हाईवे पर मां-बेटी से दरिंदगी प्रकरण: परिवार ने अब तक बदले छह मकान, पीड़िता बोली,'ऐसे राक्षसों को जज बनकर दूंगी सजा'
बुलंदशहर में 2016 में गाजियाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर मां-बेटी के साथ हुए दुष्कर्म मामले में पीड़िता अब एलएलबी कर रही है। पीड़िता ने कहा कि वह जज बनकर दोषिय ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक फोटो -
भूपेन्द्र शर्मा, जागरण, बुलंदशहर। इंसानियत के मायने यानी प्यार, क्षमा, परोपकार, दया, करूणा, सहानुभूति, समभाव। इन सभी से दरिंदों का कोई सरोकार नहीं होता। यह सब किताबों में कहानियों में पढ़ा था, फिल्मों में खलनायकों के किरदारों में देखा था, लेकिन यह सब किशोरी व मां ने हकीकत में महसूस किया 29 जुलाई 2016 की रात।
दुष्कर्म पीड़ित किशोरी व मां के साथ जो हुआ, वो इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना है। जब दरिंदों ने गाजियाबाद अलीगढ़ हाइवे पर मां व 14 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। किशोरी व मां दरिंदों के हाथ पैर जोड़ती रहीं, मिन्नतें की, पिता ने भी खूब हाथ जोड़ें कि कुछ भी ले लो, लेकिन बेटी को छोड़ दो, लेकिन दरिंदों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा।
वो अंधेरी भयावह रात आज भी दुष्कर्म पीड़िता किशोरी, जो आज 23 साल की युवती हो चुकी है और एलएलबी की पढ़ाई कर रही है, के जहन से नहीं गई है। इंसान के रूप में दरिंदों की दरिंदगी ने उनकी जिंदगी को तबाह कर दिया। कोर्ट व पुलिस से कोई मतलब नहीं रखने वाले परिवार ने इस घटना के बाद पुलिस व कोर्ट को देखा।
समाज में अपनी पहचान छिपाने के लिए शहरों व मकानों को बदला। महिला अधिवक्ता सीमा सांई ने पीड़िता किशोरी से मोबाइल पर बात कराई, तो किशोरी ने बताया कि अब तक छह मकान बदल चुके हैं। समाज में परिवार को बदनाम किया जाता था और उनके परिवार को गलत नजर से देखा जाता था। परिवार को जब भी अंदेशा होता कि उनकी पहचान हो गई, तो वो तुरंत मकान बदल देते।
नए मकान में फिर से नई जिंदगी शुरू करते। इससे उसकी पढ़ाई पर भी प्रभाव पड़ता था। पिता प्राइवेट नौकरी करते व ट्रैक्सी चलाते हैं। वह पहचान होने के चक्कर में तीन कार बदल चुके हैं। पिता का कहना है कि परिवार को बार-बार शहर व मकान बदलने से आर्थिक हानि होती है। इकलौती बेटी व पत्नी को न्याय दिलाने के लिए काफी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। दोषियों को सजा हाेने से बेटी व पत्नी को न्याय मिला है।
दोषियों को देखते ही सहम गई थी पीड़िता
-सीबीआइ के विशेष अभियोजक अमित चौधरी ने बताया कि जेल व कोर्ट में दोषियों की पहचान पीड़िता से कराई गई थी। कोर्ट में दोषियों को देखते ही पीड़ित किशोरी सहम गई थी। किशोरी के कोर्ट में दोषियों के सामने पर्दे लगाकर बयान कराए गए थे। किशोरी दोषियों को राक्षस कहती थी।
पीड़िता बोली, ऐसे राक्षसों को जज बनकर देगी सजा
पीड़ित युवती मोबाइल पर बात करते भावुक होकर रो पड़ी और बोली जज बनकर ऐसे समाज के राक्षसों को स्वयं सजा सुनाएगी। पीड़िता ने बताया कि अदालत के फैसले से उसके स्वजन और वह संतुष्ट हैं। घटना के बाद सरकार ने आर्थिक मदद एवं मकान देने की घोषणा की थी, मकान तो मिला लेकिन आज तक आर्थिक मदद नहीं मिली। जिससे उसके परिवार को आर्थिक समस्या झेलनी पड़ी। यह सब बात करते हुए युवती भावुक होकर रो पड़ी और मोबाइल काल को बंद दिया।
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मुख्य गवाह की हुई मौत
घटना के समय कार में पीड़ित किशोरी, उसकी मां, पिता, ताऊ, ताई और तहेरे भाई थे। पीड़िता, उसकी मां, पिता और ताऊ मुख्य गवाह थे। पीड़िता ने बताया कि घटना के मुख्य गवाह ताऊ की पिछले दिनों बीमारी के चलते मौत हो गई। इस कारण उनका परिवार शोक में है।

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