वापस ली जाएगी रबड़ फैक्ट्री की बेशकीमती जमीन
रबर फैक्ट्री की बेशकीमती जमीन को फिर राज्य सरकार में दर्ज कराने के प्रयास तेज हो गए हैं।
जेएनएन, बरेली : रबड़ फैक्ट्री की बेशकीमती जमीन को फिर राज्य सरकार में दर्ज कराने के प्रयास तेज हो गए हैं। डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह बड़े प्रस्ताव का खाका तैयार कर रहे हैं। उसके लिए सोमवार को वह जमीन का निरीक्षण करने के लिए अफसरों को साथ लेकर फैक्ट्री पहुंचे। राजस्व अमले को बुलाकर कब्जों का जायजा लिया।
डीएम ने अगरास, कुरतरा, चिटोली गांव तक फैली फैक्ट्री की जमीन को देखा। 1500 एकड़ में फैली इस जमीन को 1960 में सिंथेटिक कैमिकल फैक्ट्री को दिया गया था। तमाम शर्ते भी तय हुई थीं। एक शर्त यह भी थी कि दी गई जमीन पर दो साल में उद्योग लगाना होगा। ऐसा नहीं करते तो फिर जिस रेट पर जमीन दी गई है, उसी रेट पर जमीन फैक्ट्री प्रबंधन से वापस ले ली जाएगी। इस आधार पर 1988 में 100 एकड़ जमीन बीएसएफ को 11 हजार 300 रुपये में दिलाई गई थी। अब फैक्ट्री 1999 से बंद है। उसका मुकदमा हाईकोर्ट से लेकर कई जगह चल रहा है। फैक्ट्री ने बैंकों से लोन लिया था। उस आधार पर बैंकों ने अपना रिसीवर भी तैनात कर रखा है। डीएम ने मौके पर तमाम बातों को सामने रखते हुए भविष्य की संभावनाएं तलाश कीं। नियमों के उल्लंघन पर जमीन राज्य सरकार में निहित हो जाना चाहिए थी। ऐसा अब तक क्यों नहीं हुआ? डीएम ने एसएलओ से जानकारी की। राजस्व अमले को निर्देश दिए कि जमीन पर किसी भी सूरत में कब्जा नहीं होना चाहिए। ऐसा हुआ तो कार्रवाई की जाएगी। जानकारी मिली कि मुहल्ला नई बस्ती में रबर फैक्ट्री की खाली पड़ी भूमि पर कब्जा कर लगभग 250 मकान बना लिए गए हैं। एसडीएम रोहित यादव ने बताया उन लोगों को नोटिस देकर जमीन को खाली करने के लिए कहा जाएगा। हल्का लेखपाल को चेतावनी देते हुए कहा है कि खाली पड़ी भूमि पर किसी तरह का कब्जा नहीं होना चाहिए। डीएम ने बताया कि तमाम बिंदुओं को सामने रखते हुए जमीन पर कोई बड़ा प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।