नहीं देखी होगी इंसान और मधुमक्खी की ऐसी यारी ! कहानी तो इस ‘दोस्ती’ से भी रोचक
Bulandshahr News बुलंदशहर के राजेंद्र त्यागी की मधुमक्खियों से अनोखी दोस्ती है जो 28 वर्ष से चली आ रही है। उनके इशारे पर हजारों-लाखों मधुमक्खियां उनके शरीर पर बैठ जाती हैं। वर्ष 1997 में उन्होंने मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया। उनका परिवार भी इस प्रेम को देखकर बहुत खुश है और उन्हें पूर्ण सहयोग देता है।

नितिन त्यागी, स्याना (बुलंदशहर)। स्याना नगर के मोहल्ला गढ़ बस स्टैंड निवासी शांतिकुंज हरिद्वार के कार्यकर्ता राजेंद्र त्यागी की मधुमक्खियों से दोस्ती को देखकर लोग दंग रह जाते हैं। राजेन्द्र त्यागी की मधुमक्खियों से यह दोस्ती बीते 28 वर्षों से लगातार चली आ रही है। उनके एक इशारे पर हजारों-लाखों मधुमक्खियां उनके शरीर पर बैठ जाती हैं। जहां एक ओर मधुमक्खियों का नाम सुनते ही लोगों में घबराहट शुरू हो जाती है, वहीं दूसरी ओर मधुमक्खियों की राजेन्द्र त्यागी से दोस्ती लोगों को आश्चर्यचकित करती है।
मधुमक्खी पालन का लिया प्रशिक्षण
राजेंद्र त्यागी बताते हैं कि वर्ष 1990 में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। जिसके बाद 1993 में हरिद्वार स्थित शांतिकुंज में मौन पालन का प्रशिक्षण लेने के लिए चले गए। वहीं प्रशिक्षण के दौरान ही सन 1997 में राजेन्द्र त्यागी ने अपने कृषि फार्म पर मौन पालन यानी मुधमक्खी पालन का छोटा सा व्यापार शुरू किया। वह बताते हैं कि छत्ते में अधिक मधुमक्खियां होने के साथ-साथ डिब्बे में जगह कम पढ़ने पर वह पहले रानी मक्खी को हाथ में पकड़ कर दूसरे डिब्बे रख देते थे। इस दौरान उनकी मधुमक्खियों से दोस्ती की शुरुआत हुई। वहीं एक दो मधुमक्खियों से शुरू हुई दोस्ती आज लाखों मधुमक्खियों में बदल चुकी है। रानी मधुमक्खी की पहचान होना जरूरी है। जहां रानी मधुमक्खी जाती है। वहीं अन्य मधुमक्खी भी जाती हैं।
मधुमक्खियों से प्रेम देख स्वजन भी उत्साहित
राजेंद्र त्यागी का मधुमक्खियों से अटूट प्रेम देखकर उनकी पत्नी रेखा पुत्र प्रखर व पुत्री प्राची काफी उत्साहित रहती हैं। त्यागी जैसे ही मधुमक्खियों को खाना खिलाने के लिए डिब्बों के पास पहुंच कर तैयारी शुरू करते हैं। उसी दौरान हजारों-लाखों की संख्या में मधुमक्खियां उनके शरीर पर बैठ जाती हैं। उनके रानी मधुमक्खी को पड़कर डिब्बे में बिठाने के बाद अन्य मधुमक्खियां भी डिब्बे में चली जाती।
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