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    दिल्ली HC ने पत्नी को गोली मारने वाले पति की जमानत खारिज की, कहा- घरेलू हिंसा करना पति का अधिकार नहीं

    दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी को गोली मारने के आरोपी पति की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि पत्नी की असहमति पर हिंसा का अधिकार नहीं है यह पितृसत्तात्मक सोच है। कोर्ट ने घरेलू हिंसा को अस्वीकार्य बताते हुए ट्रायल कोर्ट को छह महीने में मुकदमा पूरा करने का निर्देश दिया। घटना 2018 की है जब आरोपी ने अस्पताल के बाहर पत्नी को गोली मार दी थी।

    By Ritika Mishra Edited By: Neeraj Tiwari Updated: Tue, 26 Aug 2025 06:41 PM (IST)
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    पति को हिंसा का कोई अधिकार नहीं : हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी को गोली मारने वाले एक आरोपित पति की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्नी अगर पति के साथ न रहना चाहे या उससे नाराज हो, तो भी पति को हिंसा का अधिकार नहीं है। इसे सही ठहराना पितृसत्तात्मक सोच होगी और कानून ऐसी मानसिकता को मान्यता नहीं देता।

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    अपराध किसी भी हालत में स्वीकार नहीं

    न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि पत्नी का यह अधिकार है कि वह घरेलू हिंसा से बच सके। यदि पति के गुस्से को मान्यता दी जाए तो यह पितृसत्तात्मक हकदारी को वैध ठहराना होगा, जो कानून की मंशा के खिलाफ है।

    अदालत ने यह भी कहा कि वैवाहिक संबंध ऐसे मामलों में अपराध को कम गंभीर नहीं, बल्कि और गंभीर बना देते हैं। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में समाज को यह संदेश देना जरूरी है कि घरेलू हिंसा और वैवाहिक रिश्ते में किया गया अपराध किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

    साथ ही, पीठ ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि आरोपित लगभग छह वर्ष से जेल में है, इसलिए मुकदमे की सुनवाई तेजी से की जाए और इसे छह माह के भीतर पूरा किया जाए।

    जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपित की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि घटना गुस्से में हुई थी और हत्या का इरादा नहीं था क्योंकि सिर्फ एक गोली चलाई गई है।

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    वहीं, अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपित का पहले से आपराधिक रिकार्ड है, उसने बिना लाइसेंस वाली पिस्तौल का इस्तेमाल किया और चश्मदीद गवाहों व सीसीटीवी फुटेज ने पीड़िता की गवाही को पूरी तरह सही साबित किया है।

    यह मामला वर्ष 2018 का है। आरोपित अपनी पत्नी से उसे घर चलने के लिए कह रहा था। जब पत्नी ने इंकार किया तो उसने कलावती सरन अस्पताल के बाहर पेट में गोली मार दी। पीड़िता उस समय अस्पताल में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रही थी।

    गोली लगने के बाद महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे अस्पताल में करीब एक माह तक भर्ती रहना पड़ा और चार बार सर्जरी करनी पड़ी। हालांकि जिंदगी बच गई, लेकिन उसे काफी दर्द और लंबे इलाज से गुजरना पड़ा।

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