बाल कटवाए पार्लर में, फैला दी चोटी कटवा की अफवाह
लड़कियों ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने पार्लर जाकर बाल कटवाए हैं, वह चोटी कटने की बात कहती हैं तो पहले थोड़ा हंसती हैं।
बरेली (जागरण संवाददाता)। रुहेलखंड समेत देश भर के कई राज्यों में चोटी कटने को लेकर खलबली मची हुई है। इसके पीछे वजह या तर्क क्या हैं यह अब तक सामने नहीं आए। लेकिन रविवार को कमिश्नर डॉ. पीवी जगन मोहन ने इसे काफी हद तक साफ करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि चोटी कटवा कोई गिरोह नहीं है और न ही कोई अन्य कारण।
उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर कई मनोचिकित्सकों से उनकी बात हुई है। लगभग सभी ने यह स्थापित करने का प्रयास किया कि लड़कियां मास फोबिया और वृद्ध महिलाएं सिजोफ्रेनिया व हैलोसिनेशन की शिकार हो रही हैं। यह बीमारी उन्हें चोटी काटने व अन्य कृत्य करने पर मजबूर कर रही हैं।
कमिश्नर डॉ. पीवी जगन मोहन ने बीए की छात्रा सुमन गुप्ता व प्राथमिक स्कूल की छात्रा रहनुमा को कमिश्नरी बुलाया। उन्होंने दोनों ही छात्राओं से चोटी कटने की हकीकत जानी। छात्राओं ने बताया कि दो दिन पहले वह ब्यूटी पार्लर गईं थीं। वहीं पर बाल कटवा लिए। घर वालों व अन्य लोगों ने पूछा तो डर के कारण गलत ढंग से कहानी प्रस्तुत कर दी।
लड़कियों ने बताया कि जब बाल कटवाने गई थीं तो उन्हें कोई होश नहीं था कि वह बाल कटवा रही हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे याद आ रहा है। कमिश्नर ने बताया कि लड़कियां मास फोबिया की शिकार हैं। वे सिर्फ किसी अज्ञात शख्स द्वारा रात में चोटी काटे जाने की बात सोच रही थीं।
लड़कियों ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने पार्लर जाकर बाल कटवाए हैं। वह चोटी कटने की बात कहती हैं तो पहले थोड़ा हंसती हैं। फिर उसी बात में डूब जाती हैं। वृद्ध महिलाओं की जो चोटी कट रही है वह सिजोफ्रेनिया व हैलोसिनेशन की शिकार हैं। इसमें वह शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर हो जाती हैं।
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वह अपने बालों को दुश्मन की तरह समझने लगती हैं और उनको चोट पहुंचाने की कोशिश करती हैं। यदि बाल नहीं काटेंगी तो वह और भी बड़ा कृत्य कर सकती हैं। कमिश्नर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी तरह की अफवाह पर लोग ध्यान न दें।
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