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    फर्रुखाबाद में झूठी शान के लिए बहन और उसके प्रेमी को मार डाला, 3 साल बाद चारों हत्यारे सगे भाइयों को मिली सजा

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 06:46 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में झूठी शान के लिए हुए दोहरे हत्याकांड में अदालत ने चारों दोषी भाइयों को सजा सुनाई है। तीनों साल पहले चारों सगे भाइयों ने ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। तीन वर्ष पहले झूठी शान के लिए गड़ासे से बहन व उसके प्रेमी की हत्या करने वाले चार भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। न्यायाधीश ने इसके साथ ही सभी पर 12-12 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। इन चारों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बुधवार को दोषी करार दिया था।

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    कमालगंज क्षेत्र के गांव राजेपुर सरायमेदा निवासी महावीर ने छह नवंबर 2022 को गांव के ही सगे भाइयों रतन, लालू, नितिन उर्फ टनिया, नीटू व कुलदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें कहा गया था कि आरोपित रतन उनके घर आया और उनके पुत्र रामकरन को बुला ले गया। रामकरन के रतन की बहन शिवानी से प्रेम संबंध थे। काफी देर तक रामकरन घर नहीं आया तो वह तलाश करते हुए आरोपितों के घर पहुंचे। घर का दरवाजा बंद था। उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस को दी।

     

    दूसरे दिन गांव के निकट खंता नाला में आरोपितों की बहन शिवानी व उनके पुत्र रामकरन के शव मिले। मुकदमे के विवेचक तत्कालीन निरीक्षक अमरपाल सिंह ने रतन, लालू, नितिन व नीटू के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। एक अन्य आरोपित कुलदीप को विवेचना में ही क्लीन चिट दे दी गई। इस मामले में सुनवाई के दौरान एडीजीसी केके पांडेय, अखिलेश कुमार व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह वर्मा ने चारों दोषियों को हत्या व साक्ष्य मिटाने में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा 12-12 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद के आदेश दिए।

     

    नहीं मनाया राखी व भाई दूज का त्योहार

    फैसला सुनाए जाने के समय महावीर, उनकी पत्नी जानकी देवी व जनपद कन्नाैज थाना ठठिया के गांव रामपुर निवासी पुत्री अनीता न्यायालय परिसर में मौजूद थे। अनीता ने बताया कि घटना के बाद से उनका राखी व भाई दूज का त्योहार सूना हो गया। भाई की हत्या के बाद से उन्होंने त्योहार नहीं मनाया। जानकी देवी ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर भरोसा था। उन्हें आज न्याय मिला है। अधिवक्ता राजीव त्रिपाठी ने बताया कि रामकरन के पिता महावीर बीमारी में भी मुकदमे की पैरवी के लिए आते रहे। आरोपितों के लोगों ने कई बार महावीर व उन्हें भी पैरवी करने से रोका।

     

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