Ghaziabad News: बच्ची को मोबाइल पर गेम खेलने से डांटा तो की आत्महत्या, फंदे से लटका मिला शव
गाजियाबाद के मुरादनगर में एक बच्ची को घर वालों ने मोबाइल गेम खेलने से मना किया तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी। पहले तो स्वजन को लगा कि सानिया नाराज है इसलिए जवाब नहीं दे रही है लेकिन जब काफी देर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो स्वजन ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर सानिया फंदे से लटकी थी। उसे देख शबाना की चीख निकल गई।
मुरादनगर, जागरण संवाददाता। मोबाइल में गेम खेलने से डांटने पर दस वर्षीय बच्ची सानिया ने बृहस्पतिवार रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनका शव कमरे में छत पर लगे हुक में फंदे से लटका मिला। घटना मुरादनगर थाना क्षेत्र के गांव हुसैनपुर की है।
सानिया तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। मोबाइल पर गेम खेलने का काफी शौक था। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेजकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। गांव हुसैनपुर के नफीस कामगार हैं। पत्नी शबाना, दस वर्षीय बेटी सानिया, दो वर्षीय बेटे समद व समर के साथ रहते हैं।
मोबाइल छीन मारा चाटा
सानिया गांव के ही एक स्कूल की कक्षा पांच की छात्रा थी। बृहस्पतिवार रात को सानिया मोबाइल पर गेम खेल रही थी। इस बीच भाई समद रोने लगा। मां शबाना रसोई में खाना बना रही थी। समद को रोता देख उन्होंने सानिया से उसे चुप कराने को कहा, लेकिन सानिया ने नहीं सुनी। गुस्साई शबाना वहां आई और सानिया से मोबाइल छीन लिया। उसे डांटते हुए चाटा भी मार दिया।
फंदे से लटकी मिली सानिया
रोते हुए सानिया कमरे में गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। शबाना भी काम में लग गई। काफी देर तक सानिया बाहर नहीं आई तो शबाना को चिंता हुई। उन्होंने सानिया को आवाज लगाई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। नफीस भी मौके पर पहुंचे और दरवाजा पीटने लगे। पहले तो स्वजन को लगा कि सानिया नाराज है, इसलिए जवाब नहीं दे रही है, लेकिन जब काफी देर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो स्वजन ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर सानिया फंदे से लटकी थी।
उसे देख शबाना की चीख निकल गई। आनन-फानन में सानिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में एसीपी मसूरी नरेश कुमार का कहना है कि कोई शिकायत मामले में नहीं मिली है। शुरुआती जांच में मामला आत्महत्या से जुड़ा ही प्रतीत हो रहा है। पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजन को सौंप दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। उसी से मौत का सही कारण स्पष्ट होगा।
बच्चे घर में रहते हुए अधिकांश समय मोबाइल पर बिता रहे हैं। उन्होंने मैदान में खेलना बंद किया हुआ है। यही कारण है कि वे छोटी छोटी बातों पर आक्रोशित होने लगे हैं। ऐसे में जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को समय दें। उन्हें व्यायाम के लिए प्रेरित करें। - डा. कैलाश चंद, मनोचिकित्सक व सीएचसी प्रभारी।
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