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    Ghaziabad News: जल्द हाउस टैक्स नहीं जमा किया तो पड़ेगा भारी, एक अप्रैल से नगर निगम लगाने जा रहा मोटा जुर्माना

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 06:30 AM (IST)

    गाजियाबाद नगर निगम ने गृहकर वसूली अभियान तेज कर दिया है। 31 मार्च तक 36 करोड़ 90 लाख की वसूली का लक्ष्य रखा गया है। एक अप्रैल से बकायेदारों पर 12 प्रतिशत दंड ब्याज लगेगा। नगर आयुक्त ने समय से गृहकर जमा करने की अपील की है। बड़े बकायेदारों को चिह्नित कर सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है। अवकाश के दिनों में भी टैक्स विभाग कार्य कर रहा है।

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    गृहकर वसूली के लिए नगर निगम ने अभियान तेज कर दिया है। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद में गृहकर वसूली के लिए नगर निगम ने अभियान तेज कर दिया है। चालू वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक 36 करोड़ 90 लाख की वसूली का लक्ष्य निगम के पांचों जोन के जोनल प्रभारियों को दिया गया है।

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    इसके बाद एक अप्रैल से गृहकर के बकायेदारों पर 12 प्रतिशत दंड ब्याज लगेगा। नगर आयुक्त ने लोगों से अपील की है कि दंड ब्याज से बचने के लिए सभी बकायेदार समय से गृहकर जमा करें।

    सीलिंग की जा रही कार्रवाई

    नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने बताया कि गाजियाबाद नगर निगम गृहकर वसूली को लेकर लगातार कार्रवाई कर रहा है। बड़े बकायेदारों को चिह्नित तक नियमित रूप से सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है।

    निगम द्वारा कैंप भी लगवाए गए

    लोगों को गृहकर जमा करने में दिक्कत न हो। इसीलिए अवकाश के दिनों में भी निगम का टैक्स विभाग कार्य कर रहा है। कई स्थानों पर गृहकर जमा कराने के लिए कैंप भी निगम द्वारा लगवाए जा रहे हैं।

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    मालूम हो कि 12 दिन के भीतर 21 करोड़ की वसूली वसुंधरा जोन को करनी है, जबकि विजयनगर जोन को 90 लाख, मोहन नगर जोन को चार करोड़, कविनगर जोन को दो करोड़ व सिटी जोन को नौ करोड़ की वसूली का लक्ष्य पूरा करना है।

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    कर्मी के साथी ने गृहकर के वसूले 72 हजार, नहीं किए जमा

    गृहकर चुकाने के लिए किसी अनजान पर भरोसा कर रकम देना लोगों को भारी पड़ सकता है। मालीवाड़ा निवासी कारोबारी के साथ निगम कर्मी के ही एक साथी ने ऐसा किया। गृहकर जमा कराने के नाम पर कर्मचारी का साथी व्यापारी से 72 हजार रुपये ले गया लेकिन जमा नहीं कराया। गृहकर की रकम देने के बाद जब निगम से नोटिस मिला तो सारा खेल खुल गया।

    मालीवाड़ा निवासी कारोबारी सचिन सिंघल ने बताया कि कपिल नाम के निगम कर्मचारी के साथ विकास उनके घर गृहकर का बिल देने आता था। गृहकर की राशि को विकास ने निगम में जमा कराने के लिए कहा तो उन्होंने तीन से चार बार में उसे 72 हजार रुपये दे दिए। ऑनलाइन भुगतान में 25 हजार रुपये का स्क्रीन शाट उनके पास है, जबकि बाकी रकम नकद दी गई। दिसंबर में आखिरी बार विकास को रुपये दिए, जबकि जनवरी में उन्हें निगम से बकाया गृहकर का नोटिस मिला।

    इसके बाद विकास से संपर्क किया तो वह काफी समय तक टालमटोल करता रहा। आरोपी को रकम देने के बीच उससे सचिन ने रसीद भी मांगी, लेकिन पूरा भुगतान होने के बाद रसीद देने की बात कहता रहा। नगर निगम में जानकारी करने पर ही पता चला कि निगम कर्मी कपिल के साथ बिल बांटने आने वाला विकास निगम का कर्मचारी नहीं है। सचिन का आरोप है कि अब विकास उनकी काल भी नहीं उठा रहा है। अधिकारियों को लिखित में शिकायत देकर सचिन ने धनराशि को समायोजित कराने और कार्रवाई की मांग की है।

    इस प्रकरण में शिकायत मिली है। इसकी जांच जोनल प्रभारी से कराई जा रही है। लोगों से भी आनलाइन या जोनल कार्यालय में आकर गृहकर जमा करने की अपील की जा रही है। - डॉ. संजीव सिन्हा, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी

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