चित्रकूट कोषागार घोटाला: 1999 से तैनात भ्रष्ट अफसरों-कर्मचारियों की खैर नहीं, सभी की संपत्ति खंगाल रही ईडी
चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के पेंशन एरियर घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच का दायरा बढ़ाया है। ईडी 1999 से अब तक तैनात सात वरिष् ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, चित्रकूट। जिला कोषागार में वर्ष 2018 से 2025 के बीच 93 पेंशनरों के खातों में 43.13 करोड़ रुपये भेज कर घोटाला करने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच का दायरा बढ़ाया है। ईडी ने कोषागार की शुरुआत वर्ष 1999 से अब तक जिले में तैनात रहे सात अधिकारियों व 27 कर्मचारियों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा खंगालना शुरू कर दिया है। इससे कई पूर्व व वर्तमान अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ईडी ने शुरुआती चरण में कोषागार से जुड़े पेंशनर, पटल सहायकों, दलालों व संबंधित कर्मियों से जुड़े अभिलेख मांगे हैं। दस्तावेजों के परीक्षण के बाद ईडी ने अतिरिक्त रिकार्ड की मांग की। जिले में कोषागार का गठन एक जुलाई, 1999 को हुआ था। उस समय तैनात रहे सात वरिष्ठ कोषाधिकारियों में रामप्रकाश, पीके मेहता, पीसी राम, संपूर्णानंद, कमलेश कुमार व शैलेश शामिल हैं। इनमें से कई अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। वर्तमान में रमेश सिंह वरिष्ठ कोषाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
इन सभी अधिकारियों के साथ कोषागार में तैनात रहे 27 कर्मचारियों की संपत्ति का विवरण भी ईडी को भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार, कि ईडी अफसर अधिकारियों की तैनाती, उनके स्थानांतरण वाले जिले, पटल की जिम्मेदारी के वर्ष की भी जानकारी ले रहे हैं। कोषागार में पेंशनरों को एरियर की धनराशि का करीब 10 प्रतिशत कमीशन देकर शेष रकम अधिकारियों, कर्मचारियों व बिचौलियों के बीच बांट ली गई। इसी धन से कथित तौर पर कोठी, जमीन व गाड़ियां खरीदी गईं। घोटाले की अवधि में तैनात कुछ विभागीय लोगों ने अपनी अर्जित संपत्ति को घोषित विवरण में भी छिपाया है।
आशंका है कि यह छिपी हुई संपत्ति घोटाले की धनराशि से ही अर्जित की गई। कोषागार घोटाले की विशेष जांच टीम (एसआइटी) करीब ढाई माह से जांच कर रही है। इस दौरान उसने नामजद पेंशनरों, विभागीय कर्मियों व दलालों की संपत्तियों की गहन जांच की और महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए। एसआइटी प्रभारी सीओ सिटी अरविंद कुमार ने बताया कि कोषागार विभाग से कर्मचारियों व अधिकारियों की संपत्ति का विवरण ईडी ने मांगा है।

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