Amangarh Tiger Reserve: टाइगर देखकर रोमांचित हो रहे टूरिस्ट, बाघ की दहाड़ और हाथियों की चिंघाड़ भी सुनाई दे रही
Amangarh Tiger Reserve 15 नवंबर से 15 जून तक अमानगढ़ में पांच हजार से ज्यादा पर्यटक आए थे। अब फिर से अमानगढ़ में 15 जून से ही पर्यटन शुरू किया गया है। देशभर से पर्यटक अमानगढ़ में प्रकृति के नजारों को देखने के लिए आ रहे हैं। अमानगढ़ के बाघ पर्यटकों की इच्छा पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बिजनौर। क्या बाघ देखना बहुत आसान होता है। अगर आप अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में घूमने के लिए आ रहे हैं तो इसका जवाब हां हो सकता है।
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में दूसरे साल पर्यटन शुरू हुए केवल 11 ही दिन हुए हैं और इनमें से आठ दिन लोगों को बाघ आराम से घूमता हुआ दिखाई दिया है। बाघ को देखकर पर्यटकर रोमांचित हो रहे हैं।
बाघों की दहाड़
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व कहने को तो कार्बेट नेशनल पार्क का बफर जोन है लेकिन यहां पर बाघों की दहाड़ लंबे समय से गूंज रही है। यहां तक कि बाघ के डर से गुलदारों ने अमानगढ़ को छोड़कर गन्ने के खेतों में डेरा डाल दिया है। पिछले साल शासन ने अमानगढ़ में पर्यटन को हरी झंडी दी थी।
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अमानगढ़ में पर्यटन शुरू हुए केवल 11 दिन ही हुए हैं और इनमें से आठ दिन पर्यटकों को बाघ दिखाई दे चुका है। शायद इतनी आसानी से बाघ और कहीं दिखाई देता हो जितनी आसानी से अमानगढ़ में पर्यटकों को बाघ दिखाई दे रहे हैं। वन के अंदर बाघ को देखने वाले पर्यटक इस रोमांच को कभी नहीं भूल पाते हैं।
32 किलोमीटर का होता है सफर
अमानगढ़ में पर्यटकों को केहरीपुर जंगल से अंदर ले जाया जाता है। वे झिरना गेट तक जाते हैं और इसी रास्ते से वापस आते हैं। एक ओर से यह सफर लगभग 16 किलोमीटर का पड़ता है। पूरे सफर में आराम से दो से ढाई घंटे तक लगते हैं। पर्यटकों को लाने वाले रास्ते को बदलने की कोशिश की गई थी लेकिन अब इसी रास्ते पर ही काफी बाघ दिख रहे हैं।
दिख रहे हाथी और हिरन के झुंड
बाघ के अलावा पर्यटकों को अमानगढ़ के अंदर हाथियों के झुंड, हिरन आदि भी दिखाई दे रहे हैं। रंग बिरंगे पक्षियों की भी अमानगढ़ के अंदर भरमार है। अगर किसी दिन पर्यटकों को बाघ न भी दिखे तो बाकी वन्यजीवों की यहां भरमार है।
'अमानगढ़ में आने वाले पर्यटकों को बाघ दिख रहे हैं। किसी न किसी गाड़ी के पर्यटकों को बाघ दिख ही जाते हैं। अमानगढ़ में आने वाले पर्यटक यहां के रोमांच का आनंद ले रहे हैं।' अरुण कुमार सिंह, डीएफओ
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