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    चित्रकूट कोषागार मामले में नया राजफाश, ट्रेजरी अफसरों की पहली पसंद लखनऊ की ओमैक्स सिटी, कई की कोठियां

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 09:05 PM (IST)

    ईडी चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के अनियमित हस्तांतरण की जांच कर रही है। इसमें अधिकारियों और कर्मचारियों की घोषित आय से अधिक संपत्ति, विशेषक ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। चित्रकूट कोषागार में वर्ष 2018 से सितंबर 2025 के बीच 93 पेंशनरों के खातों में अनियमित रूप से 43 करोड़ 13 लाख रुपये ट्रांसफर किए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ट्रजरी अफसरों व कर्मचारियों पर नजर है। ईडी ने ट्रेजरी गठन वर्ष 1999 से अब तक जनपद में तैनात रहे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की चल-अचल संपत्तियों खंगाल रही है। सूत्र बताते हैं कि कि लखनऊ की ओमैक्स सिटी ट्रेजरी अफसरों की खास पसंद है, जहां कई अधिकारियों की आलीशान कोठियां और प्लाट बताए जा रहे हैं।

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    सूत्रों के अनुसार 26 वर्ष की अवधि में जिले में सात वरिष्ठ कोषाधिकारी और 27 कर्मचारी तैनात रहे हैं। इनमें से तीन अफसरों ओमैक्स सिटी में कोठियां होने की जानकारी सामने आई है, जो ईडी की जांच के घेरे में आ सकती हैं। हालांकि विभागीय रिकार्ड में उपलब्ध घोषित संपत्तियों के विवरण में इन कोठियों का कहीं उल्लेख नहीं है। बताया जा रहा है कि एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ कोषाधिकारी की कोठी प्रयागराज में बनी है। वहीं एक अन्य अधिकारी ने बांदा में आलीशान कोठी बनवा रखी है।

    तीन अधिकारियों ने बनाया आशियाना

    सूत्रों का दावा है कि तीन अधिकारियों ने लखनऊ को अपना आशियाना बनाया है। इनमें से एक के पास तीन कोठियां बताई जा रही हैं, जबकि एक के नाम ओमैक्स सिटी में एक प्लॉट दर्ज है और एक अन्य की दो मंजिला कोठी का निर्माण कार्य जारी है, जिसकी जांच पहले ही एसआइटी कर चुकी है। खास बात यह है कि इन संपत्तियों को भी घोषित आय में शामिल नहीं किया गया। कुछ ने अपने सगे संबंधियों के नाम की है। ईडी की इस मामले इंट्री करीब डेढ़ सप्ताह पहले हुई थी। शुरुआती चरण में पेंशनरों, पटल सहायकों, दलालों और संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़े अभिलेख तलब किए गए। दस्तावेजों के परीक्षण के बाद अतिरिक्त रिकार्ड की मांग की गई। अब ईडी के पास सात वरिष्ठ कोषाधिकारियों और 27 कर्मचारियों की घोषित संपत्तियों का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। करीब ढाई माह से जांच कर रही एसआइटी ने भी कई अहम जानकारियां जुटाई हैं। ईडी ने एसआइटी से संपत्तियों से जुड़ी रिपोर्ट मांगी है।


    सात वर्ष से चल रहा था घोटोला, महिला पेंशनर खोला था राज

    जिला कोषागार के अफसरों व कर्मियों ने मिलीभगत कर वर्ष 2018 से 2025 के बीच सात सालों में पेंशनरों के अलग-अलग बैंक खातों में गलत तरीके से मोटी रकम भेजकर फिर वापस ले लिया। उन्हें प्रापर्टी खरीदने की धनराशि बता रकम भेजी गई व 10 प्रतिशत कमीशन का लालच देकर उनसे ही रुपये निकलवाकर बंदरबांट किया गया। इन खातों में कई ऐसे थे जो मृत पेंशनरों के नाम पर दोबारा खोले गए थे, जबकि एक खाता राजेंद्र कुमार नामक व्यक्ति के नाम से संचालित हुआ, जिसका कोई वास्तविक अस्तित्व ही नहीं मिला।

     

    खंडेहा मऊ निवासी कमला देवी ने विरोध से मामला सामने आया था। उसके खाते से 31 लाख का गबन भाई ओमप्रकाश किया था। हालांकि उसके पहले प्रयागराज एजी आफिस से आई विशेष आडिट टीम के दो आईटी विशेषज्ञों ने ट्रेजरी एक्सेस डेटा की मदद से पूरा खेल उजागर कर दिया, लेकिन विभागीय अधिकारी व कर्मचारी दबाने में जुटे थे। राज खुलने पर 17 अक्टूबर को वरिष्ठ कोषाधिकारी रमेश सिंह ने पटल सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव, अशोक कुमार, सहायक कोषाधिकारी विकास सचान, सेवानिवृत्त सहायक कोषाधिकारी अवधेश प्रताप सिंह और 93 खाताधारकों के खिलाफ कर्वी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। संदीप श्रीवास्तव की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। अब तक दो कोषागार कर्मी, 24 पेंशनर व छह बिचौलिया को पुलिस जेल भेज चुकी है।


    जांच के बाद वापस की मूल पत्रावलियां

    एसआइडी ने 93 पेंशनर की मूल पत्रावलियों की करीब एक माह बारीकी के जांच करने के बाद कोषागार को वापस कर दी है। बताते हैं कि उनके काफी गड़बड़िया मिली है जिसको लेकर कई बार अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ हो चुकी है। बीते दिनों प्रभारी सहायक कोषाधिकारी राजबहादुर, पटल सहायक योगेंद्र सिंह और राजेश भारती से रात में दो बजे तक आमने-सामने बैठाकर पूछताछ हुई थी। एसआइटी प्रभारी सीओ अरविंद कुमार ने बताया कि कुछ और लोगों के खिलाफ साक्ष्य मिल चुके हैं जल्द की उनको जेल भेजा जाएगा।