मनरेगा में बस्ती मंडल के फंसे 359 करोड़, जी राम जी का इंतजार
बस्ती मंडल में मनरेगा के अंतर्गत 359 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस मामले में जी राम जी के हस्तक्षेप का इंतजार कि ...और पढ़ें
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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
ब्रजेश पांडेय, बस्ती। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना गारंटी योजना यानी मनरेगा में जाब कार्ड धारकों को न तो मजदूरी मिल पा रही है और न ही दुकानदारों को पक्के कार्यों में लगे सामान के दाम। बस्ती मंडल में दो वर्ष से 382 करोड़ रुपये शासन स्तर पर फंसे हैं। जबकि इंतजार अब परिवर्तित योजना जी राम जी का है, जिसमें किसानों को सौ दिन की जगह 125 दिन रोजगार मिलने हैं। ग्राम प्रधान से लेकर सेक्रेटरी तक परेशान हैं। दुकानदार उनके घरों तक अपना बकाया लेने को पहुंच रहे हैं।
बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीर नगर के तीनों जिलों में दो वर्षों में 35476.71 लाख रुपये के सामान के बकाया हैं तो 486.69 लाख रुपये मजदूरी फंसी हुई है। सर्वाधिक बकाया सिद्धार्थनगर जनपद का है। इस योजना के तहत 60 प्रतिशत कच्चा और 40 प्रतिशत पक्का कार्य होता है। मनरेगा अधिनियम में यदि एक सप्ताह के अंदर श्रमिकों के लिए डोंगल नहीं लगा तो विभागीय जुर्माना और दंड का प्रावधान है, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय से मजदूरी भी फंसी हुई है।
रोजगार सेवक, ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी अपने क्षेत्र में श्रमिकों को जवाब नहीं दे पा रहे। उधार में सामग्री देने वाली फर्म भी भुगतान की आस में बैठी हैं, लेकिन बजट न आने के चलते उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है। दुबौलिया के धरमूपुर मुस्तहकम के प्रधान शोभाराम राजभर कहते हैं कि उन्हें मजदूरों और दुकानदार जब पैसा मांगने आते हैं तो मुंह चुराना पड़ता है।
दुबौलिया के ही बालाजी ट्रेडर्स के श्याम जी अग्रहरि का कहना है कि उनका 50 लाख से अधिक रुपये गिट्टी, मोरंग, सरिया व सीमेंट के फंसे हैं। कुदरहा ब्लाक क्षेत्र के दैजी के ग्राम प्रधान निशा का कहना है कि दो वर्ष से मनरेगा के पक्का कार्यों का भुगतान नहीं हुआ। आए दिन दुकानदार भुगतान के लिए तगादा करते हैं। हर बार जल्द भुगतान होने का सिर्फ आश्वासन ही देना पड़ता है।
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सबसे ज्यादा परेशान पक्के कार्यों पर काम करने वाले अकुशल और अर्धकुशल श्रमिकों की है। जो ब्लाक मुख्यालय से लेकर जिला तक भुगतान के लिए चक्कर काट रहे हैं।
श्रमिक नई योजना से खुश, बकाया पर निराश
सरकार ने मनरेगा का नया नाम जी राम जी दिया है। नाम बदलने को लेकर मजदूरों में फर्क नहीं है। वह खुश हैं कि उन्हें अब 100 दिन की जगह पर 120 दिन रोजगार मिलने की गारंटी है। उपायुक्त श्रम रोजगार संजय शर्मा बुधवार को बहादुरपुर ब्लाक के भेरिया गांव में कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे। जहां श्रमिकों ने पहले के लंबित भुगतान के बारे में पूछा, जिस पर उपायुक्त ने बताया कि सरकार आन लाइन भुगतान करती है। पूरे प्रदेश में एक साथ धन आता है। जल्द ही भुगतान मिल जाएगा। 
मनरेगा में जिस हिसाब से आन लाइन बजट आता है, वैसे ही विभागीय डोंगल से भुगतान भी कराया जाता है, जो सीधे संबंधित व्यक्ति के खाते में चला जाता है। जल्द ही बजट आने की उम्मीद है। पहले श्रमिकों को ही भुगतान कराया जाता है, फिर पक्के कार्यों का भुगतान होता है। लंबित भुगतान के बारे में उच्चाधिकारियों से बातचीत की जाएगी।
-कृत्तिका ज्योत्स्ना, जिलाधिकारी, बस्ती

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