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    UP News: मंदिर में शराब पीने से मना करने पर पुजारी पर किया था जानलेवा हमला, कोर्ट ने दोषियों को सुनाई उम्रकैद

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 06:59 PM (IST)

    बरेली की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंदिर परिसर में शराब पीने से मना करने पर पुजारी पर जानलेवा हमला करने के आरोप में दो व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीसरे आरोपित की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। कोर्ट ने कहा कि पुजारी पर हमला न केवल भारतीय विधान में अपराध है बल्कि पाप की श्रेणी में भी आता है।

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    पुजारी पर जानलेवा हमला करने वाले दोषियों को उम्रकैद की सजा। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, बरेली। मंदिर परिसर में दारू पीने से मना करने पर आरोपितों ने पुजारी पर जानलेवा हमला किया। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने आरोपितों सत्यवीर व ओमपाल को दोषी माना और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। तीसरे आरोपित धर्मवीर उर्फ गुड्डू की ट्रायल के दौरान मौत हो गई।

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    कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पुजारी पर जानलेवा हमला भारतीय विधान में तो अपराध है ही। साथ ही यह पाप की श्रेणी में भी आता है। कोर्ट ने कहा कि भारत सदैव से ही ऋषि मुनियों का देश रहा है। इन्हीं लोगों ने समय-समय पर धर्म की रक्षा भी की है। यदि किसी व्यक्ति को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर बैठकर मदिरापान करे तो निश्चित रूप से धर्म का हास होगा।

    वर्ष 2012 में सिया दुलारे शरण उर्फ रानू ने सिरौली थाने में प्राथमिकी लिखाई थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि वह संत साधना कुटी शिवधाम गुरुगांवा में पुजारी है। 25 अप्रैल की रात करीब 10 बजे वह पूजा अर्चना के बाद वह कुटी में लेटे थे।

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    पुजारी होने की वजह से वहां पर गांव का कोई न कोई व्यक्ति वहां बैठा रहता था। उस रात गांव के ही सत्यवीर सिंह, सोमपाल, और रघुपत आदि बैठे थे। इसी बीच अचानक से तीन लोग मोटरसाइकिल से आए और आश्रम में घुस गए। कारण पूछने पर आरोपित गालियां देने लगे और जान से मारने की नीयत से उन्होंने फायर कर दिया जो उनके लगा। कुटी पर बैठे सत्यवीर, सोमपाल व रघुपत ने ललकारा तो आरोपित फायर करते हुए वहां से भाग गए।

    गांव के लोगों ने बताया कि जानलेवा हमला करने के वालों में आंवला के परधेर गांव निवासी सत्यवीर ओमपाल व बिनावर के सुकटिया गांव निवासी गुड्डू थे। यह सभी गांव के ही कन्धई लाल के यहां आए हुए थे। मामले में सरकारी वकील संतोष श्रीवास्तव ने कोर्ट में 10 गवाह पेश किए।

    कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    गवाही में सामने आया कि आरोपित मंदिर परिसर में शराब पीने आए थे। पुजारी ने वहां शराब पीने से मना किया तो आरोपितों ने उन पर जानलेवा हमला किया था। ट्रायल के दौरान ही गुड्डू की मौत हो गई।

    कोर्ट सत्यवीर व ओमपाल को पुजारी पर जानलेवा हमले का दोषी माना और आरोपितों को आजीवन कारावास की सुनाई है। साथ ही दोषियों पर 1.30 लाख रुपए जुर्माना भी डाला है। जुर्माने की आधी रकम पीड़ित पुजारी को दी जाएगी। कोर्ट टिप्पणी में कहा कि पुजारी पर हमला करना पाप है दोषी क्षमा योग्य नहीं हैं।

    गवाहों ने स्वीकारी घटना, दोषियों को पहचानने से इन्कार

    कोर्ट में गवाही के दौरान गवाह कन्हई सिंह व सत्यवीर सिंह ने घटना को होना तो बताया, लेकिन उन्होंने दोषियों को पहचानने से इन्कार कर दिया। कहा कि वह रात के अंधेरे में उन्हें पहचान नहीं पाए। ऐसे में कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि, गवाह या तो वित्तीय या अन्य लालच के कारण होस्टाइल हो रहे हैं। जिससे संपूर्ण आपराधिक व्यवस्था की जड़े भी हिल रही हैं।

    जनता में यह भावना उत्पन्न हो रही है कि अभियुक्त तथा बलशाली व्यक्ति कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं। इससे कानून व्यवस्था से लोगों को विश्वास हिल रहा है। इसलिए जरूरी है कि न्यायालयों को वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। यदि कोई गवाह होस्टाइल हुआ है तो न्यायालयों को अभिलेखों पर हर कोशिश कर सत्य लाना चाहिए।

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    धर्म कभी अनैतिक कार्य की अनुमति नहीं देता

    कोर्ट ने अपनी टिप्पणी धार्मिक लाइन धारयते इति धर्म लिखते हुए इसका अर्थ भी बताया है। कहा है कि जो धारण किया जाए वही धर्म हैं अर्थात जो अंत: करण को अच्छा लगे वही धर्म है। अंत: करण कभी भी अनिष्ट कार्य की अनुमति नहीं देता। धर्म के प्रभाव के कारण भी व्यक्ति अनैतिक कार्य करने से दूर रहते हैं।

    कोर्ट ने टिप्पणी की कि संविधान निर्माताओं ने भी धर्म की स्वतंत्रता का अधिकारी तो सभी व्यक्तियों को दिया किंतु धर्म की कोई भी परिभाषा संविधान में नहीं दी गई। क्योंकि संविधान निर्माताओं ने धर्म को किसी निश्चित सीमा में अथवा परिधि में कैद करना उचित नहीं समझा। न्यायालय के मतानुसार यह ठीक भी है क्योंकि, धर्म की कोई एक परिभाषा देना कठिन कार्य है।