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    चचेरे भाई के अपहरण के लिए रचा षड्यंत्र, खुद को बंधक बनाने का ड्रामा; बरेली पुलिस ने ऐसे किया घटना का राजफाश

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 11:18 AM (IST)

    बरेली में अनोखे अपहरण कांड का खुलासा हुआ है। रिटायर्ड लेखपाल के बेटे अनूप कटियार ने अपने चचेरे भाई हरीश के अपहरण की साजिश रची और खुद को बंधक बनाने का नाटक किया। फिरौती के लिए 15 लाख रुपये की मांग की। पुलिस ने मुठभेड़ में अपहरणकर्ताओं को पकड़ लिया। आरोपित के परिवार को उसके किए अपराध की जानकारी नहीं थी।

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    पुलिस की गिरफ्त में हरीश कटियार का अपहरण करने वाले गिरोह के सदस्य। जागरण

    जागरण संवाददाता, बरेली। रिटायर लेखपाल के बेटे अनूप कटियार और उसके दोस्त हरीश कटियार के अपहरण की कहानी मंगलवार को खुलकर सामने आ गई। जिस अनूप कटियार के अपहरण की प्राथमिकी बारादरी थाने में पंजीकृत हुई थी वह खुद अपहरणकर्ता निकला।

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    षड्यंत्र के तहत वह जिस हरीश को दोस्त बता रहा था, असल में वह उसका चचेरा भाई ही है। उसने ही हरीश के अपहरण का ताना-बना बुना। हरीश को अंत तक यह पता नहीं चला कि अपहरण केवल उसका हुआ है। वह दोनों भाइयों का अपहरण होना समझता रहा। अनूप ने हरीश की पत्नी से 15 लाख तो अपनी पत्नी से पांच लाख रुपये फिरौती की मांग की। पुलिस ने मुठभेड़ में अपहरण करने वालों को पकड़ लिया। पूछताछ में पूरी कहानी स्पष्ट हुई।

    बरेली में लेखपाल पद से रिटायर हैं हरीश के पिता

    मूलरूप से हरदोई के पांडयेपुर निवासी हरीश कटियार के पिता बरेली में लेखपाल पद से रिटायर हैं। उन्होंने बारादरी के गणेश पुरम में अपना मकान बना लिया है। हरीश के दो अन्य भाई इंजीनियर हैं और हरीश स्वयं खेती किसानी करता है। खेती की वजह से उसका अपने गांव पांडेयपुर में आना जाना लगा रहता है। कोरोना के बाद से हरीश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।

    आर्थिक तंगी से निकलने को उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अपना गैंग तैयार कर लोगों का अपहरण करने की योजना बनाई। शुरूआत में दो अपहरण फेल होने के बाद उसने पांडेयपुर निवासी चचेरे भाई हरीश के अपहरण की योजना बनाई। क्योंकि हरीश की पत्नी बेसिक स्कूल में शिक्षक हैं और हरीश अंडों का कारोबार करते हैं, इसलिए अपहरण के लिए अनूप ने उसे चुना।

    अभी किराए के मकान में रहता है हरीश

    वर्तमान में हरीश बांदा में अंडाचौक के पास किराए के मकान में रहते हैं। 17 जनवरी को अनूप अपने घर पांडेयपुर जाने को कहकर निकला। इसके बाद बांदा हरीश के पास जाएगा। गांव पहुंचने के बाद अनूप की पत्नी से बातचीत हुई और फिर फोन बंद हो गया। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि 17 जनवरी की रात ही अनूप और उसके गिरोह के सभी सदस्य बांदा पहुंच गए।

    बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य।

    अनूप हरीश के यहां रुका और गिरोह के बाकी सदस्य होटल में कमरा लेकर रुके। योजना थी कि हरीश को किसी तरह से मुहल्ले से बाहर निकालकर कार में बिठाएंगे और उसके बाद अपहरण कर ले जाएंगे। इसी योजना के तहत अनूप ने हरीश से चित्रकूट घूमने चलने को कहा, लेकिन हरीश ने कारोबार के चलते मना कर दिया। फिर रात को घर से ही हरीश को उठाने की योजना बनाई गई। रात को अनूप ने बदमाशों को घर में बुला लिया। बदमाश कंबल डालकर हरीश को जबरन उठाकर कार में बैठा ले गए। कार अनूप ही चला रहा था।

    दो लोगों के अपहरण की बात कही

    कार में बदमाशों ने हरीश पर तमंचा तानते हुए कहा कि तुम्हारा और तुम्हारे भाई का अपहरण कर लिया है। अनूप डरने का ट्रामा करते हुए गाड़ी चलाता रहा। 19 जनवरी को जब हरीश और अनूप के घर फोन कर फिरौती मांगी गई तो मामला पुलिस के पास पहुंचा। इसके बाद सभी नंबर सर्विलांस पर लगाए गए। बांदा पुलिस की मदद ली गई, सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। इसके बाद सोमवार देर रात पुलिस ने मुठभेड़ में भोजीपुरा के मियांपुर गांव से हरीश और अनूप को बरामद किया। मुठभेड़ में तीन बदमाशों वीरू, अंकित और शाहिद के पैर में गोली लगी।

    पुलिस के सवालों के जवाब नहीं दे पाया अनूप

    अनूप पुलिस के सवालों के जवाब नहीं दे पाया तो पुलिस को शक हुआ। सख्ती से पूछताछ की तो पूरी कहानी साफ हो गई। अनूप ने घटना स्वीकार कर ली। पुलिस ने गिरोह के आठ सदस्यों अनूप कटियार (गिरोह का सरगना), अंकित उर्फ विनीत, शाहिद, वीरू, आकाश, उमाशंकर, उदित और लाली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। तीन सदस्य खेमेंद्र, ललित और रजत अभी फरार चल रहे हैं।

    इस तरह से हुआ घटना का राजफाश

    19 जनवरी को बारादरी थाने में प्राथमिकी लिखने के बाद पुलिस ने सबसे पहले उस नंबर की लोकेशन निकाली जिससे फिरौती को फोन आया। उसकी लोकेशन किच्छा से आगे लालपुर गांव के एक गेस्ट हाउस के पास दिखाई दी। वहां जाकर पूछताछ की तो किसी ने अनूप को नहीं पहचाना। इसी बीच सीडीआर पुलिस के पास आई। इससे पता चला कि यह नंबर भुता से सितारगंज हाईवे होते हुए किच्छा की तरफ पहुंचा था।

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    पुलिस को एक पेट्रोल पंप पर पेटीएम का भुगतान भी मिला। वहां से भी सीसीटीवी फुटेज निकलवाई। धीरे-धीरे सीडीआर के माध्यम से नंबरों को लिंक करना शुरू किया। उसमें अंकित के नंबर पर बार-बार बात होने से शक जाहिर हुआ और उसकी लोकेशन के आधार पर पुलिस ने गिरोह को पकड़ लिया। इस बीच पुलिस ने 100 से अधिक सीसीटीवी और 35 से अधिक नंबरों की सीडीआर निकलवाई।

    पूछताछ और साक्ष्यों के आधार पर अनूप की भूमिका शुरूआत से ही संदिग्ध लग रही थी। हिरासत में लेने के बाद जब पूछताछ शुरू हुई तो पूरी कहानी खुल गई। अनूप ने स्वीकार लिया कि उसी ने ही अपने गिरोह के सदस्यों के साथ हरीश का अपहरण किया था। इस गिरोह ने पहले भी घटनाओं को करने का प्रयास किया था मगर उसमें सफल नहीं हो सके। सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। सभी कार्रवाई के बाद हरीश को उनके घर भेजा जाएगा।  -- अनुराग आर्य, एसएसपी।