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    बुलंदशहर के स्याना हिंसा मामले में अदालत का बड़ा फैसला, पांच दोषियों को उम्रकैद और 33 को सात वर्ष का कारावास

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 06:13 PM (IST)

    Bulandshahr News तीन दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना कोतवाली के महाव गांव में गोवंशीय अवशेष मिलने पर हिंसा हुई थी जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार समेत दो की हत्या हुई थी। इस मामले में कोर्ट ने गत बुधवार को 38 लोगों को दोषी ठहराया था। शुक्रवार को कोर्ट ने इंस्पेक्टर हत्याकांड के पांच दोषियों को उम्र कैद और हिंसा के 33 दोषियों को सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई।

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    बुलंदशहर के स्याना हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड के पांच दोषियों को उम्र कैद

    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। अदालत ने शुक्रवार को लगभग साढ़े छह साल की सुनवाई के बाद उन्मादी भीड़ की हिंसा के मामले में 38 दोषियों को सजा सुनाई है। इसमें स्याना के कोतवाल सुबोध कुमार की हत्या के मामले में पांच दोषियों को आजीवन कारावास एवं बीस-बीस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। जबकि जानलेवा हमले, पथराव एवं बलवे के दोषी भाजपा नेता सचिन अहलावत व जिला पंचायत सदस्य योगेश राज समेत 33 दोषियों को सात-सात वर्ष के कारावास और सात-सात हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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    यह है मामला

    शासन से स्पेशल स्याना हिंसा केस की पैरवी के लिए नियुक्त अधिवक्ता यशपाल सिंह राघव ने बताया कि तीन दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली की चिंगरावटी पुलिस चौकी के गांव महाव में गोवंशियों के अवशेष मिलने पर उन्मादी भीड़ ने हिंसा और आगजनी की थी। जिसमें कोतवाल सुबोध कुमार और युवक सुमित कुमार की मौत हो गई थी। जिसके बाद सरकार ने सीओ राघवेन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में एसआइटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। एसआइटी ने लगभग 3,200 पेज की केस डायरी अदालत में दाखिल की।

    44 आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में दाखिल किए आरोप पत्र

    एसआइटी ने विवेचना उपरांत 127 पेज के दो आरोप पत्र पांच मार्च 2019 और 13 मार्च 2019 को 44 आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में दाखिल किए। सुनवाई के दौरान पांच आरोपितों की मौत हो गई, जबकि एक बाल अपचारी होने के कारण उसका केस बाल किशोर न्यायालय में विचाराधीन है। मामला सुनवाई के लिए एडीजे-12 की अदालत में पहुंचा।

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    बुधवार को न्यायाधीश गोपाल जी ने पांच दोषियों को उन्मादी भीड़ द्वारा की गई हिंसा और कोतवाल की हत्या का दोषी करार दिया, जबकि 33 को बलवा, पथराव, जानलेवा हमला का दोषी करार दिया था। शुक्रवार को न्यायाधीश ने उन्मादी भीड़ द्वारा की गई हिंसा और कोतवाल की हत्या के दोषी प्रशांत नट, जोनी, लोकेंद्र, राहुल और डेविड को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया, जबकि 33 दोषियों को सात-सात वर्ष के कारावास और सात-सात हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने धनराशि का 80 प्रतिशत मृतक कोतवाल की पत्नी रजनी और 20 प्रतिशत धनराशि राजकोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं।