लखनऊ-कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश जा रहा 'नशे का सिरप'! बरेली की छोटी फर्मों के तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स रैकेट से जुड़े
कोडीन सिरप के अवैध कारोबार पर ड्रग विभाग सख्त हो गया है। बरेली में नारकोटिक सीरप बेच रहीं तीन फर्मों को राडार पर लिया गया। रिकॉर्ड न देने पर लाइसेंस रद्द करने की तैयारी है। पूर्व में सजा के बावजूद कारोबार जारी। ड्रग्स दुरुपयोग रोकने को बड़ी कार्रवाई की जा रही है।
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प्रतीकात्मक चित्र
अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। नारकोटिक और कोडीन वाले सीरप बिक्री के एक के बाद एक मामलों का सामने आना यह तो बता रहा है कि यहां दवा कारोबार में इसकी जड़ें गहरी हैं। पिछले साल किला के एक कारोबारी के यहां से बड़े पैमाने पर जखीरा मिला था और इसमें उसे सजा भी हुई। इसके बाद भी कई दवा व्यापारियों के हाथ इस काले कारोबार में रंगे मिलने और उन पर कार्रवाई होना यह बताने के लिए काफी है कि इस सीरप का इस्तेमाल दवा के लिए कम नशा के लिए ज्यादा हो रहा है। ड्रग विभाग ने इसी कारोबार से जुड़े तीन फर्मों के तार को देखते हुए उन्हें राडार पर लिया गया है।
बताते हैं कि इस कारोबार से जुड़े तमाम कारोबार बोगस फर्म बनाकर इस कोडीन युक्त सीरप की अवैध बिक्री करते हैं। बाद में ड्रग्स के लिए इसे लखनऊ-कोलकाता के रास्ते चोरी छिपे बांग्लादेश तक भेजा जाता है। ड्रग विभाग इस चेन की कड़ी भी जोड़ने में लगा हुआ है। नारकोटिक और कोडीन वाले सीरप का दुरुपयोग न हो, इसे लेकर काफी सख्ती है। दुकानदार को इसमें चिकित्सक और पर्चे और ग्राहक दोनों का ब्योरा रखना होता है, ताकि जरूरत पड़ने पर यह इस चेन का आसानी से पता लगाया जा सके।
इसके बावजूद इस सीरप का बड़े पैमाने पर ड्रग्स के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है, यहां आए दिन पकड़े जाने वाले मामलों से यह साफ है। फरवरी 2025 में किला में एक बड़े व्यापारी के यहां से बड़ी मात्रा में कोडीन वाले सीरप की बोतलें बरामद हुईं थीं। इस मामले में उसे सजा भी हो चुकी है। इसके बाद गली नवाबान, शास्त्री और कश्मीरी मार्केट में भी तीन दवा कारोबारियों के यहां से भी कोडीन वाले सीरप और नारकोटिक्स वाले इंजेक्शन और दवाओं की खेप मिली थी। इसमें दो कारोबारियों को तो हरियाणा पुलिस पकड़कर ले गई थी। छह माह बाद वह जमानत पर रिहा चल रहे हैं।
इधर अभी 15 नवंबर को एक बार फिर से खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की टीम ने कोडीन युक्त सीरप की बिक्री कर रहे गली मैसर्स पवन फार्मास्युटिकल गली नवाबान और माडल टाउन स्थित मैसर्स वन फार्मास्युटिकल के नाम की एक और फर्म के साथ मैसर्स एक्सट्रीम हेल्थ सोल्यूशन, गली नवाबान के यहां चेकिंग की है। ड्रग विभाग की टीम करीब 45,000 रुपये के नारकोटिक एवं कोडीन युक्त कफ सीरप की बिक्री पर न केवल रोक लगा दी है, बल्कि यह रिकार्ड भी मांगा है कि इन दवाओं का कब और किन लोगों के हाथों बिक्री की गई है।
सूत्र बताते हैं कि इनका इस्तेमाल दवाओं के कम और ड्रग्स के लिए ज्यादा किया जाता है। उन पर किसी की निगाह न पड़े, इसलिए छोटी-छोटी बोगस फर्मे बनाकर इन सीरप का बड़े पैमाने पर भंडारण किया जाता है। बाद में इन्हें चोरी-छिपे लखनऊ और वहां से कोलकाता के रास्ते बांग्लोदश तक भेज दिया जाता है। इस कड़ी को पकड़ने के लिए भी ड्रग विभाग की स्पेशल टीम लगी हुई है, ताकि इस कनेक्शन को आसानी से पकड़ा जा सके।
हाईकोर्ट से मिली राहत और अवैध भंडारण के खुले रास्ते
नारकोटिक और कोडीनयुक्त इंजेक्शन और दवाओं के ड्रग्स के लिए दुरुपयोग को देखते हुए सरकार ने इसके भंडारण की सीमा तय कर दी थी। इसके खिलाफ तमाम दवा कारोबारी हाईकोर्ट में चले गए। नतीजा यह रहा है कि वहां अदालत ने उन्हें राहत दे दी। इसके बाद फिर से इन दवाओं और इनेक्शन का मनमाने तरीके से स्टोर होने लगा और यही उसकी कालाबाजरी के दरवाजे भी खुल गए।
100 से 150 तक दाम, ब्लैक में हो जाती चार से पांच सौ तक कीमत
एक दवा कारोबारी ने बताया कि अगर कोई चिकित्सक के पर्चे पर कोडीन युक्त सीरप की बिक्री करता है तो दुकानदार को काफी कम फायदा होता है। खांसी के लिए इस्तेमाल होने वाले इस सीरप की कीमत आम तौर पर 100 से 150 रुपये तक ही होती है, जबकि चोरी-छिपे बिक्री करने पर इसकी ब्लैक में कीमत चार से पांच सौ रुपये तक हो जाती है। इसके अलावा इसके बल्क में बाहर भेजने पर फर्मों को मोटी रकम मिलती है।
रिकार्ड मांगकर तलाशी जा रही खरीद-फरोख्त की कड़ी
ड्रग विभाग ने नारकोटिक और कोडीन वाले सीरप की बिक्री के मामले में गली नवाबान और माडल टाउन स्थित तीन दवा फर्मों को राडार पर लिया है। औषधि विभाग के अधिकारियों ने इन फर्मों के संचालकों को तीन दिन का समय दिया था वे यह रिकार्ड दिखाएं कि उन्होंने इन दवाओं की खरीद कहां से की और इन्हें किन जगहों पर बेचा गया।
इसका पूरा ब्योरा देखने के बाद ही साफ हो सकेगा कि इन इन दवाओं को किन रास्तों से मंगवाया गया था। हालांकि रिकार्ड न दिखा पाने पर इन पर बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है। उधर, इस सख्ती के चलते गली नवाबान और शास्त्री मार्केट के तमाम दुकानों के बीच भी अफरा-तफरी मची हुई है।
नकली दवाओं की बिक्री में फंसी कइयों की गर्दनें
आगरा में नकली दवाएं पकड़े जाने के बाद इस मामले में यहां भी कई कारोबारियों की गर्दनें फंसी हुई हैं। इस दौरान कई फार्मा एजेंसियों से आगरा से सप्लाई हुई संदिग्ध दवाएं पकड़ी गई थीं। दवाओं के नमूने सर्वे सैंपलिंग के लिए फार्मा कंपनी को भेजे गए थे। इसमें एलिग्रा 120 एमजी की सर्वे सैंपलिंग रिपोर्ट आ गई है।
फार्मा कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जो दवा पकड़ी गई थी, वह उसके यहां नहीं बनी थी। इससे साफ है कि दवा बनाकर उस पर दूसरे ब्रांड की पैकिंग की गई थी। इस जांच के पूरी होने के बाद तीन फार्मा एजेंसियों का लाइसेंस सस्पेंड कर किया जा चुका है। गुनीना फार्मास्युटिकल्स गली नवाबान के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दाखिल किया गया है।
इनमें गली नवाबान स्थित लखनऊ ड्रग एजेंसी, साहनी मेडिकल स्टोर और कोहाड़ापीर स्थित माधव एजेंसी शामिल हैं। इसके अलावा औषधि विभाग की टीम ने हैप्पी मेडिकोज का लाखों का माल पकड़ा था जो आगरा वापस भेजा गया है। इसके अलावा 30 से अधिक संदिग्ध दवाओं का सैंपल लिया गया है जो फार्मा कंपनियों को सर्वे सैंपलिंग के लिए भी भेजे जा चुके हैं।
नारकोटिक और कोडीनयुक्त सीरप बिक्री के मामले में कई फर्मों की जांच चल रही है। इसमें रिकार्ड मांगें गए हैं, ताकि उसकी जड़ें कहां तक हैं, इसे तलाश जा सकते। इसके बाद ही संबंधित फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में भी ऐसी कार्रवाई हो चुकी है। आगे सूचनाएं मिलने पर कार्रवाई होती रहेगी।
- राजेश कुमार, औषधि निरीक्षक
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