Bulandshahar: गली-गली में आवारा कुत्तों का आतंक, एक साल से नहीं हो रही इनकी नसबंदी, कुत्ता काटने पर यह बरतें सावधानी
Bulandshahar News बुलंदशहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है क्योंकि एक साल से इनकी नसबंदी बंद है। बधियाकरण और टीकाकरण के लिए कानपुर की एक कंपनी से अनुबंध था जो कई माह पहले समाप्त हो गया। अब बोर्ड बैठक में टेंडर रखने की तैयारी है। पालिका आश्रय गृह बनाने की योजना बना रही है।

जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। जिले में गलियों से सड़कों तक आवारा कुत्ते आतंक मचा रहे हैं और एक साल से आवारा कुत्तों की नसबंदी का काम बंद पड़ा है। इसके चलते आवारा कुत्ते लगातार लोगों पर हमला कर रहे हैं। बधियाकरण और टीकाकरण के लिए कानपुर की एक कंपनी से अनुबंध था, जो कई माह पहले समाप्त हो गया।
दो साल पहले आवारा कुत्तों की नसबंदी करने का काम शुरू भी हुआ तो कुछ माह चलने के बाद बंद कर दिया गया। इस दौरान लगभग दो हजार कुत्तों की नसबंदी की गई। अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है तो अब बोर्ड बैठक में टेंडर रखने की तैयारी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुत्तों का वैक्सीनेशन और उनकी नसबंदी की जाए। इसके बाद उन्हें वहीं छोड़ दिया जाए, जहां से उठाया गया है।
पिछले साल की गई कुत्तों की नसबंदी पर कुत्तों को वहीं पर छोड़ने को लेकर कई बार पालिका में हंगामा भी हुआ था, क्योंकि कुत्ता प्रेमी मांग करते थे कि कुत्ता हमारे मुहल्ले का है तो नसबंदी के बाद हमारे यहीं पर छोड़ जाए। पालिका के अधिशासी अधिकारी डा. अश्विनी कुमार सिंह का कहना है कि आवारा कुत्तों को पकड़ आश्रय गृह में रखा जाएगा। इसके लिए जल्द आश्रय गृह बनाया जाएगा। अब तक बुलंदशहर नगरपालिका दो हजार कुत्तों की नसबंदी कर चुकी है। रेबीज फ्री सिटी अभियान यहां चलाया जा रहा है।
27 जून को हुई खिलाड़ी की मौत
इसी साल 27 जून को खुर्जा के गांव फराना निवासी 22 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी ब्रजेश सोलंकी की रेबीज से मौत हो गई थी। मौत होने से लगभग दो माह पहले खिलाड़ी को गांव में एक पिल्ले ने काट लिया था। खिलाड़ी की मौत के बाद लोग एआरवी लगवाने के लिए जागरूक भी हुए।
अभी तक किसी निकाय में आश्रय गृह नहीं
-आवारा कुत्तों का आतंक ऐसा है कि छोटे बच्चे गली से सड़क तक स्कूल की बस में बैठने आते हैं तो अभिभावक साथ आते हैं, क्योंकि डर रहता है कि कहीं आवारा कुत्ते बच्चों को काट न लें। अभिभावक भी मांग करते हैं कि आवारा कुत्तों को उठाकर आश्रय गृहों में रखा जाए, लेकिन अभी तक किसी निकाय में आश्रय स्थल की सुविधा नहीं है।
ये है शासन की गाइडलाइन
आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाएगी।
स्टेरिलाइजेशन के बाद तीन दिन तक डाक्टर चेकअप करेंगे।
तीन दिन तक डाग को पुष्टाहार दिया जाएगा।
शहर में डाग्स पालने वालों का रजिस्ट्रेशन होगा
ब्रीडिंग करने व कराने का लाइसेंस होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की मुख्य बातें
कुत्तों का वैक्सीनेशन कराया जाए
आबादी कंट्रोल करने को नसबंदी हो
जहां से पकड़े जाएं वहीं छोड़े जाएं
आक्रामक, रेवीज ग्रस्त कुत्ते शेल्टर होम में रखे जाएं
सार्वजनिक स्थलों पर भोजन की व्यवस्था न हो
ये बरतें सावधानी
घाव को साफ पानी और साबुन से पांच मिनट तक धोएं
एआरवी की पहली डोज जल्द से जल्द लगवा लें
तीसरे दिन एआरवी की दूसरी डोज
सातवें दिन एआरवी की तीसरी डोज
28वें दिन एआरवी चौथी डोज लगवाएं
घाव ज्यादा होने पर तुरंत इम्युनोग्लोबिन लगवा लें
कुत्ते पर नजर रखें। यह मर जाता है तो इलाज में लापरवाही बिल्कुल न करें।
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