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    बरेली पुलिस की फर्जी कहानी का अदालत ने किया पर्दाफाश, चार साल से चक्कर काट रहे बेगुनाहाें को किया बरी

    Updated: Sun, 08 Dec 2024 11:33 AM (IST)

    Bareilly News बरेली पुलिस की झूठी कहानी का कोर्ट ने राजफाश कर दिया है। पिछले चार साल तक बेगुनाहों को कचहरी के चक्कर कटवाने का मामला। पुलिसकर्मियों ने वाहन चेकिंग के दौरान हुई कहासुनी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और निर्दोषों पर फर्जी मुकदमा चलाया। कोर्ट ने आरोपितों को बरी करते हुए एसएसपी को दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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    खबर में प्रस्तुतीकरण के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर का उपयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, बरेली। वाहन चेकिंग के दौरान हुई कहासुनी ने तीन निर्दोषों को चार साल तक कचहरी के चक्कर कटवाए। अदालत ने मामले में आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया। दूसरी तरफ फर्जी कहानी गढ़कर झूठा मुकदमा चलाने के आरोप में पुलिसकर्मियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए एसएसपी को पत्र लिखा है।

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    घटना दो जून 2020 की बताई गई। थाना शीशगढ़ पर तैनात रहे दारोगा मनोज कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया कि वह पुलिस पार्टी के साथ शाम 4:30 बजे इटौआ खुशहाल तिराहे पर वाहन चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि तीन बाइक सवार प्रतिबंधित मांस लेकर आ रहे हैं।

    पुलिस पर गोली चलाने का आरोप

    पुलिसकर्मियों ने घेराबंदी करके संदिग्धों को पकड़ने का प्रयास किया। तभी बदमाशों की गोली चला दी पुलिसकर्मी बाल-बाल बचे। इसके बाद आरोपित फरार हो गए। पुलिस ने तीन बाइक बरामद कीं। जिन पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी। मौके पर ही मांस निस्तारण भी कर दिया। पुलिस की जांच के बाद दरऊ किच्छा निवासी तीन सगे भाई ताहिर, अलीम व नदीम के विरुद्ध चार्जशीट कोर्ट भेजी जिनमें दारोगा प्रदीप कुमार, दारोगा देवेंद्र सिंह यादव, सिपाही कपिल कुमार बतौर गवाह शामिल थे।

    ट्रॉयल के दौरान पुलिस साबित नहीं कर सकी मांस किसका

    ट्रॉयल के दौरान पुलिस मुकदमे को साबित करने में नाकाम रही। पुलिसकर्मी यह भी साबित नहीं कर सके कि बरामद मास किस पशु का था। मांस का कितना सैंपल लिया गया, यह भी गवाह नहीं बता सके। पुलिसकर्मियों को गोलीबारी में खरोंच तक नहीं आई जबकि संदिग्धों द्वारा मात्र 70 कदम दूर से गोली चलाना बताया गया। ना तो मौके से कोई खोखा बरामद हुआ और ना कोई हथियार। फर्जी नंबर प्लेट भी कब्जे में नहीं ली गई। ना पशु चिकित्सक का बयान लिया गया और ना फर्द में उसका नाम लिखा गया।

    एक भी गवाह नहीं हुआ पेश

    भीड़भाड़ वाला इलाका बताया गया किंतु कोई जनता का गवाह कोर्ट में पेश नहीं हुआ। गवाहों ने कोर्ट में स्वीकार किया कि बरामद माल की फर्द थाने पर लिखी गई और वहीं हस्ताक्षर कराए गए। बाइक किसके नाम थी यह भी नहीं पता किया गया, ना ही नंबर प्लेट सीज की गई। मौके से बरामद बाइक थाने तक कौन ले गया, यह भी साबित नहीं हो पाया। तमाम सवालों के जवाब पुलिस के पास नहीं थे।

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    पुलिस ने गढ़ी फर्जी कहानी, बरी किए बेगुनाह

    अपर सेशन जज- 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने पुलिस कर्मियों द्वारा गढ़ी गई फर्जी कहानी का पर्दाफाश करते हुए आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय में उल्लेख किया कि लगता है वाहन चेकिंग के दौरान आरोपितों से कहासुनी हुई और पुलिस ने मामले को बढ़ा-चढ़ा कर गंभीर कहानी गढ़ी। कोर्ट ने एसएसपी को आदेश की प्रति भेज कर दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई किए जाने को कहा है।

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