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    Wildlife News: सांपों पर कैसे पड़ता है सर्दी का असर? बिलों से बाहर निकले अजगर करते हैं किसानों की मदद

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Sun, 10 Dec 2023 05:37 PM (IST)

    सांप ठंडे खून के प्राणी माने जाते हैं और ठंड इनके शरीर को निष्क्रिय सा कर देती है। प्राकृतिक रूप से सर्दी से बचाव करने के लिए इनके पास केवल धूप की गर्मी का ही सहारा होता है। सर्दी का असर बढ़ते ही सांपों ने खुद को गरम रखने के लिए धूप का सहारा लेना शुरू कर दिया है। सांप आमतौर पर भी घरों आदि में आते रहते हैं।

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    बिजनौर के चंदक क्षेत्र में वन विभाग की टीम ने पकड़ा गया अजगर सांप।

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। सर्दी का असर सांपों को परेशान करने लगा है। सर्दी से राहत पाने को सांप बिलों से बाहर आ रहे हैं। आबादी के पास आने वाले सांपों को वन विभाग की टीम लगातार रेस्क्यू कर रही है, लेकिन एक अजगर सांप चार दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद भी वन विभाग की टीम के हाथ नहीं आ रहा है।

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    जिले में वन्य जीवों में बहुत विविधता है। जलीय जीवों से लेकर सरीसृप की भी कोई कमी नहीं है। थोड़े दिन पहले अमानगढ़ में किंग कोबरा सांप भी शिकार करता दिखा था।

    ठंड से सांपों का शरीर हो जाता है निष्क्रिय

    सांप ठंडे खून के प्राणी माने जाते हैं और ठंड इनके शरीर को निष्क्रिय सा कर देती है। प्राकृतिक रूप से सर्दी से बचाव करने के लिए इनके पास केवल धूप की गर्मी का ही सहारा होता है। सर्दी का असर बढ़ते ही सांपों ने खुद को गरम रखने के लिए धूप का सहारा लेना शुरू कर दिया है। सांप आमतौर पर भी घरों आदि में आते रहते हैं, लेकिन अब सांप किसी खुली जगह में धूप सेंकते हुए भी देखे जा रहे हैं। 

    वन विभाग की केवल बिजनौर डिवीजन में ही इस महीने के नौ दिन में 20 से ज्यादा सांप रेस्क्यू किए जा चुके हैं। सबसे शानदार बात यह है कि इन सांपों ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है और लोग भी इनके प्रति संवेदनशील हैं। वे सांपों को मारने के बजाय वन विभाग की टीम को सूचना देकर उन्हें रेस्क्यू करा रहे हैं।

    किसानों के होते हैं मददगार 

    जिले में आमतौर पर रॉक पायथन प्रजाति का अजगर मिल रहा है। साढ़े तीन मीटर तक लंबे अजगर मिल चुके हैं। आमतौर पर अजगर इंसानों पर हमला नहीं करते हैं। अजगर खेतों में सुअर, गीदड़, खरगोश, नीलगाय के बच्चे तक को खा जाते हैं। ये एक तरह से किसानों की मदद ही करते हैं। ये बिल्कुल जहरीले नहीं होते हैं। कोई भी सांप अपना बिल खुद नहीं बनाता और ये दूसरे जीवों का शिकार करके उनके बिल पर कब्जा कर लेते हैं।

    जिले मिलते हैं ये सांप 

    अजगर के अलावा जिले में रसेल वाइपर और क्रेट सांप भी मिलते हैं। रसेल वाइपर को आम भाषा में धामन या धामड भी कहा जाता है। ये दोनों सांप जहरीले होते हैं। अगर ये किसी को डस लें और समय पर उपचार मिल जाए तो मरीज की जान आराम से बच जाती है। 

    अजगर ने टीम को छकाया 

    चंदक क्षेत्र में रजवाहे पर बिल में रह रहा एक अजगर वन विभाग के कर्मचारियों को छका रहा है। लगभग साढ़े तीन मीटर लंबा यह अजगर बिल से अपना कुछ ही हिस्सा बाहर निकलता है और टीम को देखकर वापस बिल में चला जाता है। लगभग आठ फ़ीट लंबे स्नेक कैचर से भी ये पकड़ा नहीं जा सका है।

    ये करते हैं सांपों को रेस्क्यू 

    रेस्क्यू टीम में दरोगा मदनपाल सिंह, वन रक्षक संजय राणा और दैनिक श्रमिक अमित कुमार सांपों को रेस्क्यू करते हैं। ये स्नेक कैचर से सांप को कुछ ही मिनटों में पकड़ लेते हैं।

    जहां से भी सांप दिखने की सूचना आती है वहां टीम भेजकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाता है। सांपों को आबादी से दूर छोड़ा जाता है। लोग सांपों के प्रति संवेदना दिखा रहे हैं। कुछ ही सांप जहरीले होते हैं और अपनी रक्षा में ही किसी को डसते हैं।

    -महेश गौतम, क्षेत्रीय वनाधिकारी बिजनौर।

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