Changur: चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में चल रहा था ‘प्रोजेक्ट’ मतांतरण, 'मिट्टी पलट' करने वाली युवतियों को मिलती थी रकम
बलरामपुर में मतांतरण के मास्टरमाइंड छांगुर उर्फ जलालुद्दीन का पर्दाफाश हुआ है। वह चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में गैर-मुस्लिम युवतियों का मतांतरण कराता था। इसके लिए उसने युवतियों को फंसाने के लिए शोरूम खोल रखे थे और जाति के अनुसार मतांतरण का रेट तय कर रखा था। एटीएस मामले की जांच कर रही है।

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर। मतांतरण का मास्टरमाइंड छांगुर उर्फ जलालुद्दीन चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में गैर मुस्लिम युवतियों को बरगला कर मिट्टी पलट (मतांतरण) रहा था। इसके साथ ही ऐसा कारोबार चुना, जिसमें सिर्फ महिलाओं व युवतियों की आमद हो।
उतरौला में आसी पिया हुसैनी कलेक्शन व बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटीक का शोरूम एक जाल की तरह प्रोजेक्ट (लड़की) को फंसाता था। समाज की आंखों में धूल झोंकने के लिए आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से दीन दुखियों का हमदर्द भी बना हुआ था। इसमें मदद की आस में आने वाली आर्थिक तंगी की शिकार युवतियां आसानी से उसकी जाल में फंस जाती थीं। इसके बाद अपने गुर्गों को लगाकर प्रेमजाल में फंसाता। छांगुर के चारों संस्थाओं के नाम से आठ बैंक खाते भी हैं। इन खातों में लेनदेन का विवरण एटीएस खंगाल रही है।
छांगुर ने मतांतरण के लिए जातिवार युवतियों का रेट फिक्स कर रखा था। इसमें ब्राह्मण, सरदार और क्षत्रिय का 15-16 लाख, पिछड़ी का 10-12 और अन्य जाति की लड़कियों के लिए आठ से 10 लाख रुपये तय था। यह रकम मतांतरण के बाद दिया जाता था।
आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट से ही तय रकम का भुगतान करने की आशंका है। संस्था से भुगतान पर किसी को शक नहीं होगा और यदि होता भी, तो उसे मदद के लिए देने की बात कहकर घुमा दिया जाता। इन सभी खातों की गहनता से जांच एटीएस कर रही है। डुमरियागंज सिद्धार्थनगर की एक महिला ने आरोप लगाया है कि छांगुर के शोरूम से सूट लिया था। उसे वापस करने के लिए जब शोरूम गए तो छांगुर के बेटा महबूब ने उसे कोठी पर बुलाया। अगले दिन कोठी पर गए तो वहां छांगुर मतांतरण के लिए दबाव बनाने लगा। इसके लिए प्रलोभन भी दिया। मना करने पर महबूब ने छेड़खानी की। महिला ने इसकी शिकायत उसी समय पुलिस से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटिक शोरूम भी इसीलिए छांगुर ने खोल रखा था।
गोंडा भी धमक सकती है एटीएस
छांगुर का नेटवर्क गोंडा के रेतवागाड़ा धानेपुर में भी फैला था। यहां का रमजान मतांतरण गिरोह का सक्रिय सदस्य था। अयोध्या से करीब होने के कारण छांगुर यहां भी अपना अड्डा बनाना चाहता था। इसकी जिम्मेदारी उसने रमजान को दी थी। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की रिपोर्ट में 10 करीबियों में रमजान का भी नाम है। छांगुर के नेटवर्क और पैठ की तह तक जाने के लिए एटीएस हर उस व्यक्ति की कुंडली खंगाल रही है, जो उसके संपर्क में थे। या उससे जमीन के कारोबार से जुड़ा था। रेतवागाड़ा गांव किसी भी समय एटीएस पहुंच सकती है।
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