लेडी सिंघम शालिनी खाकी की बढ़ा रही शान, महिलाओं को आत्मरक्षा का ज्ञान
बस्ती जिले की महिला थाना प्रभारी निरीक्षक डा. शालिनी सिंह बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने हजारों महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए हैं और उनके टूटे रिश्तों को बचाया है। उन्हें बहादुरी के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। शिक्षा और सुरक्षा के लिए उनका समर्पण सराहनीय है और वे लगातार बेटियों को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नारी शक्ति की यह मिसाल समाज में बदलाव ला रही है।

संदीप यादव, बस्ती। जिले के महिला थाने पर तैनात प्रभारी निरीक्षक डा. शालिनी सिंह बेटियों के लिए रोल माडल बन चुकी हैं। वह खाकी की शान बढ़ा रही हैं तो वहींं दूसरी तरफ महिलाओं को आत्मरक्षा का ज्ञान भी दे रही हैं। सीएम पोर्टल पर भी इनके कार्यों की सराहना की गई है।
बड़ी संख्या में बेटियों व महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं। वीरता के मिले कई पुरस्कार इनके साहस व कार्यों को दर्शाते हैं। यह नारी शक्ति की मिशाल बन गई हैं। करीब डेढ हजार ऐसी महिलाएं हैं, जिनके टूटते हुए रिश्ते को बचाने के साथ ही उन्हें खुशहाल जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया। पढ़ने वाली छात्राओं को किताब, कापी सहित अन्य जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराती रहती हैं। उनके कार्य की सराहना उच्चाधिकारी भी करते हैं।
वर्ष 2013 में बहादुरी सम्मान, 2015 में मलाला सम्मान और 2018 में डीजीपी मेडल, 2019 में पूर्वांचल गौरव, महाराणा प्रताप शौर्य सम्मान मिल चुका है। इसके साथ ही आपरेशन कवच में प्रदेश में उन्हें पहला स्थान मिला था। मूलतः बलिया की रहने वाली डा. शालिनी सिंह (45) वर्तमान समय में महिला थाने की प्रभारी हैं।
पुलिस की सेवा में आने से पहले पीएचडी तक की पढ़ाई पूरी कर अन्य सेवा में भी वह रही हैं। संगीत में रुचि के कारण उन्होंने वायलेन, गिटार और सितार वादन में डिप्लोमा भी किया है। शुरू से बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए डा. शालिनी सिंह प्रयासरत रहती हैं।
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एयर फोर्स की नौकरी छोड़कर वर्ष 2006 में पुलिस सेवा में आने के बाद उन्होंने अपने मिशन को और तेज कर दिया। पिछले तीन वर्षों में उन्होंने 55 हजार बेटियों को शिक्षा, सुरक्षा की ट्रेनिंग दी। स्कूलों में पहुंच जूडो-कराटे सहित अन्य जानकारी देने के साथ बेटियों को गुड टच और बैड टच की भी जानकारी देती हैं।
कहा कि पहले वह फ्लाइंग अफसर के रूप में पहले हवाई जहाजों तक सिमिति थीं, जमीनी लोगों से दूर थीं। मन में कचोटता था कि समाज हित में कुछ किया जाए। इसी कारण से पुलिस की नौकरी चुनीं और आज साठ हजार से अधिक बेटियां उनसे प्रेरणा लेकर बेहतर कार्य कर रही हैं।
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