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    Chardham Yatra: खच्चर में मिला इक्वाइन एनफ्लूएंजा, जुखाम-बुखार से पीड़ित अश्व प्रजाति के उत्तराखंड जाने पर लगी रोक

    एपेडेमियोलाजिस्ट सैयद अली शाकिर ने बताया कि जो चार घोड़ियां इंफ्लूएंजा से संक्रमित पाई गई थी वे एक ही परिवार की थी। घोड़ों के सम्पर्क में रहे परिवार के सदस्यों के सैंपल को एनआरसीई हिसार भेजने के लिए टीम ने आग्रह किया लेकिन स्वजन ने मना कर दिया। उनका कहना है कि घोड़ियों में कोई बीमारी या लक्षण नहीं है।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 03 May 2025 11:45 AM (IST)
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    चारधाम यात्रा की सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने के दौरान जिले में एक और खच्चर में इक्वाइन इनफ्लूएंजा की पुष्टि हुई है। रोग से ग्रसित दो खच्चर मिलने पर अब पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। संक्रमित खच्चरों को आइसोलेट किया गया है। निगेटिव रिपोर्ट आने पर भी अगर किसी पशु में बुखार, नाक बहने आदि के लक्षण मिलते हैं तो उसे उत्तराखंड नहीं जाने दिया जाएगा।

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    उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए अश्व प्रजाति के पशुओं (घोड़े, गधे, खच्चर) का बहुत महत्व रहता है। केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने के लिए यात्री अश्व प्रजाति के पशुओं की सवारी करते हैं। इसके अलावा दुकानदार भी सामान आदि ले जाने के लिए इन पशुओं का सहारा लेते हैं। जिले के पशुपालक भी इससे रोजगार पाते हैं।

    पिछले माह उत्तराखंड में अश्व प्रजाति के पशुओं में इक्वाइन इनफ्लूएंजा संक्रमण मिलने से इसके प्रवेश पर रोक लगा दी गई। बाद में अश्व प्रजाति के पशुओं के खून का सैंपल लेकर जांच के लिए हिसार की लैब में भेजा गया। निगेटिव रिपोर्ट वाले अश्व प्रजाति के पशु ही उत्तराखंड जा सकते हैं। केदारनाथ की यात्रा से पहले अब साहनपुर में भी एक खच्चर के इक्वाइन इनफ्लूएंजा से बीमार होने की पुष्टि हुई है। अगर किसी पशु की रिपोर्ट में उसके संक्रमित नहीं होने की पुष्टि होती है लेकिन लक्षण मिलते हैं तो उसे भी उत्तराखंड जाने के लिए प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा।

    यह होते हैं लक्षण 

    इक्वाइन इनफ्लूएंजा बीमारी से संक्रमित पशु को तेज बुखार रहता है और नाक बहती रहती है। पशु बहुत कमजोर हो जाता है। हालांकि सही उपचार मिलने पर पशु सात से दस दिन में ठीक हो जाता है। इसमें पशु की मौत की आशंका न के बराबर रहती है।

    ऐसे करें बचाव

    संक्रमित पशु का जूठा चारा खाने, पानी पीने से अश्व प्रजाति के दूसरे पशु भी संक्रमित हो जाते हैं। बीमार पशु को अलग रखा जाता है। उसके आसपास सफाई रखनी चाहिए। चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक पशु आहार देना चाहिए।

    जिले में एक और खच्चर के इक्वाइन एनफ्लूएंजा से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। दोनों खच्चरों को आइसोलेट किया गया है। रोग के लक्षण वाले अश्व प्रजाति के पशुओं को भी उत्तराखंड जाने के लिए प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। डा.लोकेश अग्रवाल, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

    इंफ्लूएंजा की जांच के लिए नहीं दिए सैंपल

    स्योहारा क्षेत्र के मकसूदपुर में चार घोड़ियों को इक्वाइन इंफ्लूएंजा की पुष्टि की जानकारी पर सैंपल लेने पहुंची आईडीएसपी की जिला सर्विलांस इकाई को खाली हाथ लौटना पड़ा। घोड़ी मालिकों ने सैंपल देने से मना कर दिया। कहा कि उनकी घोड़ियों ठीक हो गई है। हिसार के एनआरसीई से आई नमूनों की रिपोर्ट के बाद लखनऊ से सीएमओ कार्यालय के आईडीएसपी की जिला सर्विलांस इकाई को अलर्ट किया गया था।

    सीएमओ के आदेश पर पर स्योहारा क्षेत्र के मकसूदपुर में घोड़ों के संक्रमित पाए जाने पर इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस टीम के जिला पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डा. प्रतीक किशोर व एपेडेमियोलाजिस्ट सैयद अली शाकिर शुक्रवार को गांव पहुंच गए।

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