता द्वारा पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराने के बाद पुरुष साथी को जेल भेजने के कारण लगता है। यह समाज की कठोर सच्चाई है।

    पीठ ने कही ये बात

    पीठ ने कहा, घर से भागकर शादी को छिपाने के लिए भी पॉक्सो अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं। याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने सुरक्षा उपायों की मांग की।

    सहमति की उम्र को लेकर पीठ कर रही सुनवाई

    उन्होंने कहा कि सहमति की उम्र से संबंधित इसी तरह के मुद्दे पर शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ विचार कर रही है। वह याचिका में की गई मांगों के संदर्भ में शीर्ष अदालत के कुछ आदेशों को रिकॉर्ड पर रखेंगे, जिसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 26 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।

    नागरिकों के हित व्यावसायिक हितों से अधिक महत्वपूर्ण : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों के हित व्यावसायिक हितों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। शीर्ष अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और त्रिचूर (केरल) के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल प्लाजा का संचालन करने वाली कंपनी गुरुवायूर इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। चार सप्ताह के लिए टोल संग्रह निलंबित करने के केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ये याचिकाएं दायर की गई थीं।

    सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार

    प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजरिया की पीठ ने आदेश में कहा कि नागरिक सड़कों का उपयोग करने दिया जाए क्योंकि उन्होंने पहले ही कर का भुगतान कर दिया है। उन्हें गड्ढों वाले सड़क पर चलने के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना होगा।मंगलवार शाम अपलोड किए गए आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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