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    करोड़ों का ऑक्सीजन प्लांट ठप, मशीनें खराब: बरेली के सरकारी अस्पतालों में खुली बदहाली की पोल

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:13 PM (IST)

    शासन से आई टीमों ने बरेली के सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। जिला, महिला और तीन सौ बेड अस्पताल में व्यापक अव्यवस्थाएं मिलीं। तीन सौ बेड अस्पताल ...और पढ़ें

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    ज‍िला अस्‍पताल का न‍िरीक्षण करते स्‍वास्‍थ्‍य व‍िभाग के अध‍िकारी

    जागरण संवाददाता, बरेली। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शासन को जो रिपोर्ट भेज रहे हैं, उसमें फर्जीवाड़ा तो नहीं हो रहा। इसकी जांच करने के लिए शासन से गठित उच्चस्तरीय टीमों ने शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया। इस दौरान जिला और महिला अस्पताल में कई अव्यवस्थाएं मिलीं। साथ ही कई जगहों पर उपकरणों और स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रहीं थी। जबकि तीन सौ बेड अस्पताल की हालत तो और भी ज्यादा खराब मिली।

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    यहां एक्सरे और पैथोलाजी में खून की जांच के लिए लगी सीबीसी मशीन खराब मिली। साथ ही आक्सीजन प्लांट भी खराबी की वजह से ठप पड़ा मिला। यह टीमें जांच रिपोर्ट तैयार करके शासन को सौंपेगी। इस दौरान विभागीय अधिकारियों के बीच अफरा-तफरी मची रही। स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए लखनऊ मंडल के अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डा. जीपी गुप्ता सुबह करीब 8:10 बजे ही अचानक जिला अस्पताल पहुंच गए।

    सबसे पहले वह मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. एलके सक्सेना से विभागीय जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने पैथोलाजी में पहुंचकर खून और यूरिन की जांचों की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने एक्सरे-रूम की व्यवस्थाओं को चेक किया। यहां रेडियोलाजिस्ट डा. राजकुमार गुप्ता और डा. राजीव रंजन दो लोगों की तैनाती होने की जानकारी दी गई।

    इसके बाद वह जिला अस्पताल की ओटी में पहुंचकर चिकित्सकों से भी जानकारी ली। एडी डा. गुप्ता ने बताया कि लेजर से सर्जरी करने में क्या दिक्कत आ रही है। साथ ही अगर कोई उपकरण की कमी है तो उसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भिजवाएं, उसकी जल्द स्वीकृति दिलाई जाएगी। इसके बाद उन्होंने पुरुष वार्ड, बच्चा वार्ड, इमरजेंसी के साथ ही कोल्ड वेव वार्ड और रैन बसेरे को भी चेक किया।

    उधर, ज्वाइंट डायरेक्टर (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डा. एसके ध्रुव के नेतृत्व में टीम तीन सौ बेड अस्पताल पहुंची। वहां सीएमएस डा. इंतजार अली निरीक्षण के सिलसिले में बाहर गए थे। उनकी जगह पर डिप्टी डीटीओ डा.अमित कुमार टीम के साथ रहे। यहां जेडी को काफी गड़बड़ियां मिली।

    हास्पिटल में लगी एक्सरे मशीन काफी समय से खराब मिली, जिसकी वजह से मरीजों की जांचें नहीं हो पा रहीं थी। पैथोलाजी लैब में खून के संबंधित टेस्ट के लिए लगी सीबीसी मशीन भी काम करती नहीं मिली। इसके अलावा कई करोड़ खर्च कर स्थापित किया गया आक्सीजन प्लांट का सेंसर भी काम नहीं करता हुआ मिला। डिप्टी डीटीओ ने बताया कि इसकी सूचना भेजी गई थी। जल्द ही इसे ठीक करा लिया जाएगा।

    मरीज के पर्चे पर दवाइयां न लिखने पर जताई नाराजगी

    तीन सौ बेड अस्पताल में निरीक्षण के दौरान जेडी डा. एसके ध्रुव जब डेंटल सर्जन डा. सुबिका के पास पहुंचे तो पर्चे पर मरीज का नाम और पता तो लिखा जा रहा था लेकिन पूरी दवाइयां दर्ज नहीं की जा रहीं थी। इस पर उन्होंने सभी दवाएं स्पष्ट लिखीं जाएं। इसके अलावा उन्होंने एक आइ सर्जन के पास ओपीडी रजिस्टर देखकर कहा कि यह रिकार्ड तो सीएमएस के पास होना चाहिए।

    गार्ड न होने से तीन सौ बेड अस्पताल में आए दिन होती चोरी

    तीन सौ बेड अस्पताल में आए दिन चोरी की घटनाएं हो रहीं हैं। जेडी डा. एके ध्रुव को हास्पिटल के स्टाफ ने बताया कि हाल में सीटी स्कैन में लगीं सभी छह एसी के तार चोरी हो गए थे। कुछ दिन पहले चोर इंटरनेट कनेक्शन का केबल भी काट दिया था और सीसीटीवी कैमरों को भी उखाड़ कर फेंक दिया था। स्टाफ ने चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए गार्ड की तैनाती कराए जाने की मांग की।

    टायलेट्स में गंदगी और सीलन देखकर भड़के

    एडी डा. जीपी गुप्ता और जेडी डा. एके ध्रुव के नेतृत्व में टीमों को जिला और महिला अस्पताल के साथ तीन सौ बेड हास्पिटल में भी टायलेट्स की हालत बेहद खराब मिली। सभी जगहों पर काफी गंदगी थी। तीन सौ बेड अस्पताल में तो सीटें भी टूटीं हुईं थी और गुटखा और पान के पीके से उसकी पाइप लाइन तक बंद थी। इस पर दोनों ही अधिकारियों ने नाराजगी जताई। इसके अलावा वार्डों में भी साफ-सफाई करने के निर्देश दिए।

    डाक्टर सहित अन्य स्टाफ की कमी को लेकर मांगा रिकार्ड

    शासन से आईं स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने जिला अस्पताल में चिकित्सकों सहित स्टाफ को लेकर चली आ रही अन्य दिक्कतों के बारे में भी पूछा। तीन सौ बेड अस्पताल में तो अभी तक मानव संसाधन विभाग यानी एचआर की नहीं है। ऐसे में यहां एक भी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं है। जिला अस्पताल के ही स्टाफ को लगाकर यहां जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है।

     

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