International Women's Day: हादसे ने बोलने में कर दिया था असहज, कठपुतली से मिली पहचान
International Womens Day श्रुति त्रिपाठी बस्ती की एक शिक्षिका हैं जिन्होंने एक सड़क दुर्घटना के बाद अपनी आवाज खो दी थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कठपुतली का उपयोग करके बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। उनके इस अनोखे तरीके से बच्चों की पढ़ाई में सुधार हुआ और उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी।

संदीप यादव, बस्ती। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस पंक्ति को जिले के साऊंघाट विकास क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बटेला की शिक्षक श्रुति त्रिपाठी ने चरितार्थ किया है। एक सड़क दुर्घटना ने उन्हें बोलने में असहज कर दिया था। उसके बाद भी वह हार नहीं मानी। बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने कठपुतली का सहारा लिया।
वह हल्की फुल्की तोतली आवाज में कठपुतली के सहारे बच्चों को पढाने लगी। इस विधा से पढ़ाई करने में बच्चों को रूचि हो गई। जहां इस नवाचार से उन्होंने बेहतर ढंग से शिक्षण कार्य किया वहीं आज यह उनकी पहचान भी गई। इसके लिए वह सरकार की तरफ से सम्मानित भी हो चुकी है।
अब उनकी आवाज भी धीरे- धीरे वापस आ गई है। विद्यालय में सुंदर सुगंधित हरियाली के साथ चिकित्सीय औषधीय गुण वाले लगे पौधे उनकी जिज्ञासा को परलक्षित कर रहे हैं। अडू़सा, चिरैता, नीम, सहजन, पारिजात, तुलसी, सदाबहार चिकित्सीय गुण वाले पौधे शामिल हैं।
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श्रुति त्रिपाठी की प्रथम नियुक्ति 21 सितंबर 2015 को बनकटी ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलसुही में हुई थी। 26 अक्टूबर 2015 को स्थानांतरण के द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय बटेला में तैनाती हुई। यहां नामांकन की सापेक्ष विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति अत्यंत कम थी। उनके निरंतर प्रयास के बाद विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति तथा उनके शैक्षिक स्तर में सुधार हुआ।
कठपुतली के सहारे बच्चों को पढ़ाती शिक्षक श्रुति त्रिपाठी सौ. स्वयं
वर्ष 2016 में भीषण सड़क दुर्घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गई। दो वर्षों तक स्वास्थ्य सुधार के लिए निरंतर जूझती रही। इस दौरान उन्हें लगभग कई बार प्लास्टिक सर्जरी करानी पड़ी। पूरी तरह से चलने फिरने में सहज हुई, तो उनके सामने यह समस्या रह गई कि वह साफ बोल नही पा रही थी। तोतली आवाज में वह बच्चों को कैसे पढ़ाए कराएं उनके सामने यह चुनौती आ गई।
हार न मानते हुए उन्होंने रास्ता ढूढा। कठपुतली के माध्यम से रोचक ढंग से शिक्षण कार्य प्रारंभ किया। धीरे-धीरे उनकी आवाज संबंधी समस्या भी दूर हो गई। बच्चों के ज्ञान के लिए सुंदर सुसज्जित पुस्तकालय तथा कंप्यूटर की सुविधा के साथ सेहत के लिए समुचित क्रीडा कक्ष भी विकसित किया गया है। श्रुति द्वारा सुंदर रंगोली, फ्लोर पेंटिंग, राखी, मेहंदी, कंगन निर्माण, कठपुतली, पोस्टर व शैक्षिक माडल बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
दीक्षा एप पर भी उनकी आवाज में शिक्षक प्रशिक्षण माड्यूल उपलब्ध है। विद्यालय में एक पूर्व छात्र परिषद का भी गठन किया गया है। जिससे बच्चों के आगे की पढ़ाई में सहयोग किया जा सके। विद्यालय के बच्चे आईआईटी, जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पा लिए हैं।
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विद्यालय के बच्चे भी कई राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपना स्थान बना चुके है। राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त श्रुति अनेक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं। भारत के संस्कृति मंत्रालय द्वारा कठपुतली के माध्यम से संस्कृति को संरक्षित करने के लिए वर्ष 2019 में सम्मान प्राप्त करने का जो सिलसिला प्रारंभ हुआ तो गिनीज बुक आफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स की तरफ से उन्हें वूमेन आइकन का खिताब भी प्रदान किया गया।
आईआईटी पटना के महानिदेशक द्वारा सम्मान के साथ कई पद्मश्री विभूतियां से भी सम्मानित होने का इन्हें अवसर प्राप्त हुआ।
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