Lok Sabha Election: बरेली से आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट कटा, स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी को बदायूं से लगा तगड़ा झटका
UP News बरेली से छत्रपाल सिंह और मुरादाबाद से सर्वेश सिंह को बनाया प्रत्याशी। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को कई बार निशाने पर लिया था। अब स्वामी प्रसाद नई पार्टी बना चुके। पुरानी और वर्तमान परिस्थिति देखते हुए पार्टी ने डा. संघमित्रा पर भरोसा नहीं किया। मौर्य-शाक्य वोटरों को ध्यान में रखते हुए संगठन ने क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं बदायूं के मूल निवासी दुर्विजय सिंह शाक्य को प्रत्याशी बना दिया।
जागरण संवाददाता, बरेली। आठ बार से बरेली के सांसद संतोष कुमार गंगवार इस लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नहीं होंगे। 75 वर्ष की उम्र सीमा पार कर चुके संतोष के स्थान पर पार्टी ने बहेड़ी के पूर्व विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार को प्रत्याशी बनाया गया है। पीलीभीत में भी बड़ा उलटफेर हुआ है। यहां से सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर प्रदेश में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया गया। जितिन प्रसाद पीलीभीत से सटी शाहजहांपुर सीट से सांसद रह चुके हैं।
रविवार रात हुई टिकट घोषणा में तीसरा बड़ा निर्णय बदायूं सीट के लिए हुआ। यहां से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डा. संघमित्रा को टिकट नहीं दिया गया है। पार्टी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, मुरादाबाद में सर्वेश सिंह को प्रत्याशी बनाया गया।
संतोष कुमार गंगवार आयु सीमा पूरी कर चुके मगर, चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। उम्र सीमा दरकिनार कर मथुरा से हेमा मालिनी का टिकट होने के बाद संतोष खेमे को भी उम्मीद जगी थी मगर, ऐसा नहीं हो सका। प्रत्याशी के रूप में उनका स्थान लेने वाले छत्रपाल सिंह गंगवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं, बहेड़ी से पूर्व विधायक रह चुके हैं। संतोष के सजातीय विकल्प के रूप में उन्हें बरेली से प्रत्याशी बनाया गया।
पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी तीन वर्ष से सरकार पर सवाल उठाते आ रहे थे। संगठन के पदाधिकारी उनके तीखे तेवर से असहज थे मगर, कभी खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी। जब प्रत्याशी चयन की बारी आई, तभी से माना जा रहा था कि नेतृत्व सख्त निर्णय लेगा।
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इसी तरह बदायूं की सांसद डा. संघमित्रा मौर्य भी तल्ख बयानों से चर्चा में रहीं थीं। पिछले लोकसभा चुनाव के उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में थे, तब डा. संघमित्रा को टिकट मिला था। विधानसभा चुनाव के दौरान स्वामी प्रसाद सपा में गए, तब डा. संघमित्रा ने उनके पक्ष में बयान दिए थे।
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